महाराष्ट्रः ऐसा होगा दो दिन का मानसून सत्र!

84

महाराष्ट्र का मानसून सत्र 5 और 6 जुलाई को आयोजित किया जाना है। कोरोना संकट के चलते राज्य सरकार ने इस बार यह सत्र मात्र दो दिन का आयोजित करने का फैसला किया है। अब हर कोई यह पूछ रहा है कि दो दिवसीय सत्र में राज्य सरकार क्या करेगी? हालांकि, सरकार ने इस दो दिवसीय सत्र संचालन को लेकर योजना बन ली है।

यह पूछे जाने पर कि दो दिवसीय मानसून सत्र में क्या कुछ हो सकता है, वरिष्ठ पत्रकार विवेक भावसर ने कहा कि शोक प्रस्ताव और पूरक मांगों को सत्र के पहले दिन पेश किया जाएगा, जबकि दूसरे दिन जरुरी विधेयक के साथ ही पूरक मांगों को मंजूरी दी जाएगी। कोविड काल में जहां अधिकांश खर्च स्वास्थ्य पर हुआ है, वहीं अन्य विभागों को भी धनराशि का वितरण नहीं किया गया है। सरकार ने 30 प्रतिशत ज्यादा रकम खर्च नहीं करने का आदेश दिया है। इसलिए वेतन, छात्रवृत्ति और पेंशन, स्वास्थ्य के अलावा कोई विकास कार्य नहीं हुआ है। ।

ये है असली कारण
ठाकरे सरकार ने कोरोना संक्रमण को देखते हुए दो दिनों का मानसून सत्र आयोजित करने का फैसला किया है, क्योंकि अगर सत्र को आगे बढ़ाया गया, तो विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव करना पड़ता। चूंकि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और शिवसेना फिर से कांग्रेस को अध्यक्ष पद नहीं देना चाहती हैं, इसलिए सरकार ने दो दिनों का मानसून सत्र आयोजित करने का निर्णय लिया।

ये भी पढ़ेंः लाहौर धमाके के जरिये हाफिज को मिली चेतावनी?

क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
सरकार का इरादा बिना अध्यक्ष के मानसून सत्र आयोजित करने का है। इस बारे में पूछे जाने पर, सेवानिवृत्त विधायकों ने कहा कि यह राज्य सरकार पर निर्भर है कि वह विधान सभा अध्यक्ष का चुनाव करे या न करे। जब अध्यक्ष नहीं होता है, तो उपाध्यक्ष के पास संविधान के प्रावधानों के तहत सभी शक्तियां होती हैं। इसलिए उपाध्यक्ष सभी मामलों को चला सकते हैं। सरकार दो दिवसीय सत्र के लिए अध्यक्ष चुनने की जल्दबाजी नहीं करेगी।

ये भी पढ़ेंः महाराष्ट्रः अनिल देशमुख के निवास पर ईडी का छापा! रडार पर ये तीन करीबी

पहले भी हो चुका है ऐसा
नाना पटोले के कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने के बाद उन्हें विधानसभा अध्यक्ष पद से इस्तीफा देना पड़ा था। तब से यह पद रिक्त है। हालांकि यह पहली बार नहीं है, जब अध्यक्ष के बिना सत्र आयोजित किया जाएगा। 1980 में भी ऐसा ही हुआ था। उस समय लोकसभा चुनाव में तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष शिवराज पाटील को लातूर निर्वाचन क्षेत्र से उम्मीदवार घोषित किया गया था। नतीजतन, उन्होंने दिसंबर 1979 में विधानसभा अध्यक्ष के पद से इस्तीफा दे दिया। इसलिए जनवरी 1980 में विधानसभा सत्र बिना स्पीकर के आयोजित करना पड़ा।

Join Our WhatsApp Community
Get The Latest News!
Don’t miss our top stories and need-to-know news everyday in your inbox.