कांग्रेस में उठापटक की स्थिति कभी समाप्त होनेवाली नहीं लगती है। कभी विधान सभा अध्यक्ष रहे नाना पटोले की दृष्टि अब ऊर्जा मंत्री नितिन राऊत के मंत्री पद पर है। समाचार है कि इसके लिए वे जोरदार लॉबिंग भी कर रहे हैं। परंतु, इस सबके बावजूद होगा वही जो हाइकमांड ने चाहा होगा।
विधान सभा अध्यक्ष पद से त्यागपत्र के बाद नाना पटोले को महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाया गया था। लेकिन नाना को मंत्री पद की आस लगी हुई है। इसलिए, वे अपने लिए मंत्री पद की खोज कर रहे हैं। तीन दलों की सरकार में सबके हिस्से के मंत्रालय बंटे हुए हैं। ऐसे में नाना के आगे अपने ही किसी मंत्री का पद लेने के अलावा कोई चारा नहीं बचा है। सूत्रों के अनुसार इसके लिए नाना की नजर ऊर्जा मंत्री नितिन राऊत के मंत्री पद पर है।
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इसलिए नाना के लिए हो सकती है हां
नाना के मंत्री पद की राह राऊत के कार्य ही प्रबल कर रहे हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार राज्य में कांग्रेस की परिस्थिति को सुधारने के लिए ही अध्यक्षों में बदलाव और आक्रामकता को अपनाया गया है। इस आक्रामकता में एक नारा आया ‘स्वबल’ का, जिसे कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष नाना पटोले ने उठाया था महाविकास आघाड़ी सरकार की गली से परंतु उसकी गूंज दिल्ली तक पहुंच गई। इसके लिए भले ही ‘नाना पटोले की हाइकमांड से शिकायत’ और ‘नाना हो गए चुप’ के नाम पर एक विशेष वर्ग द्वारा प्रचारित किया गया लेकिन, कांग्रेस की यह रणनीति की सफलता है कि जहां कांग्रेस के मंत्री अपनी अनदेखी से परेशान थे, वहीं एक प्रदेशाध्यक्ष ने सरकार को बैखलाहट में ला दिया, वह भी सरकार में बगैर कुछ किये।
राऊत की ही कुर्सी क्यों खतरे में?
नितिन राऊत के पास वर्तमान में ऊर्जा मंत्री का पद है और वे नागपुर जिले के गार्जियन मंत्री हैं। इन जिम्मेदारियों को लेकर उनके कार्यों को देखा जाए तो उनका मंत्री पद क्यों खतरे मे है इसका पता लग सकता है।
⇒ लॉकडाउन में बिजली बिल उपभोक्ताओं ने छूट की मांग की थी, इसके लिए जन आक्रोश बढ़ने पर राऊत साहब ने राहत देने की सुगबुगाहट शुरू की, लेकिन वह रंग नहीं लाई। इसके बाद राऊत ने आरोप लगाया कि सरकार में उनकी बातों को नहीं सुना जा रहा है। इसके कारण कांग्रेस की ही फजीहत अधिक हुई और जनआक्रोश बढ़ा वह अलग।
⇒ नितिन राऊत के पास ऊर्जा मंत्री का पद रहने के अलावा नागपुर जिले के गार्जियन मंत्री की भी जिम्मेदारी है। इसके अंतर्गत 12 विधान सभा और 2 लोकसभा सीटें आती हैं। लेकिन कांग्रेस के कार्यों को लेकर इस काल में कोई विशेष बड़े आयोजन नहीं हुए साथ ही नितिन राऊत को लेकर लोगों में बड़ी नाराजगी ही सामने आ रही है। इसके कारण उनकी नागपुर उत्तर की सीट भी कांग्रेस के हाथ से निकल सकती है।
⇒ कोरोना के कारण महाराष्ट्र सरकार वर्चुअल ही अधिक दिखती है। ऐसे में नितिन राऊत अपने स्वास्थ्य कारणों के कारण आराम में अधिक रहते रहे हैं। उनका निकलना नागपुर डिविजनल आयुक्त कार्यालय जैसे कुछ स्थानों तक ही सीमित है, जबकि मुंबई में उनके कार्यों का संचालन उनकी पुत्री के हाथों होने की भी खबरें हैं।
⇒ जब कोरोना से महाराष्ट्र का सामान्य व्यक्ति परेशान था, उस समय नितिन राऊत के आधिकारिक बंगले की मरम्मत ने कांग्रेस पार्टी की छवि को धूमिल किया था। भले ही इस बंगले की मरम्मत के लिए फंड का आबंटन पहले ही होने की बात की जाती रही परंतु, जन सामान्य की निगाह में कांग्रेस की छवि ही नकारात्मक हुई।
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