क्या है योगी आदित्यनाथ होने का अर्थ?

योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री के रूप में अपने दूसरे कार्यकाल में एक रिकार्ड बनाया, लेकिन उनका पूरा अब तक का कार्यकाल भी देखें तो उल्लेखनीय रहा है।

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जब 2017 में उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में भाजपा भारी बहुमत से सत्ता में आई, उस वक्त योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री पर की दौड़ में दूर-दूर तक नहीं थे। उस समय राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने योगी आदितयनाथ में संभावनाओं को देखते हुए मुख्यमंत्री बनाने की सलाह भाजपा नेतृत्व की दी। मुख्यमंत्री बनते ही योगी आदित्यनाथ ने सर्वप्रथम अवैध बूचड़खानों पर हंटर चलाया। सपा के शासन में ऐसे अवैध बूचड़खानों को पर्याप्त संरक्षण मिला था और ऐसा माना जाता था कि ये अवैध बूचड़खाने उत्तर प्रदेश की नियति हैं और इन्हें कोई भी बंद नहीं कर सकता। लेकिन योगी की दृढ़ इच्छाशक्ति के चलते एक वर्ष के अन्दर ये अवैध बूचड़खाने अतीत के विषय हो गये।

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उत्तर प्रदेश दंगा मुक्त
अवैध बूचड़खानों को बंद करने के साथ योगी की प्राथमिकता में उत्तर प्रदेश की कानून- व्यवस्था थी। अखिलेश राज में यूपी में आये दिन दंगे होते थे। वोटबैंक की राजनीति के चलते इनके विरुद्ध कार्रवाई नहीं होती थी। वर्ष 2013 में मुजफ्फरनगर में हुए दंगे सभी की याददाश्त में होंगे। जब वहां के ताकतवर मंत्री आजम खान ने गौरव और सचिन के हत्यारों को जेल से छुड़वा दिया था। स्थिति की भयावहता यह कि उस दौर में उत्तर प्रदेश में दंगे होना आम बात थी, पर वह योगी आदित्यनाथ ही थे जिन्होंने शासकीय सम्पत्ति का नुकसान पहुंचाने पर उनसे वसूली शुरू की और दंगाइयों के हौसलों को पूरी तरह तोड़ दिया। इसे भी दुनिया के एक आश्चर्य में गिना जाना चाहिए कि योगी की सख्ती और दृढ़़ता के चलते योगी राज में उत्तर प्रदेश पूरी तरह दंगा-मुक्त हो गया।

अपराधों में भारी कमी
इसी के साथ योगी ने कानून-व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त करने के लिये माफियाओं और हिस्ट्रीशीटरों को जेल की सलाखों में डाला। आजम खान, अतीक अहमद और अफजल अंसारी जैसे लोग जो अपने को कानून से ऊपर मानते थे और आतंक के बल पर आर्थिक साम्राज्य खड़ा कर लिया था, उन्हें योगी ने ऐसे जेल में डाला कि सालों-साल बाद भी जेलों से नहीं निकल सके हैं। ऐसे माफियाओं और अपराधियों के अवैध निर्माण बुलडोजर से गिरा दिये गये और उनमें गरीबों के आशियाने बनाये गये। यह योगी की दृढ़ इच्छाशक्ति और अपराध के प्रति जीरो टालटेंस का ही नतीजा था कि पूरे योगी राज में अपराधी गले में पट्टी बांधकर थानों में आत्मसमर्पण सतत कर रहे हैं। यही वजह है कि सपा राज की तुलना में योगी राज में अपराधों में भारी कमी आई।

भ्रष्टाचारियों के विरुद्ध चला हथौड़ा
सिर्फ अपराधियों के विरुद्ध ही योगी काल बनकर नहीं टूटे बल्कि भ्रष्टाचारियों के विरुद्ध भी योगी का हथौड़ा पूरी निर्ममता से चला। अपने को विशेषाधिकारों से सम्पन्न मानने वाला नौकरशाही का वह हिस्सा जिसे आईएएस, आईपीएस एवं आईएफएस कहा जाता है, उनके विरुद्ध भी भ्रष्टाचार की शिकायतें मिलने पर योगी ने उनके विरुद्ध कार्रवाई करने में कोई कोताही नहीं बरती। इन्हीं सब कठोर कदमों का नतीजा यह है कि आज उत्तर प्रदेश में कई एक्सप्रेस वे बन चुके हैं और बनने जा रहे हैं। प्रदेश में भारी पूंजी निवेश हो रहा है। गरीबों को पचास लाख के आसपास रिकार्ड आवास दिये जा चुके हैं। विकास की दौड़ में सदैव अत्यन्त पीछे रहने वाला उत्तर प्रदेश आर्थिक विकास की दृष्टि से आज दूसरे स्थान पर है और शीघ्र ही प्रथम स्थान में आने वाला है।

