Maharashtra-Jharkhand Assembly Polls: अब महाराष्ट्र -झारखंड में महासंग्राम, कांग्रेस लेगी बदला या भाजपा करेगी डबल धमाका?

वहीं, विपक्षी दलों की चिंता भी बढ़ गई है। अब भाजपा आगामी विधानसभा चुनावों में कड़ी टक्कर देगी।

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  • अमन दुबे

Maharashtra-Jharkhand Assembly Polls: हरियाणा विधानसभा चुनाव (Haryana Assembly Elections) के नतीजे भाजपा (BJP) के लिए हौसला बढ़ाने वाले साबित हुए हैं। इस प्रदेश में जीत की हैट्रिक (Hat Trick) लगाकर भाजपा ने विपक्षी दलों (Opposition Parties) को महाराष्ट्र (Maharashtra) और झारखंड (Jharkhand) में होने वाले विधानसभा चुनावों (Assembly Elections) के लिए तैयार रहने की चुनौती दे दी है। वहीं, विपक्षी दलों की चिंता भी बढ़ गई है। अब भाजपा आगामी विधानसभा चुनावों में कड़ी टक्कर देगी।

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भाजपा को कमजोर समझना भूल
दरअसल, माना जा रहा था कि लोकसभा चुनाव के नतीजों ने भाजपा को कमजोर कर दिया है। इसका नुकसान हरियाणा के साथ-साथ अन्य राज्यों के विधानसभा चुनावों में भी होगा। लोकसभा चुनाव के बाद विधानसभा चुनाव के पहले चरण में हरियाणा जीतकर भाजपा ने दिखा दिया है कि वह बहुत व्यवस्थित तरीके से चुनाव लड़ रही है। उसे कमजोर समझने की भूल विपक्षी दलों के लिए भारी पड़ सकती है।

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विपक्ष को खुली चुनौती
एक तरफ हरियाणा में हार के बाद कांग्रेस कार्यकर्ताओं का मनोबल गिर गया है, वहीं दूसरी तरफ भाजपा कार्यकर्ता अब दोगुनी मेहनत के साथ चुनावी मैदान में उतरेंगे। आने वाले 4 महीनों में 3 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं, जिसमें महाराष्ट्र, झारखंड और दिल्ली की जनता को अपना नया नेता चुनना होगा।

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महाराष्ट्र में स्थिति
महाराष्ट्र में आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारी में महायुति यानी भाजपा, शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह कई बार राज्य का दौरा कर चुके हैं। वहीं, महाविकास अघाड़ी यानी कांग्रेस, उबाठा (शिवसेना), शरदचंद्र पवार (एनसीपी) में चुनाव को लेकर सिर्फ लड़ाई देखने को मिल रही है। इंडी गठबंधन का ध्यान रणनीति बनाने से ज्यादा सीट शेयरिंग पर है। इस वजह से वे अपने एजेंडे को तीखे तरीके से जनता के बीच नहीं रख पा रहे हैं।

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कांग्रेस का मोरल डाउन
सूत्रों के अनुसार, हरियाणा में कांग्रेस की करारी हार के बाद अब महाराष्ट्र में भी उद्धव ठाकरे और शरद पवार कांग्रेस की नहीं सुन रहे हैं। भले ही कांग्रेस लोकसभा चुनाव में ज्यादा सीटें जीतकर राज्य में सबसे बड़ी पार्टी बन गई थी, लेकिन इस हार के बाद अब कांग्रेस को शांत होना पड़ेगा। इस वजह से उद्धव ठाकरे और शरदचंद्र पवार अब कांग्रेस को अपनी राजनीति नहीं चलाने देंगे। अब उसे सिर झुकाकर उनकी बात माननी पड़ेगी।

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दशहरा के बाद होगी चुनाव की घोषणा
महाराष्ट्र विधानसभा का कार्यकाल 26 नवंबर 2024 और झारखंड का कार्यकाल 5 जनवरी 2025 को खत्म हो रहा है। चुनाव आयोग दशहरा के बाद महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर सकता है। 6 राज्यों की 28 सीटों पर उपचुनाव की घोषणा भी एक साथ हो सकती है।

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सीट बंटवारे में फंसी भाजपा
गौरलतब हो कि महाराष्ट्र विधानसभा में कुल 288 सीटें हैं। भाजपा ज्यादा से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है, लेकिन इस बार उसके सामने एक नहीं बल्कि दो सहयोगियों को साधने की चुनौती है। इनमें शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी शामिल है। इन दो सहयोगियों के अलावा महायुति में कुछ छोटी पार्टियां भी हैं। अब देखना यह है कि भाजपा अपनी सीटों की संख्या कम किए बिना दो बड़े सहयोगियों को साधने में कैसे सफल होती है।

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भाजपा के लिए चुनौती
राजनीतिक विशेषज्ञ और युवा पत्रकार धनराज सालवी ने हिन्दुस्थान पोस्ट से बात करते हुए कहा कि राज्य में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव कई पार्टियों का भविष्य तय करेंगे। उन्होंने कहा कि दोनों गठबंधनों के घोषणापत्र बताएंगे कि जनता उनके साथ है या नहीं। उन्होंने आगे कहा कि चुनाव में भाजपा के लिए चुनौतियां हैं। मराठा आरक्षण के मुद्दे को जल्द से जल्द सुलझाना होगा। दूसरी चुनौती शिवसेना और एनसीपी में दरार के बाद उद्धव और शरद पवार के साथ लोगों की सहानुभूति हो सकती है।

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झारखंड में विकास और भ्रष्टाचार बड़ा मुद्दा
झारखंड में विकास और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर भाजपा को बात करनी होगी। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि आपने देखा होगा कि पिछले कुछ महीनों में राज्य में  भ्रष्टाचार के कई मामले देखने को मिले हैं और पता नहीं कब विकास होगा। अगर भाजपा सत्ता में आती है तो विकास के मुद्दे पर जनता के कई सालों से लंबित कामों को सुलझाना और पूरा करना होगा।

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कमजोर पड़ी झारखंड मुक्ति मोर्चा
हेमंत सोरेन के कार्यकाल में झारखंड में विकास परियोजनाओं की गति धीमी रही है और कई इलाकों में बुनियादी सुविधाओं की कमी के आरोप हैं। हेमंत सोरेन की सरकार पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों ने भी कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा की स्थिति को कमजोर किया है। जनता के बीच यह धारणा है कि गठबंधन सरकार अपने वादों को पूरा करने में विफल रही है, जो चुनाव के दौरान कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है।

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