दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रसिद्ध हंसराज कॉलेज में स्वामी दयानंद सरस्वती गौ संवर्धन एवं अनुसंधान केंद्र की स्थापना की गई है। इसकी स्थापना के बाद जहां विद्यार्थियों को शुद्ध दूध और दही मिल सकेगा, वहीं गायों पर अनुसंधान भी किया जाएगा। इसके साथ ही यहां किए जाने वाले हवन के लिए भी शुद्ध घी उपलब्ध हो पाएगा।
इस बीच सीपीआई-एम के स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया( एसएफआई) की कॉलेज ईकाई ने इसका विरोध किया है। उसक कहना है कि इस स्थान को महिला छात्रावास के लिए निर्धारित किया गया था।
एसएफआई का आरोप
एसएफआई ने इस बारे में बयान जारी करते हुए कहा है कि संगठन बिना अनुमति के गौशाला निर्माण की निंदा और विरोध करता है। उस स्थान को महिला छात्रावास के लिए निर्धारित किया गया था। उसका काम कई वर्षों से रुका हुआ था। हमें इस बात पर शर्म आनी चाहिए कि कॉलेज प्रशासन विद्यार्थियों के बजाय गायों को संरक्षण देना चाहता है।
कॉलेज की प्राचार्य ने आरोपों को किया खारिज
दूसरी ओर कॉलेज की प्राचर्य डॉ. रमा ने एसएफआई के इस आरोप को गलत बताया है। उन्होंने कहा है कि यह जगह कॉलेज प्रशासन की योजना के अनुसार छात्रावास के लिए काफी छोटी है। हम कम से कम 100 विद्यार्थियों के लिए छात्रावास बनाना चाहते हैं। उन्होंने इस बात से भी इनकार किया कि यह स्थान छात्रावास के लिए आरक्षित नहीं था। प्राचार्य से स्पष्ट किया कि वह स्थान छात्रावास के निर्माण के लिए प्रक्रियाओं के दौर में था। अब हम कॉलेज के मास्टर प्लान पर नए तरीके से काम कर रहे हैं। इसे नगर निगम द्वारा अनुमोदित करने की आवश्यकता होगी।
कॉलेज का आधार आर्य समाज
प्राचार्य ने कहा कि इस केंद्र को एक गाय से शुरू किया जा रहा है और यदि यहां किया गया शोध उपयोगी साबित होता है तो इसे बढ़ाया जाएगा। उन्होंने कहा कि हमारे कॉलेज का आधार आर्य समाज है। इसलिए हम उसकी परंपरा पर अमल करते हुए हर महीने हवन करते हैं। इसमें सभी शिक्षण, गैर-शिक्षण कर्मचारी और विद्यार्थी शामिल होते हैं। उस दौरान हम उन सभी लोगों का भी अभिनंदन करते हैं, जिनका उस महीने जन्मदिन होता है। हवन के लिए हमें बाजार से दूध, दही और घी लाना पड़ता है। लेकिन अब हमें ऐसा करने की जरुरत नहीं पड़ेगी। उन्होंने कहा कि जब छात्रावास शुरू होगा तो विद्यार्थियों को शुद्ध दूध और दही मिल सकेगा।