महाराष्ट्र में मराठा समुदाय को आरक्षण दिए जाने को लेकर केंद्र सरकार द्वारा दायर पुनर्विचार याचिका को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा ठुकरा दिए जाने के बाद राज्य में राजनैतिक हलचल बढ़ गई है। प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और विधानसभा में विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस ने इस बारे में महत्वपूर्ण सुझाव दिया है।
देवेंद्र फडणवीस ने नागपुर में कहा कि मराठा आरक्षण पर आगे की कार्रवाई के लिए महाविकास आघाड़ी सरकार द्वारा स्थापित भोसले समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि पुनर्विचार याचिका की एक सीमा होती है। उन्होंने यह भी विस्तार से बताया है कि आगे क्या कार्रवाई की जानी चाहिए। रिपोर्ट में कहा गया है कि परिस्थिति के मद्देनजर राज्य सरकार को तत्काल कदम उठाने चाहिए।
पुनर्विचार याचिका की होती है सीमा
फडणवीस ने कहा कि पुनर्विचार याचिका की अपनी सीमा होती है और भोसले ने अपनी रिपोर्ट में पिछड़ा वर्ग आयोग द्वारा उठाए जाने वाले अगले कदमों को स्पष्ट रूप से बताया है। रिपोर्ट में मराठा आरक्षण पर न्यायालय के पहले के फैसले पर विस्तार से चर्चा की गई है। उन गलतियों को सुधारा जाना चाहिए और प्रस्ताव को पिछड़ा वर्ग आयोग को वापस भेजा जाना चाहिए। इसी महाविकास आघाड़ी सरकार ने इस कमेटी का गठन किया था। इस समिति में न्यायधीश भोसले, पूर्व महाधिवक्ता खंबाटा और अन्य वरिष्ठ कानूनविद शामिल थे।
ये भी पढ़ेंः मराठा आरक्षण पर केंद्र सरकार द्वारा दायर पुनर्विचार याचिका खारिज! महाराष्ट्र में भूचाल
तत्काल कदम उठाने जरुरी
फडणवीस ने कहा कि समिति की रिपोर्ट मिलने के बाद भी राज्य सरकार ने समय बर्बाद करने की नीति अपनाई। समिति द्वारा दिए गए सुझाव के अनुसार तत्काल कदम उठाने चाहिए । उन्होंने कहा कि जब तक राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग समुदाय को पिछड़ा घोषित नहीं करता और केंद्र सरकार को प्रस्ताव नहीं भेजता, तब तक केंद्र सरकार कुछ नहीं कर सकती। एक बार केंद्र सरकार ने इसे मंजूरी दे दी, तो राज्य सरकार को कानून बनाना होगा।
वर्ना करना पड़ेगा और इंतजार
विरोधी पक्ष नेता ने कहा कि यदि राज्य सरकार समय पर सही निर्णय नहीं लेती है, तो मराठा समुदाय को आरक्षण के लिए और अधिक इंतजार करना होगा और आरक्षण प्राप्त करने में देरी होगी।