मालाड के उस मैदान पर ‘टीपू’ ही ‘सुल्तान’

टीपू सुल्तान को लेकर हिंदू संगठनों और मुसलमानों में विरोध चलता रहा है। इतिहास को देखते हुए हिंदू सदा से ही टिपू को आक्रांत मानते आए हैं, जबकि इस्लामिक स्कॉलर उसका महिमा मंडन करते हैं.

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मुंबई के मालाड क्षेत्र में एक सरकारी मैदान को टीपू सुल्तान का नाम दिये जाने को लेकर बवाल मचा था। स्थानीय कांग्रेस विधायक ने प्रभाग क्रमांक 30 में मुंबई जिलाधिकारी के भूखंड पर खेल के मैदान का सुशोभिकरण करवाया था। इस मैदान का नाम उन्होंने टीपू सुल्तान मैदान किया, जिसका सभी दलों ने विरोध प्रदर्शन किया था। इसके बाद कई महीने बीतने के बाद भी मैदान की नामपट्टिका टीपू सुल्तान ही है।

जनवरी 2022 मे तत्कालीन पालक मंत्री अस्लम शेख ने जिलाधिकारी के स्वामित्व के मैदान का सुशोभिकरण किया था। इसके बाद बिना किसी अनुमति के उन्होंने इस मैदान का नाम टीपू सुल्तान कर दिया। इसके विरोध में उस क्षेत्र में बड़ा आंदोलन हुआ, विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल ने प्रदर्शन किया। भारतीय जनता पार्टी समेत विभिन्न दलों के नेताओं ने इसका विरोध किया। लेकिन मैदान के नाम की पट्टिका वर्तमान में भी टीपू के नाम पर ही है।

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हिंदुत्ववादी सरकार और मैदान में टीपू सुल्तान
महाराष्ट्र में महाविकास आघाड़ी सरकार के पतन के बाद भाजपा और बालासाहेब की शिवसेना की सरकार आई है। इस सरकार को भी तीन महीने से अधिक समय बीत गया है, लेकिन टिपू अब भी मलाड के मैदान पर सुल्तान हैं। इस मुद्दे को उठाते हुए स्थानीय सांसद गोपाल शेट्टी ने पत्र लिखा है कि, यह भूखंड महाराष्ट्र सरकार का है। इसे खेल का मैदान बनाने के बाद इसके नामकरण को लेकर एक भी प्रस्ताव प्रशासन के पास नहीं था। इसके बाद भी स्थानीय विधायक अस्लम शेख ने इसका नामकरण टीपू सुल्तान के नाम कर दिया। इसका विरोध करनेवालों को उस समय जेल में भी जाना पड़ा था। अस्लम शेख अपने पद का उपयोग करते हुए उस समय शांति भंग करने का कार्य किया था। अब 7 नवंबर, 2022 को सांसद गोपाल शेट्टी ने उपनगर जिलाधिकारी निधि चौधरी को पत्र लिखकर टीपू सुल्तान की नाम पट्टिका हटवाने की मांग की है।

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