महाराष्ट्रः दूध का दाम बढ़ाने की मांग को लेकर मंत्रालय पर मार्च!

महाराष्ट्र के कई हिस्सों में गाय का दूध 18 से 20 रुपये प्रति लीटर मिल रहा है, जबकि राज्य सरकार के सर्कुलर के अनुसार इसका न्यूनतम दर 25 रुपए प्रति लीटर है।

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कोरोना काल में अन्य क्षेत्र के लोगों के साथ ही दूध उत्पादक किसानों की भी परेशानी बढ़ गई है। इससे भी चिंता की बात है कि इस दौरान दूध के दाम गिर गए हैं। इससे उनकी आर्थिक परेशानी और बढ़ गई है। इसी मुद्दे को लेकर महाराष्ट्र के रयत क्रांति संगठन ने 10 जून को राज्यव्यापी आंदोलन किया। इस दौरान संगठन के संस्थापक-अध्यक्ष विधायक सदाभाऊ खोत ने मंत्रालय पर मार्च निकाला। इस समय दूध उत्पादक किसान तथा कार्यकर्ता भी उनके साथ थे।

खोत ने कहा कि आज महाराष्ट्र के कई हिस्सों में गाय का दूध 18 से 20 रुपये प्रति लीटर मिल रहा है। राज्य सरकार के सर्कुलर के अनुसार दूध का न्यूनतम दर 25 रुपए प्रति लीटर है। दूसरी ओर कम दाम देने वाली कंपनियों के खिलाफ सरकार का डेयरी विकास विभाग कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है। इतना ही नहीं, यह भी कहा जा रहा है कि निजी दूध कंपनियों और अन्य लोगों के खिलाफ किसी की कार्रवाई करने का कोई अधिकार नहीं है।

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तय किया जाए न्यूनतम मूल्य
सदाभाऊ खोत ने मांग की है कि जिस तरह गन्ना उत्पादकों और चीनी मिलों के बीच, गन्ने का न्यूनतम आधारभूत मूल्य यानी एफआरपी है, उसी तरह दूध को भी एफआरपी या एमएसपी मिलना चाहिए। खोत ने कहा कि राज्य में दूध उत्पादकों को समान कीमत देने की जरूरत है। गन्ना के लिए रंगराजन समिति की सिफारिश के अनुसार, 70/30 का  फॉर्मूला है, उसी तरह दूध के लिए भी कम से कम 85/15 के फॉर्मूला तय किया जाना चाहि। 1966-67 के बाद से  कोई दूध तत्व मापक यंत्र का उपयोग करते नहीं देखा जा रहा है।

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सरकार द्वारा घोषित मूल्य मिलना जरुरी
खोत ने कहा कि गिर, धारपारकर जैसी हमारी गाय की नस्लें विश्व स्तर की हैं। दूध की कीमत कम होने के कारण महाराष्ट्र में कई दूध उत्पादकों ने आत्महत्या कर ली है। खोत ने यह भी कहा कि दूध उत्पादकों को कम से कम राज्य सरकार द्वारा घोषित दरों के अनुसार कीमतें मिलनी चाहिए। इन सभी मांगों को लेकर विधायक सदाभाऊ खोत ने महाविकास अघाड़ी सरकार के खिलाफ मंत्रालय के सामने आंदोलन किया।

 बाद में खोत ने मंत्रालय में डेयरी विकास विभाग के सचिव अनूप कुमार से मुलाकात की। इस मामले में अनूप कुमार ने उन्हें सकारात्मक आश्वासन दिया।

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