ठाकरे ‘शाही’ ही हुई अस्वीकार!

शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे के प्रखर नेतृत्व में जन्मीं और विकसित हुई शिवसेना के समक्ष विपरीत परिस्थिति उत्पन्न हो गई है। बालासाहेब स्वयं सत्ता से दूर रहे परंतु, उनकी अगली पीढ़ी ने सत्ता को स्वीकार किया और ढाई वर्ष के कार्यकाल के बाद पार्टी में बड़ी फूट के साथ टूट की कगार पर है।

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महाराष्ट्र में राजनीतिक गतिविधियां तेजी से बदल रही है। इस बीच ठाकरे परिवार के युवराज ने अपने ट्वीटर हैंडल से मंत्री पद का उल्लेख हटा दिया है, साथ ही संजय राऊत ने अपने एक ट्वीट से स्पष्ट कर दिया है कि, सरकार बरखास्तगी होगी। कभी एकजुटता में प्रेरक शिवसेना की यह गति कैसे आई यह जितना बड़ा प्रश्न है उसी से जुड़ा यह प्रश्न भी है कि, शिवसेना में ठाकरे शाही क्या अस्वीकार हो गई?

शिवसेना किसकी यह सबसे बड़ा प्रश्न अब खड़ा है, क्योंकि एकनाथ शिंदे के साथ पैंतीस से अधिक विधायकों के जाने की स्थिति में जो आंकड़े शिवसेना के पास बचे हैं उससे यही प्रश्न उठा है। एकनाथ शिंदे के साथ शिवसेना के 2/3 विधायक होते हैं तो मात्र गिनती के पंद्रह से बीस विधायकों का आंकड़ा ही उद्धव ठाकरे के पास बचेगा। ऐसी स्थिति में शिवसेना किसकी होगी यह भी एक द्वंद से कम नहीं है।

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ठाकरे का अपयश
जिस ठाकरे परिवार के आगे शिवसैनिक कभी सिर नहीं उठाते थे, उसी शिवसेना के बड़ी संख्या में विधायकों ने विद्रोह कर दिया है। ऐसे में यह ठाकरे परिवार या उद्धव ठाकरे का अपयश माना जा रहा है। राज्य में सरकार गिरना लगभग तय हो गया है।

हटाया मंत्री का उल्लेख
मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के पुत्र आदित्य ठाकरे और राज्य के पर्यटन मंत्री ने अपने ट्वीटर हैंडल से मंत्री पद का उल्लेख हटा दिया है।

राऊत का वो ट्वीट
शिवसेना के मुख्य प्रवक्ता संजय राऊत ने अपने ट्वीटर हैंडल में लिखा है कि, राज्य सरकार बर्खास्तगी की ओर… यह अपने आपमें स्पष्ट संकेत है कि, कैबिनेट बैठक के बाद मुख्यमंत्री त्यागपत्र दे सकते हैं।

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