स्वास्थ्य गड़बड़ाया: महाराष्ट्र सरकार के आरोप क्या है केंद्र का उत्तर? पढ़ें खबर

कोरोना के आंकड़ों के बढ़ने और टीके की खुराक को लेकर केंद्र व राज्य सरकार में विरोधी सुर फूट पड़े हैं। राज्य सरकार ने केंद्र पर दोहरी नीति अपनाने का आरोप मढ़ा है तो केंद्र सरकार ने पिछले एक वर्षों का लेखाजोखा प्रस्तुत करके उसका उत्तर देने का प्रयत्न किया है।

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महाराष्ट्र और केंद्र सरकार के बीच कोविड-19 प्रबंधन को लेकर टीका पर टिप्पणियां शुरू हो गई हैं। महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे द्वारा फेसबुक लाइव कर जो आरोप और दावे किये गए उसका उसी की भाषा में उत्तर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने दिया है। उन्होंने कहा है कि कोरोना के प्रादुर्भाव को एक वर्ष होने के बावजूद कुछ राज्यों को कोरोना नियंत्रण का प्रबंधन नहीं आया है। जबकि, महाराष्ट्र में टीका केंद्र ठप हो रहे हैं। कोविड 19 संक्रमण दिनोंदिन उग्र रूप धारण करता जा रहा है।

भाजपा शासित राज्यों को अधिक खुराक
महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने टीके पर केंद्र सरकार को घेरा उन्होंने आरोप लगाया है कि, भाजपा शासित राज्यों को अधिक मात्रा में टीका उपलब्ध कराया जा रहा है। उन्होंने कहा है कि राज्य को कम से कम एक सप्ताह के भंडारण क्षमता जितना टीके की खुराक दी जाए। राजेश टोपे द्वारा केंद्र सरकार पर लगाए गए आरोप इस प्रकार हैं।

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  • हमारी मांग है सप्ताह में 40 लाख टीके की खुराक
  • हमे मिल रही है 17 लाख खुराक
  • कर्मचारियों की हमारे यहां कोई कमी नहीं
  • हमारे पास टीकाकरण के लिए कर्मचारी पर्याप्त
  • 18 से 45 का आयु वर्ग सबसे अधिक बाहर निकलने वाला उन्हें दिया जाए टीका
  • केंद्र सरकार सहायता कर रही लेकिन जैसा करना चाहिए वैसा नहीं
  • गुजरात की जनसंख्या 6 करोड़, उन्हें एक करोड़ टीके की खुराक
  • महाराष्ट्र की जनसंख्या 12 करोड़, खुराक 1 करोड़ 4 लाख
  • आज मात्र नौ लाख टीके की खुराक है जो डेढ़ दिन चलेगी
  • राज्य के 30 जिलों के लिए केंद्रीय टीम आई
  • वे सभी जिलों में निरिक्षण करके देंगे रिपोर्ट
  • हाफकिन इंस्टिट्यूट को मिले टीका निर्माण की अनुमति
  • 15 अप्रैल के बाद राज्य को मिलेंगे 17 लाख टीके की खुराक
  • रेमडेसवीर की उपलब्धता आवश्यकतानुसार उपलब्ध हो
  • मुख्यमंत्री और शरद पवार कर रहे हैं कंपनियों से बात

