राज्य में महाविकास आघाड़ी को सत्ता में आए डेढ़ साल से ज्यादा समय हो चुका है। हालांकि पार्टी के मंत्री सबसे ज्यादा नाराज दिखते हैं, लेकिन सच्चाई ये है कि वे मंत्री बनकर खुश हैं। लेकिन उन्हें लेकर स्थानीय स्तर पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं में भारी असंतोष है। कई असंतुष्ट पूर्व कांग्रेस विधायकों और जिलाध्यक्षों ने हिंदुस्थान पोस्ट से बात करते हुए कहा कि आघाड़ी सरकार के कार्यकाल में पार्टी कार्यकर्ताओं की स्थानीय स्तर पर एक पैसे के बराबर भी इज्जत नहीं है।
खतरे में मंत्रियों का वजूद!
महाविकास आघाड़ी कैबिनेट में राजस्व मंत्री बालासाहेब थोरात, सार्वजनिक निर्माण मंत्री अशोक चव्हाण, विजय वडेट्टीवार, असलम शेख, यशोमति ठाकुर और नितिन राउत शामिल हैं। लेकिन इन नेताओं का सरकार में कोई वजूद नहीं दिख रहा है। इससे स्थानीय स्तर राकांपा और शिवसेना के कार्यकर्ताओं का दबदबा बढ़ने की भावना कुछ असंतुष्ट कार्यकर्ताओं ने व्यक्त की है। पार्टी कार्यकर्ता यह भी पूछ रहे हैं कि क्या सरकार में कांग्रेस के मंत्री सिर्फ अपने फायदे के लिए हैं?
चव्हाण- थेरात से सबसे ज्यादा नाराजगी
कांग्रेस कार्यकर्ताओं में इस समय राजस्व मंत्री बालासाहब थोरात और सार्वजनिक निर्माण मंत्री अशोक चव्हाण से सबसे ज्यादा नाराजगी है। पार्टी के एक जिलाध्यक्ष ने अपनी नाराजगी जताते हुए कहा कि इन दोनों नेताओं ने राज्य में महाविकास आघाड़ी सरकार के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। लेकिन क्या कांग्रेस को सत्ता में आने के बाद पार्टी को कुछ मिला? आज हम सत्ता में हैं, लेकिन स्थानीय स्तर पर हमारी कोई कीमत नहीं है। इसके विपरीत जहां राकांपा के पालक मंत्री है, वहां कांग्रेस को नुकसान पहुंचाया जा रहा है।
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इन नेताओं ने बना ली है पार्टी से दूरी
एक तरफ कार्यकर्ता जहां सरकार और पार्टी के मंत्रियों से नाराज हैं, वहीं कांग्रेस के कुछ पूर्व सांसद और पूर्व विधायक भी पार्टी से दूर रहना पसंद कर रहे हैं। इनमें पूर्व सांसद प्रिया दत्त, मिलिंद देवड़ा, मुंबई के पूर्व अध्यक्ष संजय निरुपम और जनार्दन चंदुरकर आदि शामिल हैं। सरकार बनने से पहले इन सभी नेताओं का पार्टी में विशेष स्थान था। लेकिन राज्य में महाविकास आघाड़ी सरकार के सत्ता में आने के बाद, यह सवाल अब कांग्रेस कार्यकर्ताओं द्वारा पूछा जा रहा है कि क्या ये नेता पार्टी के लिए हानिकारक थे। मुंबई के पूर्व अध्यक्ष संजय निरुपम अक्सर महाविकास अघाड़ी की आलोचना करते रहते हैं। वे हमेशा सरकार की गलतियों पर उंगली उठाते रहते हैं।
एक जिलाध्यक्ष का दर्द
पार्टी के एक पूर्व जिलाध्यक्ष ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि मैं पिछले 25 सालों से कांग्रेस से जुड़ा हूं। मैं कांग्रेस का जिलाध्यक्ष भी था। लेकिन पिछले एक साल से जो चल रहा है, वह सही नहीं है। आज हमारे जिले में राकांपा का वर्चस्व है।
एक पूर्व विधायक का दर्द
कांग्रेस के एक पूर्व विधायक ने कहा शिवसेना जैसी पार्टी के साथ जाने से अच्छा भाजपा को बाहर से समर्थन देना पार्टी के हित में था। लेकिन आज सत्ता में रहने के बाद भी कांग्रेस के मंत्रियों की कोई औकात नहीं है।