महाराष्ट्रः अनिल देशमुख के बाद अब अनिल परब की बारी? सीबीआई में शिकायत

महाराष्ट्र के परिवहन मंत्री अनिल परब की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं। उन पर भाजपा के एक नेता ने काली कमाई से रिसॉर्ट बनाने के साथ ही परिवहन विभाग में भी भ्रष्टाचार करने के आरोप लगाए हैं।

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पिछले कुछ दिनों से भाजपा और खासकर पूर्व सांसद किरीट सोमैया के रडार पर चल रहे महाराष्ट्र की उद्धव सरकार के परिवहन मंत्री अनिल परब की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं। भारतीय जनता पार्टी के नेता किरीट सोमैया ने उन पर कथित रुप से काली कमाई से दापोली में रिसॉर्ट बनाने का दावा किया है। इस बारे में उन्होंने केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर से मुलाकात कर परब की पोल खोल करने का दावा किया है।

सोमैया ने क्या कहा?
मैंने दिल्ली में पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर से मुलाकात की। परिवहन मंत्री अनिल परब ने लॉकडाउन के दौरान रत्नागिरी के दापोली में 10 करोड़ रुपये में अवैध रुप से साई रिसॉर्ट का निर्माण किया है। सोमैया ने ट्वीट किया, “मैंने ईडी, सीबीआई, आयकर विभाग और राजस्व मंत्रालय में इसकी शिकायत की है।” इस बीच, अनिल परब ने कहा, “हम विभिन्न प्लेटफार्मों पर सोमैया के आरोपों का जवाब देंगे।”

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सोमैया ने पहले भी लगाया था गंभीर आरोप
कुछ दिन पहले किरीट सोमैया ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी और सीबीआई से भी शिकायत की थी और परिवहन विभाग में घोटाले का आरोप लगाया था। सोमैया ने यह भी दावा किया था कि परिवहन विभाग में भी एक सचिन वाझे था। सोमैया ने कहा था कि बजरंग खरमाटे परिवहन विभाग का सचिन वाझे था। सोमैया ने यह भी दावा किया था कि उन्हें परिवहन विभाग में एक ट्रांसफर रैकेट के बारे में शिकायत मिली है। वहां ट्रांसफर रेट 25 लाख, 50 लाख और एक करोड़ से भी ज्यादा है। उन्होंने राज्यपाल और सीबीआई से मामले की जांच की मांग की थी। सीबीआई ने सोमैया की मांग की जांच शुरू कर दी है और पता चला है कि कुछ दस्तावेज सीबीआई के भी हाथ लगे हैं। इसलिए कहा जा रहा है कि अगले कुछ दिनों में अनिल परब भी देशमुख की तरह सीबीआई के रडार पर होंगे।

सचिन वाझे ने भी पत्र में लिया था नाम
बता दें कि बर्खास्त मुंबई का सहायक पुलिस निरीक्षक सचिन वाझे ने एनआईए को एक पत्र लिखा था। पत्र में उसने अनिल देशमुख और परिवहन मंत्री अनिल परब का भी जिक्र किया था। जुलाई-अगस्त 2020 में, अनिल परब ने उसे अपने सरकारी बंगले पर बुलाया था। पत्र में वाझे ने लिखा था, “अनिल परब ने मुझे डीसीपी के तबादले से तीन-चार दिन पहले फोन किया था। उन्होंने मुझे SBUT के बारे में शिकायत की जांच करने के लिए कहा। उन्होंने मुझे इसके ट्रस्टियों को साथ लाने के लिए कहा था। बाद में जांच को रोकने के लिए परब ने SBUT से 50 करोड़ रुपये की मांग की थी। मैंने ऐसा करने में असमर्थता दिखाई। क्योंकि मैं SBUT के बारे में नहीं जानता था।”

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