सर्वोच्च न्यायालय द्वारा महाराष्ट्र में जारी मराठा आरक्षण को रद्द किए जाने के बाद से इस प्रदेश में इसे लेकर राजनीति चरम पर है। इसी क्रम में अब शिव संग्राम के नेता विनायक मेटे और पूर्व विधायक नरेंद्र पाटील ने बीड में बैठक की है। बैठक में इन दोनों नेताओ ने महाविकास आघाड़ी सरकार पर निशाना साधा। ऐसे में सवाल उठाया जा रहा है कि ये नेता वास्तव में मराठा आरक्षण को लेकर सड़क पर उतरने वाले हैं, या राजनैतिक स्वार्थ के लिए।
समाज के कई लोग सवाल पूछ रहे हैं कि ये आंदोलन मराठा समुदाय के लिए है, या भारतीय जनता पार्टी को राजनैतिक लाभ पहुंचाने के लिए है।
फडणवीस की प्रशंसा, चव्हाण की आलोचना
बैठक में मेटे ने कहा कि अशोक चव्हाण जैसा नकारा आदमी मैंने अब तक नही देखा। जब अशोक चव्हाण मुख्यमंत्री थे तो हमने बापट आयोग की सिफारिश को खारिज करने की मांग की थी। लेकिन चव्हाण ने इस पर ध्यान नहीं दिया। 2014 में जो आरक्षण दिया गया था, वह भी गलत तरीके से दिया गया था, उसका फल आज हम भोग रहे हैं। देवेंद्र फडणवीस द्वारा दिया गया आरक्षण बहुत अच्छा था। लेकिन चव्हाण की मूर्खता और उद्धव ठाकरे की लापरवाही के चलते सर्वोच्च न्यायालय द्वारा उसे रद्द कर दिया गया।
चव्हाण को पार्टी से निष्कासित करने की मांग
मेटे ने मांग करते हुए कहा कि मराठा समुदाय को आरक्षण मिले और अशोक चव्हाण को इस्तीफा देना चाहिए। मेटे ने चेतावनी देते हुए कहा कि इसके लिए मैं 5 जुलाई तक का समय देता हूं। अगर हमारी ये मांगें नहीं मानी गईं तो 7 जुलाई को मॉनसून अधिवेशन नहीं होने दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि अगर कांग्रेस मराठा समुदाय से जुड़े कलंक को मिटाना चाहती है तो अशोक चव्हाण को निष्कासित करे।
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नरेंद्र पाटील ने दी धमकी
सबसे अहम बात यह है कि विनायक मेटे द्वारा सरकार की आलोचना किए जाने के बाद पू्र्व विधायक नरेंद्र पाटील ने भी मंच से विवादित बयान दिया। उन्होंने कहा,’मेरे जैसा जातिवादी और कट्टर मराठा जीवन में चैन से नहीं बैठेगा और समय आया तो हम पेट पर बम बांधकर खुद भी उड़ जाएंगे और आरक्षण विरोधियों को भी उड़ा देंगे।
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कांग्रेस-राकांपा ने किया आरक्षण का विरोध
नरेंद्र पाटील ने कहा कि समय-समय पर उनके कार्यों से पता चला है कि कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी मराठा समुदाय के आरक्षण के खिलाफ हैं। स्वर्गीय अन्नासाहेब पाटील द्वारा आरक्षण के लिए खुद का बलिदान करने के बाद भी यह मुद्दा आज तक बरकरार है।