षड्यंत्र की कहानी नक्सलियों की जुबानी… अग्निवीर योजना हिंसा और किसान आंदोलन की खुली पोल

देश विरोधी कार्यों में नक्सलियों की भूमिका को लेकर संदेह उत्पन्न किया जाता रहा है।

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केन्द्र सरकार के खिलाफ अग्निवीर योजना और किसान आंदोलन में नक्सलियों ने भी हिस्सा लिया था। इसका खुलासा माओवादियों की केंद्रीय समिति ने अपनी 22 पृष्ठों की पुस्तिका में किया है।

माओवादियों की केंद्रीय समिति की पुस्तिका के अनुसार नक्सलियों ने ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए रणनीति बनाई है। माओवादियों की पुस्तिका के अनुसार नक्सलियों ने देश में कई आंदोलनों में सक्रिय रूप से भाग लिया है। इसमें कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन और अग्निवीर योजना के खिलाफ आंदोलन में भी भाग लिया था।

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शहरों पर नजर
पत्रिका के अनुसार प्रतिबंधित संगठन भाकपा (माओवादी) ने देश के शहरी इलाकों को निशाना बनाने की तैयारी शुरू कर दी है। माओवादी महाराष्ट्र, बिहार, छत्तीसगढ़, उड़ीसा और झारखंड राज्यों के शहरी क्षेत्रों में अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। दस्तावेजों से पता चलता है कि नक्सल गतिविधियों और प्रभाव को बढ़ाने के लिए उन्होंने एक व्यापक योजना बनाई गई थी।

तीन बिंदुओं पर केंद्रित हुए नक्सली
इस संबंध में नक्सल विरोधी अभियान के पुलिस उपमहानिरीक्षक संदीप पाटिल ने बताया कि नक्सलियों ने अब अपना ध्यान तीन बातों पर केंद्रित किया है। नक्सलियों ने पार्टी, सेना और संयुक्त मोर्चे में भाग लिया। इसमें पार्टी का मतलब पोलित ब्यूरो सदस्य है। सेना यानी जंगल में काम करने वाले नक्सली। इसके साथ ही संयुक्त मोर्चा यानी जनता के साथ हिस्सा लेकर लोगों को माओवाद की ओर आकर्षित करना।

गणपति मंडल और जिम के युवा निशाने पर
संदीप पाटिल पाटिल का कहना है कि नक्सलियों पास पोलित ब्यूरो और सेना के रूप में कोई भी व्यक्ति नहीं बचा है। नतीजतन नक्सली अब कमजोर हो गए हैं। पाटिल ने कहा कि उन्होंने अब गणपति मंडल के युवा कार्यकर्ताओं, जिम के युवाओं के अलावा समाज के अन्य लोगों को खोजने के लिए शहरों और कस्बों में रहने वाले युवाओं को माओवादी विचारों की ओर आकर्षित करने के प्रयास शुरू कर दिए हैं।

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