जम्मू-कश्मीर में बड़ी संख्या में रोहिंग्या मुसलमानों के अवैध तरीके से रहने की मिल रही शिकायतों के बाद उनकी जांच-पड़ताल के साथ ही कार्रवाई शुरू कर दी गई है। इसके लिए उनकी नागरिकता के सारे सबूतों जैसे आधार कार्ड, पैन कार्ड, मतदाता पहचान पत्र आदि की जांच की जा रही है। साथ ही उनके पासपार्ट की भी जांच की जा रही है। 6 मार्च से शुरू किए गए इस जांच अभियान में 7 मार्च तक 250 से अधिक रोहिंग्या के अवैध तरीके से रहने का खुलासा हुआ है।
फिलहाल जांच में अवैध पाए गए रोहिंग्या मुसलमानों को होल्डिंग सेंटर में भेज दिया गया है। जिन लोगों को होल्डिंग सेंटर में भेजा गया है, उनमें बच्चे और महिलाएं भी शामिल हैं। बताया जा रहा है कि इनके खिलाफ की जा रही कार्रवाई पर रोक लगाने के लिए कुछ स्थानीय माानवाधिकार संगठन जल्द ही आवाज उठाने की तैयारी में हैं, हालांकि अभी तक इस बारे में किसी ने कोई बयान नहीं जारी किया है। मिली जानकारी के अनुसार जम्मू और सांबा जिले में कम से कम 14,000 रोहिंग्या और बांग्लादेशी मुसलमान अवैध तरीके से रह रहे हैं।
हिंदुओं के खिलाफ साजिश तो नहीं?
कहा यह भी जा रहा है कि यह जम्मू में हिंदुओं के खिलाफ एक सोची-समझी साजिश भी हो सकती है। हिंदू बहुल इस इलाके में फिलहाल कश्मीर की अपेक्षा काफी शांति है और यहां मुसलमानों की संख्या काफी कम है। रोहिंग्या मुसलमानों के पास जिस तरह के सरकारी दस्तावेज मिले हैं, उसके आधार पर कहा जा सकता है कि उनको इस क्षेत्र में बसाने में किसी न किसी राजनैतिक पार्टी का हाथ है। अनुच्छेद 370 हटाये जाने के बाद अगर वे यहां 15 साल तक रहने के सबूत दे सकते हैं, तो उनके लिए यहां का निवासी बनना आसान हो जाएगा। इस तरह इन इलाकों में भी मुसलमानों की आबादी बढ़ाकर कश्मीर की तरह यहां भी वे अपना वर्चस्व कायम कर सकते हैं।
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जम्मू में बसने का एक कारण यह भी
जम्मू में इनके बसने के पीछे एक कारण यह भी माना जा रहा है कि कश्मीर आतंकवाद प्रभावित क्षेत्र होने के कारण वहां स्थानीय प्रशासन से लेकर सेना तक काफी सक्रिय रहती है। सेना द्वारा आतंकवाद और आतंकवादियों के खिलाफ हमेशा अभियान चलाये जाने के कारण वहां इनके पकड़े जाने का खतरा हमेशा बना रहता है।
हीरानगर जेल में बनाया गया है होल्डिंग सेंटर
बता दें कि कठुआ के हीरानगर जेल में इनके लिए होल्डिंग सेंटर बनाया गया है। 6 मार्च से जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने जम्मू में रह रहे रोहिंग्या मुसलमानों की बायोमिट्रिक जानकारी समेत अन्य तरह के विवरण जुटाने का काम शुरू किया है।
राष्ट्रीयता का वेरिफिकेशन
विदेशी अधिनियम के तहत यह होल्डिंग सेंटर बनाया गया है। एक होल्डिंग सेंटर में कम से कम 250 लोग रह सकते हैं। अधिकारियों ने बताया कि होल्डिंग सेंटर भेजने के बाद इन सबकी राष्ट्रीयता का वेरिफिकेशन किया जाएगा। इसके बाद अवैध रुप से रह रहे इन लोगों को वापस उनके देश भेजा जाएगा। फिलहाल कड़ी सुरक्षा के बीच एमएएम स्टेडियम में म्यांमार से आए रोहिंग्या मुसलमानों का वेरिफिकेशन किया जा रहा है। मिली जानकारी के अनुसार पहले इनका कोरोना टेस्ट किया जा रहा है। उसके बाद अन्य तरह की जांच की जा रही है।
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कौन हैं रोहिंग्या मुसलमान?
रोहिंग्या म्यांमार के बांग्लाभाषी अल्पसंख्यक मुसलमान हैं। म्यांमार में बड़े पैमाने पर इनके खिलाफ चलाए जा रहे अभियान की वजह से ये भागकर भारत आ गए हैं। बांग्लादेश के रास्ते अवैध तरीके से भारत में प्रवेश करने के बाद इन्होंने जम्मू सहित देश के कई भागों में अपना ठिकाना बनाया है।
आतंकवाद से ड्रग्स पेडलिंग तक के अपराध में शामिल
बता दें कि देश के कई भागों में रोहिंग्या मुसमलमान अवैध तरीके से रह रहे हैं। चूंकि इनके पास कोई अधिकृत काम या नौकरी संभव नहीं है। इसलिए ये आतंकी गतिविधियों से लेकर ड्र्ग्स और अन्य तरह की आपराधिक गतिविधियों में लिप्त हो जाते हैं। पिछले दिनों जम्मू में दो रोहिंग्या मुसलमानों को पुलिस ने गिरफ्तार किया था। इनमें से एक मौलवी बनकर अपनी पहचान छुपा कर रह रहा था, जबकि दूसरा नशीले पदार्थों की तस्करी में लिप्त था। इससे पहले भी कई तरह के अपराध में इनके शामिल होने के मामले उजागर होते रहे हैं।
राजनैतिक पार्टियों और सामाजिक संगठनों की मांग पर कार्रवाई
बता दें कि कुछ राजनैतिक पार्टियों और सामाजिक संगठनों ने केद्र सरकार से अनुरोध किया है कि रोहिंग्या और बांग्लादेशियो को तत्काल उनके देश वापस भेजे जाएं। उन्होंने इनसे देश को खतरा बताया है। उनकी मांग पर हाल ही मोदी सरकार ने आश्वासन दिया था कि उनके खिलाफ जल्द ही कार्रवाई की जाएगी। एक अनुमान के तहत जम्मू और सांबा जिलों में कम से कम 14,000 रोहिंग्या और बांग्लादेशी मुसलमान अवैध तरीके से रह रहे हैं।