मणिपुर हिंसा: धर्म और जमीन का क्या है चक्कर? क्यों मैतेयी के विरोध में नागा और कुकी?

देश में कुल 700 जिले हैं, जिनमें से 200 जिलों में हिंदू अल्पसंख्यक हो गया है। मणिपुर में मैतेयी समूह के साथ जो हो रहा है, वह हिंदू पर दबाव के माध्यम से दबाने का प्रयास हो तो इन्कार नहीं किया जा सकता।

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मैतेयी समूह
मैतेयी समूह को जनजातीय दर्जा दिये जाने के विरोध में नागा और कुकी जनजाति की हिंसा

मणिपुर में फैली हिंसा के पीछे जनजातीय व्यवस्था के अंतर्गत मिले भूमि के एकाधिकार को माना जा रहा है। लेकिन, जब इसकी गर्त तक जाएं तो धर्म भी इसमें शामिल है। मणिपुर के मूल निवासी मैतेयी समूह (Meitei Group) को अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा दिये जाने के लिए राज्य सरकार को आवश्यक अनुशंसा भेजने का आदेश उच्च न्यायालय ने दिया है, लेकिन इसका विरोध नागा और कुकी जनजाति के लोग कर रहे हैं। इसमें बड़े स्तर पर आगजनी और संपत्तियों को क्षति पहुंचाई गई है।

मणिपुर उच्च न्यायालय ने एक आदेश दिया कि, राज्य के मूल निवासी मैतेयी समूह को अनुसूचित जनजाति के अंतर्गत निर्दिष्ट करने के लिए केंद्र सरकार के पास अनुशंसा पत्र तत्काल भेजा जाए। इसका विरोध कुकी और नागा जनजाति के लोगों ने शुरू कर दिया। इन जनजातियों ने मैतेयी बस्तियों पर हमले कर दिये, आग लगा दिये। पुलिस के अनुसार 54 से अधिक लोगों की जान गई है। दंगाइयों को देखते ही गोली मारने के आदेश दिये गए हैं। मैतेयी में अधिकांश हिंदू हैं जबकि कुकी और नागा समूह ईसाई हैं।

मूल लड़ाई पहाड़ी के साम्राज्य की
मैतेयी समूह मैदानी हिस्से में रहता है, जबकि, नागा और कुकी जनजातियां पहाड़ियों पर रहती है। मणिपुर का 90 प्रतिशत हिस्सा पहाड़ी और मात्र 10 प्रतिशत हिस्सी ही मैदानी है। पहाड़ी हिस्से पर नागा और कुकी जनजातियों का कब्जा है। इसका कारण है कि, मैदानी हिस्से जो राज्य का मात्र दस प्रतिशत है, उसे छोड़कर 90 प्रतिशत क्षेत्रफल वाले पहाड़ी क्षेत्र को जनजातीय क्षेत्र घोषित किया गया है, जहां मात्र अनुसूचित जनजाति के लोग ही रह सकते हैं, भूमि खरीद सकते हैं। अब यदि मैतेयी समूह को अनुसूचित जनजाति का दर्जा मिलता है तो, पहाड़ी क्षेत्रों में वर्षों से चले आ रहा कुकी और नागा का एकाधिकार समाप्त हो जाएगा। वर्तमान में मैतेयी के कई सूमह ओबीसी में आते हैं।

सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 317-सी के अंतर्गत पहाड़ी क्षेत्र को वर्गीकृत किया गया है। इसी अनुच्छेद के अंतर्गत स्थानीय विधायकों को सम्मिलित करके हिल एरिया कमेटी और विलेज अथॉरिटी के माध्यम से निर्णय लेने का अधिकार भी दिया गया है। इसका लाभ लेकर हिल एरिया कमेटी और विलेज अथॉरिटी दोनों ही गैर अनुसूचित जनजाति के लोगों को पहाड़ी क्षेत्र में भूमि खरीदने का अधिकारी नहीं देती।

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कौन हैं मैतेयी?
मैतेयी समूह मणिपुर के मूल निवासी हैं। उनकी जनसंख्या राज्य में लगभग 53 प्रतिशत है। जबकि 1951 में उनकी जनसंख्या लगभग 59 प्रतिशत थी। मैतेयी में दो शाखाएं हैं, जिसमें एक शाखा है मैतेयी हिंदू और दूसरी मैतेयी पांगल जो इस्लाम को माननेवाली है। मैतेयी समाज मणिपुर का प्रभावशाली समूह है, जो राज्य की 60 विधानसभा सीटों में से 40 पर प्रबल है।

क्या है न्यायालय का आदेश?
मैतेयी समूह दशकों से अपने को अनुसूचित जनजाति की सूची में निर्दिष्ट किये जाने की मांग कर रहा है। इसको देखते हुए कई याचिकाएं उच्च न्यायालय में दायर की गई थीं। जिस पर सुनवाई करते हुए मणिपुर उच्च न्यायालय ने 27 मार्च, 2023 को राज्य सरकार को आदेश दिया कि, राज्य सरकार मैतेयी को अनुसूचित जनजाति की सूची में सम्मिलित करने के विषय में आधिकारिक अनुशंसा करे। उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार पर इस विषय को दस वर्षों तक प्रलंबित रखने के लिए टिप्पणी भी की।

जनजाति सूची में था मैतेयी समूह
प्रमाणों के अनुसार मैतेयी समूह 1949 तक मणिपुर के अनुसूचित जनजाति सूची में शामिल रहा है। लेकिन जब अनुच्छेद 341 और 342 के अनुसार विभिन्न जातियों और जनजातियों को अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के रूप में निर्दिष्ट किया गया, उस समय मैतेयी समूह को हिंदू होने के कारण छोड़ दिया गया।

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