अब कांग्रेस और राष्ट्रवादी के मंत्रियों के कार्य पर मुख्यमंत्री की नजर

महाविकास आघाड़ी सरकार में दिनो दिन खटपट बढ़ता जा रहा है। विधायकों की शिकायत लगातार बनी हुई है।

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महाविकास आघाड़ी सरकार में उपेक्षा को लेकर आरोप लगता रहा है। कभी ऊर्जा मंत्री अपने निर्णयों को ठुकराए जाने का आरोप लगाते हैं तो कभी शिवसेना के विधायक संसदीय विकास कार्यों के लिए निधि न मिल पाने के कारण आक्रोशित हो जाते हैं। शिवसेना की सत्ता में विधायकों की इस गति को देखने के बाद अब मुख्यमंत्री सरकार के घटक दलों के मंत्रियों द्वारा अनुमति दिये गए कार्यों का पुनर्मूल्यांकन करेंगे।

सप्ताह भर पहले शिवसेना के विधायक प्रताप सरनाईक ने एक पत्र शिवसेना पक्ष प्रमुख उद्धव ठाकरे को लिखा था। इस पत्र में सरनाईक ने आरोप लगाया था कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के मंत्री शिवसेना विधायकों की नहीं सुनते। इसके कारण उनके कार्य नहीं हो रहे हैं। जानकारी तो यह भी मिली है कि शिवसेना के विधायक इतने परेशान हैं कि वे पक्ष प्रमुख को अपना त्यागपत्र देने की स्थिति में आ गए हैं। अपने विधायकों की दिक्कतों को देखते हुए मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे अब कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के मंत्रियों के कार्यों पर नजर रखेंगे।

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आव्हाड के ड्रीम प्रोजेक्ट पर ब्रेक
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस के मंत्री कई निर्णय मुख्यमंत्री की जानकारी में लाए बगैर ले लेते हैं। ऐसे निर्णयों पर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे अब लगाम लगा सकते हैं। इसका प्रारंभ कैबिनेट मंत्री जितेंद्र आव्हाड के निर्णय पर स्थगन देकर सीएम ने कर दिया है। आव्हाड ने टाटा कैन्सर अस्पताल को 100 सदनिका देने का निर्णय लिया था, जिस पर मुख्यमंत्री ने स्थगन लगा दिया है। इस प्रकरण में शिवसेना विधायक अजय चौधरी ने शिकायत की थी। इस योजना को जितेंद्र आव्हाड का ड्रीम प्रोजेक्ट माना जा रहा था।

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