केरल में पिनराइ वियजन सरकार की वापसी हुई है। मुस्लिम और ईसाई मतों की बहुलता वाले राज्य में जीत का परचम लहराने के बाद मुख्यमंत्री ने मुस्लिमों के प्रति वफादारी प्रकट की है। उन्होंने हज यात्रा पर जानेवाले मुस्लिमों को नए आदेश में फ्रंटलाइन वर्कर के श्रेणी दे दी है।
केरल में 18 से 44 वर्ष की आयु के लोगों के टीकाकरण के लिए घोषित पहले परिपत्र में 32 फ्रंट लाइन वर्कर्स को स्थान दिया गया था। अब दूसरे परिपत्र में इसमें 11 नए घटकों को समाविष्ट किया गया है, जिसमें मौसम विभाग, मेट्रो रेल, जल वितरण, रुग्ण वाहिका आदि का समावेश है, इसी सूची में सातवें क्रमांक पर हज यात्रियों को भी शामिल किया गया है। उन्हें भी फ्रंट लाइन वर्कर की श्रेणी में स्थान दिया गया है, जबकि विदेश जानेवाले छात्र अभी भी टीकाकरण के लिए भटक रहे हैं।
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हज पर आओ पर पहले टीका लगवाओ
सऊदी सरकार ने 17 जुलाई से हज यात्रा के शुरुआत की घोषणा की है। कोरोना संक्रमण के चलते पिछली हज यात्रा रद्द हो गई थी। परंतु, इस बार वहां कि सरकार ने हज यात्रा घोषित की है और इसमें सम्मिलित होनेवालों के लिए टीका लगवाकर आने की पहली शर्त रख है।
केरल में मुस्लिम एकाधिकार कोई नई बात नहीं है। वह चाहे मोपला ब्रदर्स का काल रहा हो या वर्तमान का समाज राजनीतिक रोटी सेंकनेवाले नेता को उनके अधीन ही रहना पड़ता है। इसी वोट बैंक की लालच में केरल सरकार के लिए ये फ्रंट लाइन वर्कर बन गए हैं।
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टीके के लिए छात्र झेल रहे दिक्कत
देश से आठ लाख छात्रों को विदेश पढ़ने जाना है। इन छात्रों को वीजा तभी मिलेगा जब ये अपने टीकाकरण होने का प्रमाण पत्र पेश करेंगे। इसके लिए केंद्र सरकार ने छात्रों के लिए प्राधान्य केंद्र खोलने का कार्य किया है, कई राज्यों में टिकाकरण हो रहा है। परंतु, टीके की अनुपलब्धता गति को धीमा कर रही है। महाराष्ट्र के नागपुर, पुणे में टीकाकरण रुका हुआ है। जबकि केरल को छात्रों से अधिक हज यात्री आवश्यक हो गए हैं। जिन्हें उसने फ्रंट लाइन वर्कर की श्रेणी में डाल दिया है।