‘आरे’ से आफत में आदित्य ठाकरे, पुलिस करेगी मामला दर्ज!

आरे कॉलोनी में मेट्रो कारशेड निर्माण की प्रक्रिया सर्वोच्च न्यायालय तक पहुंची थी। जिस पर न्यायालय ने भी सकारात्मक निर्णय दिया था। इसके बाद भी पर्यावरण क्षति के नाम पर विरोध होता रहा और महाविकास आघाड़ी सरकार के सत्ता संभालते ही वर्ष 2019 में पहला कार्य मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कारशेड की योजना को रद्द करने के निर्णय के साथ किया।

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सत्ता से उतरते ही आरे को बचाने की मुहिम ‘सेव आरे’ शुरू हो गया है। आरे बचाओ आंदोलन की आंच अब आदित्य ठाकरे पर पड़ने जा रही है। पुलिस को बाल अधिकारों के हनन का प्रकरण दर्ज करने का पत्र राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा मुंबई पुलिस को दिया गया है।

मुंबई पुलिस आयुक्त विवेक फनसालकर को लिखे पत्र में तीन दिन का समय दिया गया है। जिसके अंदर पुलिस को कार्यवाही की रिपोर्ट बाल संरक्षण आयोग के समक्ष प्रस्तुत करनी है। यह प्रकरण आरे बचाओ आंदोलन में नाबालिग बच्चों के उपयोग का है। जो बाल अधिकार कानून (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) 2000 का उल्लंघन है, ऐसा कहा गया है।

ऐसा है प्रकरण
महाविकास आघाड़ी सरकार के सत्ता पतन के बाद भाजपा शिवसेना युति की सत्ता स्थापना हुई है। इसके बाद उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने आरे कॉलोनी में मेट्रो कारशेड निर्माण की प्रक्रिया को फिर शुरू करने की घोषणा की। जिसके बाद शिवसेना विधायक आदित्य ठाकरे समेत पर्यावरणविदों ने आरे बचाओ आंदोलन शिरू कर दिया है।

ऐसा ही एक आंदोलन 10 जुलाई, 2022 को आयोजित किया गया था। जिसमें छोटे बच्चों को सम्मिलित किया गया था। इन बच्चों के गले में ‘आरे बचाओ’ की तख्तियां लटकी हुई थीं। शिवसेना विधायक आदित्य ठाकरे भी इस आंदोलन में शामिल हुए थे। आदित्य ठाकरे ने अपने ट्विटर हैंडल से बच्चों की फोटो भी साझा की थी। इसी के आधार पर राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग ने पत्र दिया है। आयोग के अनुसार आदित्य ठाकरे ने बाल संरक्षण कानून 2015 का उल्लंघन किया है।

इस प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए आयोग ने एक पत्र राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, मुंबई पुलिस आयुक्त और केंद्रीय चुनाव आयोग को दिया है।

बाल अधिकार संस्था ने की है शिकायत
सह्याद्री राइट्स फोरम नामक संस्था ने आरे बचाव आंदोलन में बाल अधिकारों के उल्लंघन की शिकायत की है। फोरम के अध्यक्ष तन्मय नाइक, धृतिमान जोशी ने इस संबंध में लिखा है कि, छोटे बच्चों को आंदोलन में सम्मिलित करना, उनके अधिकारों का उल्लंघन है।

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