एक वर्ष में प्रबंधन नहीं आया

  • केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्ष वर्धन ने महाराष्ट्र सरकार के दावे पर एक-एक कर उत्तर दिया है। उन्होंने कहा है कि महाराष्ट्र सरकार को महामारी नियंत्रित करने के लिए और बहुत कुछ करने की आवश्यकता
  • केंद्र सरकार उनकी हर संभव मदद करेगी। लेकिन राजनीति खेलने और झूठ फैलाने के लिए अपनी सारी ऊर्जाओं पर ध्यान केंद्रित करने से महाराष्ट्र के लोगों का नहीं होगा भला
  • जब राज्य 18 साल से अधिक लोगों को सभी को वैक्सीन की आपूर्ति खोलने के लिए कहते हैं, तो हमें यह मानना ​​होगा कि उन्होंने अपने राज्य में सभी स्वास्थ्य कर्मियों, फ्रंटलाइन वर्कर्स और वरिष्ठ नागरिकों का टीकाकरण हुआ पूर्ण
  • महाराष्ट्र ने केवल पहली डोज के तहत 86% स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं का टीकाकरण किया है। इसी तरह दिल्ली और पंजाब में यह संख्या क्रमश: 72% और 64% है। दूसरी तरफ 10 भारतीय राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों ने 90% से अधिक का टीकाकरण किया है।
  • जबकि दूसरी डोज के आधार पर देखा जाय तो महाराष्ट्र ने केवल 41% स्वास्थ्य कर्मचारियों का टीकाकरण किया है। इसी तरह दिल्ली और पंजाब ने क्रमश: 41% और 27% लोगों का टीकाकरण किया है। जबकि 12 राज्य / केन्द्र शासित प्रदेश ऐसे हैं जिन्होंने 60% से अधिक का टीकाकरण किया है।
  • फ्रंटलाइन वर्कर्स को पहली डोज देने के मामले में महाराष्ट्र ने केवल 73 फीसदी का टीकाकरण किया है। इसी तरह दिल्ली और पंजाब ने क्रमश: 71% और 65%का टीकाकरण किया है। वहीं 5 राज्य / केन्द्र शासित प्रदेश हैं ने 85% से अधिक लोगों का टीकाकरण किया है।
  • वहीं फ्रंटलाइन वर्कर्स को दूसरी डोज देने के मामले में महाराष्ट्र ने 41%का टीकाकरण किया है। इसी तरह दिल्ली और पंजाब के लिए ये संख्या क्रमश: 22% और 20% है। जबकि 6 राज्य / केन्द्र शासित प्रदेश ऐसे हैं जिन्होंने 45% से अधिक लोगों का टीकाकरण किया है।
  • जब वरिष्ठ नागरिकों की बात आती है, तो महाराष्ट्र ने सिर्फ 25% का टीकाकरण किया है, दिल्ली ने 30% और पंजाब ने केवल 13% टीकाकरण किया है। इसी तरह 4 राज्य / केंद्र शासित प्रदेश हैं जो पहले ही 50% से अधिक टीकाकरण कर चुके हैं।

क्या यह स्पष्ट नहीं है कि ये राज्य टीकाकरण का लक्ष्य पीछे रहने की वजह से ध्यान भटकाने की कोशिश कर रहे हैं? इस तरह के सार्वजनिक स्वास्थ्य के मुद्दे का राजनीतिकरण कुछ राजनीतिक नेताओं का घातक प्रयास है।

विफल रही महाराष्ट्र सरकार

  • महाराष्ट्र में मैंने देखा है कि वहां के जनप्रतिनिधियों ने टीकों की कमी के बारे में कई बयान दिए हैं। यह कुछ भी नहीं है, केवल महामारी के प्रसार को नियंत्रित करने में बार-बार विफल रही महाराष्ट्र सरकार की ध्यान भटकाने की कोशिश है।
  • महाराष्ट्र सरकार की जिम्मेदारी निभाने में असमर्थता समझ से परे है। लोगों में दहशत फैलाने के लिए इस तरह के बयान देना मूर्खता ही है।
  • वैक्सीन आपूर्ति की वास्तविक समय पर निगरानी की जा रही है, और राज्य सरकारों को इसके बारे में नियमित रूप से अवगत कराया जा रहा है। टीका की कमी के आरोप पूरी तरह से निराधार हैं।
  • स्वास्थ्य मंत्री के रूप में मैं वायरस से लड़ने में महाराष्ट्र सरकार की अव्यवस्था और पूरी तरह से लचर रवैये का गवाह रहा हूं। राज्य सरकार के इस रवैये ने पूरे देश में वायरस से लड़ने के प्रयासों को मुश्किल बना दिया है।
  • केंद्र सरकार ने नियमित रूप से महाराष्ट्र की राज्य सरकार की काउंसलिंग की, उन्हें सभी संसाधन उपलब्ध कराए और केंद्रीय टीमों को मदद के लिए भी भेजा। हालांकि, राज्य सरकार के हिस्से के प्रयासों की कमी अब स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही है और अब वह सभी को डरा रही ।
  • आज, महाराष्ट्र में न केवल देश में सबसे अधिक मामले और मौतें होती हैं, बल्कि दुनिया में सबसे अधिक परीक्षण सकारात्मकता दर भी है। उनका परीक्षण भी मानकों के आधार पर नहीं है और कान्टेक्ट ट्रेसिंग भी कई सारे सवाल खड़ी कर रही है।
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