गंगा महाराष्ट्र में होती तो शव यहां भी बहाए जाते! पूर्व केंद्रीय गृह सचिव

कोविड 19 के बढ़ते संक्रमण और महामारी से हो रही जनहानि की जवाबदेही निश्चित होनी चाहिए। पूर्व केंद्रीय गृह सचिव ने एक समाचार माध्यम को दिये गए साक्षात्कार में अपने विचार प्रकट किये।

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कोरोना महामारी काल में जो त्रुटियां हुईं उनकी जिम्मेदारी निश्चित नहीं की गई। 75 हजार कोरोना मौतों के पीछे क्या कारण थे इसकी जांच नहीं हुई। यही महाराष्ट्र में भी हुआ। आज हम इंडिया और भारत में अंतर कर रहे हैं, इसका परिणाम है कि राज्य में कोरोना संक्रमण को लेकर मात्र शहरी हिस्सों की चिंता की जा रही है। ग्रामीण हिस्से अब भी छूटे हुए हैं। इन परिस्थितियों को देखते हुए लगता है कि यदि गंगा हमारे यहां महाराष्ट्र में भी होती तो यहां भी शव गंगा में तैरते दिखते।

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जांच हो, जिम्मेदार दें त्यागपत्र
यश का जैसे श्रेय लिया जाता है वैसे ही अपयश की जिम्मेदारी लेना भी आवश्यक है। पिछले सत्तर वर्षों में हम यह नहीं कर पाए जो नियम बनाए जाते हैं उसका पालन मात्र प्रशासन ही करता है, इसलिए प्रशासन ही उसके लिए अकेले जिम्मेदार नहीं है, उन पर सरकार का अंकुश होता है। केंद्र सरकार से लेकर स्थानीय स्तर पर चूक कहां-कहां हुई इसकी जांच आवश्यक है। इसके उलट, यही माना जा रहा है कि हमसे कोई चूक हुई ही नहीं। जिस प्रकार गोधरा काण्ड और 1984 के दंगों की जांच पब्लिक कमशीन से कराई गई उसी प्रकार अब भी कराया जाना चाहिए।

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अर्थशास्त्री और पूर्व केंद्रीय गृहसचिव माधव गोडबोले ने कहा कि अभी तक केंद्र और राज्य सरकार पर कोविड 19 व्यवस्थापन का बोझ है। इसकी जिम्मेदारी निश्चित होनी चाहिए, त्रुटियों और कमियों के लिए जो जिम्मेदार हैं उन्हें त्यागपत्र देना चाहिए।

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