यूनिवर्सिटी प्रशासन की सख्त हिदायत के बावजूद जेएनयू छात्र संगठन ने बाबरी मस्जिद पर आधारित राम के नाम डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग की। इस विवादित डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग 4 दिसंबर की रात की गई। अब जेएनयू प्रशासन ने इसके आयोजकों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई करने का निर्णय लिया है।
मिली जानकारी के अनुसार छात्र संगठन स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया यानी एसएफआई को यूनिवर्सिटी प्रशासन ने स्क्रीनिंग रोकने की नोटिस जारी की थी। इसके साथ ही आदेश न मानने पर कार्रवाई की चेतावनी भी दी थी। इसके बावजूद संगठन ने 4 दिसंबर की रात लगभग 9.30 बजे इसकी स्क्रीनिंग की। इसके साथ ही उसने इसे देखने के लिए सैकड़ों छात्रों को परिसर में जमा किया। हालांकि माहौल खराब होने के अंदेशे को देखते हुए वहां उस समय बड़ी संख्या में सिक्योरिटी मौजूद थी।
संगठन की अध्यक्ष ने फेसबुक पर दी थी चुनौती
बता दें नोटिस मिलने के बावजूद जेएनयू छात्र संघ की अध्यक्ष आइशी घोष ने फेसबुक पर वीडियो जारी कर कहा था कि कार्यक्रम को रद्द नहीं किया जाएगा। आइशी घोष ने कहा था कि आरएसएएस-भाजपा के कठपुतली जो इस यूनिवर्सिटी में बैठे हैं, उनको इस बात से परेशानी है कि यह डॉक्यूमेंट्री भाजपा की करतूतों को दिखाती है। देश के राइटविंग देश के सौहार्द को खत्म करना चाहते हैं। उनकी सच्चाई को इसमें दिखाया गया है। इससे सौहार्द बिगड़ने का कोई खतरा नहीं है। उन्होंने चुनौती दी थी कि एसएफआई किसी भी हालत में इसकी स्क्रीनिंग करेगा। इसके साथ ही उन्होंने इसे देखने के लिए बड़ी संख्या में लोगों के एकत्र होने का भी अनुरोध किया था।
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जेएनयू का विवादों से पुराना नाता
जवाहरलाल नेहरु यूनिवर्सिटी का विवादों से पुराना रिश्ता रहा है। इससे पहले भी कई बार वामपंथी छात्र माहौल बिगाड़ने की कोशिश कर चुके हैं। वे इस तरह के कार्यक्रम के लिए यूनिवर्सिटी प्रशासन से अनुमति लेने की भी जरुरत नहीं समझते। राम के नाम में बाबरी मस्जिद विध्वंस और उसके बाद कथित रुप से मारे गए मुसलमानों के प्रोपेगेंडा को दिखाया गया है।