महाराष्ट्रः मानसून सत्र मात्र दो दिन का! विपक्ष का हल्लाबोल

महाराष्ट्र विधानमंडल के मानसून सत्र की घोषणा कर दी गई है। दो दिन तक चलने वाले इस सत्र को लेकर विपक्ष ने उद्धव सरकार की कड़ी आलोचना की है।

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महाराष्ट्र में कोरोना संक्रमण पर नियंत्रण तो है लेकिन खतरा अभी पूरी तरह टला नहीं है। इसलिए सावधानी अभी भी जरुरी है। इस कारण विधानमंडल का मानसून सत्र मात्र दो दिन में निपटा देने का निर्णय लिया गया है। संसदीय कार्य मंत्री अनिल परब ने इस बात की जानकारी दी।

संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि प्रदेश में पांच व छह जुलाई को दो दिवसीय मानसून सत्र का आयोजन किया जाएगा। लेकिन सरकार के इस निर्णय की विपक्ष ने कड़ी आलोचना की है।

क्या कहा अनिल परब ने?
अनिल परब ने कहा कि राज्य में कोरोना मरीजों के आ रहे आंकड़ों के साथ-साथ नए स्ट्रेन के खतरे का भी डर बरकरार है। इसलिए सावधानी जरुरी है। इसे देखते हुए कामकाज सलाहकार समिति ने मानसून सत्र को पारंपरिक तरीके से न चलाकर दो दिन ही चलाने का निर्णय लिया है। इस बारे में जानकारी देते हुए संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि अधिवेशन में प्रश्नोत्तर और अन्य तरह की परंपराओं का पालन नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि कामकाज के एजेंडे में विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव भी शामिल है।

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सरकार में शामिल पार्टियों में समन्वय
अनिल परब ने महाविकास आघाड़ी सरकार में मतभेद और उठापटक को लेकर जारी अटकलों पर भी विराम लगा दिया। उन्होंने कहा कि सरकार अच्छी तरह से काम कर रही है और तीनों पार्टियों में बेहतर समन्वय है।

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फडणवीस ने की आलोचना
विधानसभा में विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस ने दो दिवसीय मानसून सत्र आयोजित करने को लेकर सरकार की आलोचना की है। फडणवीस ने कहा है कि सरकार कोरोना के डर से अधिवेशन नहीं करना चाहती, यह उसकी मानसिकता है, लेकिन सरकार की यह भी जिद है कि दो दिवसीय सत्र के दौरान विपक्ष प्रश्न न पूछे। राज्य में किसानों की कई समस्याएं हैं, कई किसानों को भारी नुकसान हुआ है। राज्य की जनता को आठ दिनों तक बिना बिजली के रहना पड़ रहा है। कानून-व्यवस्था की स्थिति विकट है और राज्य में मराठा आरक्षण का एक बड़ा मुद्दा है। इसके बावजूद राज्य सरकार दो दिनों में अधिवेशन को समेट रही है।

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