जानें क्या हैं आरक्षण पर सियासत के बदलते राग?

सुप्रीम कोर्ट में मराठा आरक्षण पर जो सुनवाई हुई उसको देखते हुए महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण पर पूर्व में लिये गए निर्णय का रक्षण और यूपी में आरक्षण पर नई राजनीति रंग रही है।

87

आरक्षण को लेकर सियासत अलग-अलग राग अलाप रही है। महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण उपसमिति ने यह मुद्दा अब केंद्र सरकार के मत्थे मढ़ने का काम शुरू कर दिया है। इसी प्रकार उत्तर प्रदेश में सपा ने अब जातिगत जनसंख्या के आधार पर सभी को आरक्षण देने की मांग रखी है।

सुप्रीम कोर्ट में मराठा आरक्षण पर जो सुनवाई हुई उसको देखते हुए महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण पर पूर्व में लिये गए निर्णय का रक्षण और यूपी में आरक्षण पर नई राजनीति रंग रही है। इस राजनीति में कौन क्या कह रहा है इस पर ध्यान लक्ष्यित करना आवश्यक है।

शेड्यूल 9 के अंतर्गत मिले संरक्षण – आशोक चव्हाण

मराठा आरक्षण को लेकर महाराष्ट्र में एक उपसमिति बनी हुई है। जिसके अध्यक्ष राज्य के कैबिनेट मंत्री अशोक चव्हाण हैं उन्होंने मांग की है कि मराठा आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा लगाए गए स्थगन आदेश को उठाया जाना चाहिए। इसमें केंद्र सरकार को भी मदद करनी चाहिए। तमिलनाडु को संविधान के शेड्यूल 9 के अंतर्गत मिला संरक्षण महाराष्ट्र को मिले यही हमारी भी मांग है।

https://www.facebook.com/HindusthanPostMarathi/videos/223001785976751/

इस मामले में अब केंद्र सरकारी को नोटिस भेजा गया है। इंद्रा साहनी मामले का निर्णय नौ सदस्यीय खंडपीठ ने लिया था। अब पांच सदस्यी खंडपीठ इस मामले में निर्णय ले ये योग्य नहीं है इसलिए हमारी मांग है कि सुप्रीम कोर्ट की वृहद खंडपीठ में मामले की सुनवाई होनी चाहिए।

क्या है इंद्रा साहनी का मामला?

मंडल कमीशन की सिफारिशों को लागू करने को लेकर तत्कालीन पीएम वीपी सिंह ने ज्ञापन दे दिया था। इसकी वैधता को 1 अक्टूबर, 1990 में दिल्ली की पत्रकार इंदिरा साहनी ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी। केंद्र सरकार बदलती रही इस बीच कांग्रेस सत्ता में आई और पीवी नरसिम्हा राव प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने 25 सितंबर, 1991 को आर्थिक आधार पर सवर्णों के लिए आरक्षण का प्रावधान जोड़ दिया। नरसिम्हा राव ने ज्ञापन के जरिये इस आरक्षण व्यवस्था को लागू कर दिया था। इन दोनों ज्ञापनों पर सुप्रीम कोर्ट में 9 जजों की संवैधानिक पीठ ने सुनवाई की।

पीठ ने 6-3 के आधार पर सुनाया निर्णय

  • कोर्ट ने कहा कि अनुच्छेद 16(4) एक तरह से अनुच्छेद 16(1) का ही विस्तार है। व्यवसाय के अवसर में समानता पर पिछड़े वर्ग का आरक्षण आड़े नहीं आता।
  • पिछड़ेपन का पहला आधार जाति ही है। इसमें डॉ.बाबासाहेब आंबेडकर के लोकसभा में दिये गए बयान को उद्धृत किया गया।
  • मंडल कमीशन की रिपोर्ट को कोर्ट ने पलट दिया। कोर्ट ने कहा कि यदि कोई आर्थिक तौर पर सक्षम है तो सामाजिक और शैक्षणिक तौर पर उसके पिछड़ा होने की संभावना बहुत कम है। ऐसे में पिछड़ा वर्ग के आरक्षण में क्रीमी लेयर का होना जरुरी है।
  • सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट तौर पर कहा था कि किसी भी स्थिति में आरक्षण कुल नियुक्ति का 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए।

अब अखिलेश बोले… सभी को मिले आरक्षण लेकिन…

समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने मांग की है कि सभी को आरक्षण मिलना चाहिए। ये आरक्षण जातिगत जनसंख्या के आधार पर लिया जाना चाहिए। अखिलेश यादव चित्रकूट गए थे। जहां उन्होंने ये बातें कही।

अखिलेश यादव के इस बयान पर टिप्पणियां भी शुरू हो गई हैं। जातिगत जनसंख्या के अनुसार आरक्षण के मुद्दे पर उन जातियों के लोगों ने प्रश्न उठाना शुरू किया है कि जिनकी जनसंख्या में हिस्सेदारी बहुत कम है लेकिन उनकी सामाजिक व आर्थिक स्थिति कमजोर है।

 

Join Our WhatsApp Community
Get The Latest News!
Don’t miss our top stories and need-to-know news everyday in your inbox.