मानवाधिकार आयोग के 28वें स्थापना दिवस पर पीएम के संबोधन की ये हैं खास बातें!

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 12 अक्टूबर को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के 28वें स्थापना दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए। उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बाद देश को संबोधित करते हुए कहा कि यह आयोजन ऐसे समय में हो रहा है, जब हमारा देश स्वतंत्रता का अमृत महोत्सव मना रहा है। उन्होंने कहा कि मानवाधिकार का ज्यादा हनन तब होता है, जब उसे राजनीतिक रंग दिया जाता है।

पीएम ने कहा,’मानवाधिकार का बहुत ज्यादा हनन तब होता है, जब उसे राजनीतिक रंग से देखा जाता है, राजनीतिक चश्मे से देखा जाता है, राजनीतिक नफा-नुकसान के तराजू से तौला जाता है। इस तरह का सलेक्टिव व्यवहार, लोकतंत्र के लिए भी उतना ही नुकसानदायक होता है।’

संबोधन की खास बातें

  • मानवाधिकारों से जुड़ा एक और पक्ष है, जिसकी चर्चा मैं आज करना चाहता हूं। हाल के वर्षों में मानवाधिकार की व्याख्या कुछ लोग अपने-अपने तरीके से, अपने-अपने हितों को देखकर करने लगे हैं।
  • एक ही प्रकार की किसी घटना में कुछ लोगों को मानवाधिकार का हनन दिखता है और वैसी ही किसी दूसरी घटना में उन्हीं लोगों को मानवाधिकार का हनन नहीं दिखता।
  • इस प्रकार की मानसिकता भी मानवाधिकार को बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचाती है।
  • भारत ने इसी कोरोना काल में गरीबों, असहायों, बुजुर्गों को सीधे उनके खाते में आर्थिक सहायता दी है।
  • प्रवासी श्रमिकों के लिए ‘वन नेशन वन राशन कार्ड’ की सुविधा भी शुरू की गई है, ताकि वो देश में कहीं भी जाएं, उन्हें राशन के लिए भटकना न पड़े।
  • हमारे दिव्यांग भाई-बहनों की क्या शक्ति है, ये हमने हाल के पैरालंपिक में फिर अनुभव किया है। बीते वर्षों में दिव्यांगों को सशक्त करने के लिए भी कानून बनाए गए हैं, उनको नई सुविधाओं से जोड़ा गया है।
  • आज महिलाओं के लिए काम के अनेक सेक्टर्स को खोला गया है, वो 24 घंटे सुरक्षा के साथ काम कर सकें, इसे सुनिश्चित किया जा रहा है।
  • दुनिया के बड़े-बड़े देश ऐसा नहीं कर पा रहे लेकिन भारत आज करियर वुमैन को 26 हफ्ते की पेड मैटर्निटी लीव दे रहा है।
  • बीते वर्षों में देश ने अलग-अलग वर्गों में, अलग-अलग स्तर पर हो रहे इंजस्टीस को भी दूर करने का प्रयास किया है।
  • दशकों से मुस्लिम महिलाएं तीन तलाक के खिलाफ कानून की मांग कर रही थीं। हमने ट्रिपल तलाक के खिलाफ कानून बनाकर, मुस्लिम महिलाओं को नया अधिकार दिया है।
  • जो गरीब कभी शौच के लिए खुले में जाने को मजबूर था, उ नगरीब को जब शौचालय मिलता है, तो उसे डिग्निटी भी मिलती है।
  • जो गरीब कभी बैंक के भीतर जाने की हिम्मत नहीं जुटा पाता था, उस गरीब का जब जनधन अकाउंट खुलता है, तो उसमें हौसला आता है।
  • बीते दशकों में ऐसे कितने ही अवसर विश्व के सामने आए हैं, जब दुनिया भ्रमित हुई है, भटकी है। लेकिन भारत मानवाधिकारों के प्रति हमेशा प्रतिबद्ध रहा है, संवेदनशील रहा है।
  • भारत के लिए मानवाधिकारों की प्रेरणा का, मानवाधिकार के मूल्यों का बहुत बड़ा स्रोत स्वतंत्रता के लिए हमारा आंदोलन, हमारा इतिहास है।
  • हमने सदियों तक अपने अधिकारों के लिए संघर्ष किया। एक राष्ट्र के रूप में, एक समाज के रूप में अन्याय-अत्याचार का प्रतिरोध किया।
  • एक ऐसे समय में जब पूरी दुनिया विश्व युद्ध की हिंसा में झुलस रही थी, भारत ने पूरे विश्व को ‘अधिकार और अहिंसा’ का मार्ग सुझाया।
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