पीएम मोदी और महाराष्ट्र के सीएम ठाकरे की मुलाकात! इन मुद्दों पर होगी बात

मराठा आरक्षण का मुद्दा महाराष्ट्र सरकार के लिए जी का जंजाल बन गया है। इसके अलावा चुनावों में ओबीसी समाज के आरक्षण का मुद्दा भी गरमा रहा है। मराठा और ओबीसी समाज की नाराजगी किसी भी दल के लिए महंगी साबित हो सकती है।

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महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की प्रधानमंत्री मोदी से चर्चा जारी है। इस मुनलाकात और चर्चा के लिए मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर समय मांगा था। इसके बाद प्रधानमंत्री कार्यालय ने आज का समय निश्चित किया है। इस समय उनके साथ महाविकास आघाड़ी सरकार के उपमुख्यमंत्री अजित पवार और मराठा आरक्षण उपसमिति के अध्यक्ष अशोक चव्हाण भी सीएम के साथ हैं। मुख्यमंत्री मराठा आरक्षण पर चर्चा के लिए प्रधानमंत्री से मिल रहे हैं। इसके साथ ही  चक्रवात ताउते के साथ ही वैक्सीन जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर भी बात होने की संभावना है। इस बीच एक चर्चा यह भी है कि लंबे समय तक एनडीए के साथ रहे शिवसेना के शीर्ष नेता से और प्रधानमंत्री के बीच क्या पुरानी आत्मीयता की भी कोई बात होगी?

मराठा आरक्षण रद्द होने के बाद समाज में आक्रोश है, इसके लिए आंदोलन की आहट मिलने लगी है, जो शीघ्र ही तीव्र हो सकती है। बहुसंख्य मराठा समाज का आक्रोश महाराष्ट्र में कोई भी राजनीतिक दल मोल नहीं लेना चाहता है। इसके लिए महाराष्ट्र सरकार पहले भी राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी से मिलकर राष्ट्रपति को पत्र भेज चुकी है। वह प्रधानमंत्री से भी इसी विषय में कदम उठाने की मांग करने जा रही है।

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सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय
मराठा आरक्षण पर देवेंद्र फडणवीस सरकार के निर्णय को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी गई थी। जिसे महाविकास आघाड़ी सरकार के कार्यकाल में सर्वोच्च न्यायालय की संवैधानिक पीठ ने रद्द कर दिया। इसके बाद महाविकास आघाड़ी सरकार के विरुद्ध आक्रोश का वातावरण है।

सर्वोच्च न्यायालय ने अपने निर्णय में कहा था कि, आरक्षण का मुद्दा केंद्र सरकार का मुद्दा है। इसी को राज्य सरकार ने गांठ की तरह पकड़ लिया और अपने ऊपर लग रहे है आरोपों से छूटने के लिए केंद्र की झोली में गेंद डालने के प्रयत्न में है। इस बीच 16 जून से छत्रपति संभाजी राजे ने मराठा आरक्षण की मांग को लेकर राज्यव्यापी आंदोलन छेड़ने की चेतावनी दी है।

क्या है मांग?
मराठा आरक्षण के साथ ही देश के अन्य राज्यों के आरक्षण की मांग को पूरा करने के लिए संविधान में 102वां संशोधन आवश्यक है। इसके साथ ही इंद्रा साहनी प्रकरण के आदेश में दिए गए 50 प्रतिशत आरक्षण की सीमा पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए। इसके लिए केंद्र सरकार को आवश्यक कदम उठाना चाहिये। यह मांग मराठा आरक्षण विषयक मंत्रिमंडल के अध्यक्ष अशोक चव्हाण ने की है।

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ये बोली राष्ट्रवादी
मराठा आरक्षण के समर्थन में अलग-अलग स्तर और संस्थाओं का समर्थन मिल रहा है। परंतु, सर्वोच्च न्यायालय में इसके विरुद्ध अलग निर्णय हुआ। राज्य सरकार मराठा समाज को आरक्षण देने के लिए सभी स्तर पर प्रयत्नशील है। अब इस संबंध में संसद में आवाज उठाने की आवश्यकता है। इसलिए राज्य सरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भेंट करके आरक्षण देने के संदर्भ में उचित कदम उठाने की मांग करने जा रही है।

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