महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी अपने गृहक्षेत्र उत्तराखंड के लिए निकले थे। इसके लिए वो विमान में बैठे लेकिन बाद में पता चला कि उनके विमान को राज्य सरकार से अनुमति ही नहीं मिली है। जिसके बाद राज्यपाल को विमान से उतरकर वापस आना पड़ा। जिसके बाद अब प्रश्न उठने लगा है कि महामहिम की विमान यात्रा को पंचर किसने किया
राज्यपाल सर्वोच्च संवैधानिक पद है जिनका अपना सचिवालय होता है। यही महामहिम का कार्यक्रम निश्चित करता है। राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी के पास भी ऐसा कार्यालय है। जानकारी के अनुसार उनके कार्यालय ने सामान्य प्रशासन विभाग के पास सरकारी विमान से उत्तराखंड जाने की अनुमति मांगी थी। यह पत्र मुख्यमंत्री कार्यालय भी पहुंचा। लेकिन राज्यपाल कार्यालय और मुख्यमंत्री कार्यालय के बीच जानें क्या हुआ कि राज्यपाल के आगे हवाई अड्डे से बैरंग लौटने की स्थिति आ गई। हालांकि इसके बाद राज्यपाल निजी विमान सेवा से रवाना हो गए। लेकिन इसके बावजूद बहुत सारे प्रश्न अनुत्तरित हैं।
मैं नहीं कुबूल तो तू नहीं कुबूल?
राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के पास राज्य सरकार ने 12 नेताओं की सूची दी है। इस पर राज्यपाल की मुहर लगने के बाद ये 12 नेता राज्य विधान परिषद के सदस्य बन जाएंगे। यह पत्र 6 नवंबर, 2020 को परिवहन मंत्री अनिल परब और मंत्री नवाब मलिक ने राजभवन में राज्यपाल को सौंपी थी।
इस पत्र पर अब भी राज्यपाल ने कोई निर्णय नहीं लिया है। इसके कारण राज्य सरकार और राज्यपाल के बीच शीत युद्ध छिड़ गया है। जिस पर अब राज्य में सूची नहीं कुबूल तो तुम भी नहीं कुबूल की स्थिति बन गई है।
इतनी घमंडी सरकार नहीं देखी
नेता प्रतिपक्ष देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि, राज्यपाल जैसे पद का ये अपमान है। राज्य सरकार को किस बात का इतना घमंड है। इतनी घमंडी सरकार महाराष्ट्र में कभी नहीं देखी।
आपातकालीन उपयोग के लिए ही है विमान
लोकसभा में शिवसेना के गुट नेता विनायक राऊत ने बताया कि राज्य सरकार का विमान मात्र आपातकालीन परिस्थितियों में ही उपयोग में लाया जा सकता है।
जानकारी लेकर करुंगा बात
महाविकास आघाड़ी सरकार के प्रमुख घटक दल राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता व उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने राज्यपाल को विमान की अनुमति न दिये जाने की जानकारी न होने की बात कही है। उन्होंने कहा इसकी जानकारी लेकर ही कुछ बोलूंगा।