जनप्रतिनिधियों की बैठक हुई जमीनी, मुंबई मनपा में पूर्व नगरसेवकों की पंचायत

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कभी मुंबई महानगर के गलियारों और सभागृह में जो नगरसेवक सितारे जैसे गिने जाते थे, वर्तमान में मनपा के वे सितारे टूटे तारे जैसे हो गए हैं और जमीन पर बैठने को मजबूर हैं। महाविकास आघाड़ी सरकार चुनाव नहीं करवा पाई जिसके कारण पहले पद गया, ठाकरे गुट की पत्रबाजी में कार्यालय गया और अब प्रशासन की कृपा से बाकड़ा भी गुल हो गया है। परिणाम ये है कि, इन बेचारों ने जमीन पर ही बैठना शुरू कर दिया है।

बुधवार को भाजपा के दो पूर्व नगरसेवकों की एक फोटो सामने आई है, जिसमें राजेश्री शिरवडकर और कमलेश यादव मुंबई मनपा मुख्यालय के सीलबंद भाजपा कार्यालय के बरामदे में जमीन पर बैठे दिखे। फोटो देखकर लगा कि यह नेता ऐसे ही बैठे होंगे लेकिन, जब पता किया गया तो इन जन प्रतिनिधियों का वह दर्द सामने आया जो बेदर्द प्रशासन को नहीं दिखा।

ऐसे हुआ पद गुल
महानगर पालिका के नगरसेवकों का कार्यकाल महाविकास आघाड़ी सरकार के काल में ही समाप्त हो गया था। लेकिन, ओबीसी आरक्षण के घालमेल में सरकार पेंच में फंसी रही और चुनाव नहीं करा पाई। इसका परिणाम यह हुआ कि, नगरसेवक पदमुक्त हो गए। परंतु, उस काल में मनपा का सत्ताधारी दल और राज्य सरकार के नेतृत्वकर्ता तत्कालीन शिवसेना थी, इसके कारण उनके पास डबल इंजन की शक्ति थी यानी मुख्यमंत्री उनका और मनपा का प्रशासक भी उनका। सत्ताधारी दल के पूर्व नगरसेवक भी सितारों की भांति चमक रहे थे। लेकिन, दल टूटा तो सत्ता बदली और सितारे टूटे तारे हो गए।

कार्यालय भी गुल
पूर्व की शिवसेना दो धड़ो में बँट गई थी। एक ओर उद्धव ठाकरे का गुट था तो दूसरी ओर एकनाथ शिंदे का गुट था। ऐसा माना जा रहा था कि, पूर्व नगरसेवकों में अधिकांश संख्या ठाकरे समर्थकों की है, इसलिए मनपा में शिवसेना पक्ष कार्यालय पर ठाकरे गुट का कब्जा था। लेकिन, जब शिंदे गुट को संसद में शिवसेना पक्ष कार्यालय मिला तो एक दिन शिंदे गुट मनपा के शिवसेना पक्ष कार्यालय में पहुंच गया। यह विवाद इतना बढ़ा की पूर्व नगरसेवकों के हाथ से कार्यालय खिसक गया और उसमें भी पूर्व महापौर किशोरी पेडणेकर के आयुक्त को लिखे पत्र ने सभी पार्टियों के कार्यालय सील करा दिये और पदविहीन जनप्रतिनिधियों की मनपा में अपनी छत भी गुल हो गई।

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बाकड़ा गुल
पद गँवा चुके, जनप्रतिनिधियों से अपना कार्यालय छिन गया था। परंतु, मनपा मुख्यालय के बरामदे में बाकड़े (सोफे) रखे हुए थे। जब पूर्व नगरसेवक आते थे तो वहां बैठते थे। लेकिन, पालक मंत्री को दिये गए निधी बँटवारे के अधिकार के विरोध में ठाकरे गुट, कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के पूर्व नगरसेवकों ने आयुक्त का घेराव कर दिया और जमकर घोषणाबाजी और हंगामा किया। इसकी मार बाकड़े को झेलनी पड़ी और मनपा के गलियारे में रखे बाकड़े भी गुल हो गए। यानी फुल नेतागिरी के चक्कर में पूर्व नगरसेवकों ने बाकड़ा भी गुल करा दिया।

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