देशव्यापी समस्या
मुस्लिम समुदाय द्वारा सड़कों पर खुले में नमाज पढ़ना सिर्फ उत्तर प्रदेश में ही नहीं, देशव्यापी समस्या थी। जिसके चलते घंटों यातायात बाधित रहता था और नागरिकों को परेशानियों का सामना करना पड़ता था। लेकिन उत्तर प्रदेश में अब कहीं सड़क पर नमाज नहीं होती। जिसका सबसे बड़ा उदाहरण इस वर्ष ईद का त्योहार रहा। बंगाल, राजस्थान और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में इस अवसर पर सड़कों पर नमाज पढ़ी गई, पर उत्तर प्रदेश में इसका एक भी उदाहरण देखने को नहीं मिला। इसका मतलब यह नहीं कि मुस्लिमों का कोई हिस्सा नमाज पढ़ने से वंचित रह गया। जहां मस्जिदों और ईदगाहों में नमाज पढ़ने की जगह नहीं मिली, वहां योगी ने कॉलेज के मैदान और पार्क इसके लिये उपलब्ध कराये। योगी का यह भी कहना है कि अब भविष्य में कहीं भी ईद की नमाज सड़कों पर नहीं पढ़ी जायेगी।

लाउड स्पीकर भी देशव्यापी समस्या
सड़कों पर नमाज की जगह लाउडस्पीकर भी देशव्यापी समस्या है। इसके चलते आस-पड़ोस में रहने वालों और दुकानदारों को बड़ी समस्या थी। भारत का शीर्ष न्यायालय भी कह चुका है कि मस्जिदों में लाउडस्पीकर की आवाज परिसर से बाहर नहीं जानी चाहिए। लेकिन एक बड़े वर्ग की नाराजगी के चलते सरकारें इस दिशा में कोई प्रभावी कार्यवाही नहीं कर रही थीं। पर असंभव को संभव करने का नाम ही तो योगी आदित्यनाथ है। उन्होंने उत्तर प्रदेश में एक लाख लाउडस्पीकर या तो उतरवा दिये या उनकी आवाज इतनी नियंत्रित करवा दी कि वह परिसर के बाहर न जाये। ऐसा उन्होंने सिर्फ मस्जिदों के सम्बन्ध में नहीं किया, मंदिरों में भी उन्होंने ऐसा ही किया। यहां तक कि उदाहरण प्रस्तुत करने के लिये सर्वप्रथम अपने गोरखनाथ मठ से उन्होंने लाउडस्पीकर उतरवाया।

उत्तर प्रदेश के सभी मदरसों में राष्ट्रगान
इसके साथ ही योगी ने एक और ऐसा कारनामा कर दिखाया जिसके बारे में सपने में भी नहीं सोचा जा सकता था। वह था- उत्तर प्रदेश के सभी मदरसों में अभी हाल में राष्ट्रगान- जन गण मन का गायन। आश्चर्यजनक तथ्य यह कि बगैर किसी विरोध के उत्तर प्रदेश के सभी मदरसों में शुरुआत में ही इसका गायन प्रारम्भ हो चुका है। निश्चित रूप से इस तरह मुस्लिमों को नई पीढ़ी, तंगदिल, संकीर्ण और कट्टर बनने की जगह राष्ट्र की मुख्यधारा से जुड़ सकेगी।

ऐतिहासिक तथ्य यह कि योगी ने संन्यासी राजा की कल्पना को साकार किया है। संन्यासी राजा से तात्पर्य ऐसे शासक से है जो राज-द्वेष, लोभ-लालच से पूरी तरह निस्पृह होकर कार्य करे। तभी तो जब गोरखपुर के एक कार्यक्रम में समस्याओं को लेकर भारी भीड़ इकट्ठी होती है तो वह अधिकारियों से कहते हैं, आखिर में आप लोग क्या करते हैं ? समस्याओं को लेकर इतनी भीड़ मेरे पास कैसे ? इससे साफ है कि वह निचले स्तर तक अधिकारियों से जवाबदेही और कर्तव्यनिष्ठा की अपेक्षा करते हैं। भाजपा कार्यकर्ताओं का एक समूह जब उनसे अधिकारियों के रवैये को लेकर शिकायत करता है तो वह पहले उनको दलाली से दूर रहते और प्रशासन में हस्तक्षेप न करने की नसीहत देते हैं। कुल मिलाकर योगी ऐसे मुख्यमंत्री हैं तो किसी भी स्तर पर तुष्टिकरण के पक्षधर नहीं और सर्वत्र न्याय देना चाहते हैं। जो सुशासन का मूलमंत्र है।

वीरेन्द्र सिंह परिहार (लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)

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