मस्जिद से होनेवाली बांग को बंद करने का सफल अभियान सबसे पहले किसी ने किया होगा तो वह रहे हैं, स्वातंत्र्यवीर सावरकर। उन्हीं की राह पर अब महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना प्रमुख राज ठाकरे चल पड़े हैं। परंतु, भोंगे को ठेंगा दिखाने का उनका प्रयत्न कितना सफल होगा यह देखनेवाली बात है।
स्वातंत्र्यवीर सावरकर ने अपने कालापानी की सजा की पुस्तक में वर्णन किया है कि कैसे कारागृह में मुस्लिम कैदी बांग देते थे। वे लिखते हैं कि, कारागृह में भोर के समय मुस्लिम कैदी जोर-जोर से बांग देते थे। जब इस पर कारागृह के अधिकारियों ने डांट लगाई तो मुस्लिमों ने बांग को अपने धर्म का हिस्सा बना दिया।
हिंदुओं के साथ दुर्व्यवहार
मुस्लिम गुंडों के सुबह-सुबह बांग देने पर कारागृह अधिकारियों ने उनके धर्म का हिस्सा मानकर चुप्पी साध ली थी। परंतु, वहां बंद हिंदू कैदियों को परेशान करने के लिए की जा रही इस प्रताड़ना से मुस्लिमों के अलावा हिंदू, ब्रम्ह देश के कैदी सभी परेशान थे। इसकी तोड़ निकली की हिंदू कैदियों ने भी मुस्लिमों के बांग देने के समय अपनी प्रार्थनाएं जोर से शुरू कर दी।
अधिकारियों की दोहरी मानसिकता
जिन कारागृह अधिकारियों को मुसलमानों की बांग से दिक्कत नहीं होती थी, वे हिंदुओं की प्रार्थना से परेशान हो गए। इसका कारण बताया गया कि हिंदू धर्म में बांग देने की पूजा पद्धति नहीं है। हिंदू कैदियों पर कार्रवाई की जाने लगी। उन पर प्रकरण दर्ज कर दिये गए। इसके बाद हिंदू बंदियों ने शंख बजाने का मार्ग निकाला। एक बंदी ने छुपाकर शंख लाई, जब मुसलमान कैदियों ने बांग देने की शुरुआत की उसी समय शंख बजाने लगा। इससे मुस्लिम कैदियों के बांग की ध्वनि छिप गई। वे प्रतिकार करने लगे।
कारागृह में शंखनाद
कारागृह में पहला शंखनाद करनेवाले बंदी पर कार्रवाई की गई। परंतु, उसके पश्चात बहुत से हिंदू कैदियों ने शंखनाद करना शुरू कर दिया। इसका परिणाम हुआ कि, मुस्लिमों की बांग छुप गई। मुस्लिमों के विरोध पर कारागृह अधिकारियों ने साफ सुना दिया कि, शंख बजाना हिंदू पूजा पद्धति का अंग है। तुम अपनी बांग बंद करो तब हम उन्हें शंख नाद करने को कहेंगे। इस पर हारकर मुस्लिमों ने बांग बंद कर दी। जो गुंडे बुद्धि बल से नियंत्रित नहीं हो पाए वह इस शंख नाद से हो गए।
राज ठाकरे की राह
राज ठाकरे ने कहा है कि, सुबह-सुबह मस्जिदों पर बजनेवाले भोंगों पर रोक लगानी चाहिए। यदि ऐसा नहीं होता तो वे उससे दोगुनी आवाज में भोंगे पर हनुमान चालिसा पाठ करवाएंगे। इसका परिणाम ये हुआ कि घोषणा के दूसरे दिन भोंगे पर कार्रवाई न करनेवाला प्रशासन साकीनाका में भोंगे लगाकर हनुमान चालिसा का पाठ करवानेवाले महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के पदाधिकारी महेंद्र भानुशाली पर प्रकरण दर्ज कर लिया। उस पर साढ़े पांच हजार रुपए का दंड भी लगा दिया। इसके अलावा उनका सामान जब्त कर लिया।