फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ के प्रदर्शन के बाद से जम्मू कश्मीर के विस्थापित हिंदू और कश्मीरी पंडितों की भावनाएं फिर उस दर्द को महसूस कर आहत हैं। ऐसे में दिल्ली विधान सभा में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का बयान और उसके पश्चात सभी के अट्टहास ने, विस्थापित हुए कश्मीरी हिंदुओं के दिल पर गहरा आघात कर दिया है। इस विषय में चर्चा करने पर दिलिप भान नामक कश्मीरियों के अधिकारों के लिए लड़नेवाले एक नेता ने कहा कि, मुख्यमंत्री केजरीवाल को इतना असंवेदशील नहीं होना चाहिये।
बता दें कि, 26 मार्च,2022 को दिल्ली विधान सभा में फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ को कर मुक्त करने की भाजपा की मांग पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल उत्तर दे रहे थे। इसमें उन्होंने फिल्म को लेकर ही नहीं बल्कि कश्मीर में जो हुआ उस पर टिप्पणियां की। इस टिप्पणी में वे और उनके सहयोगी ठहाके लगाकर हंसते भी दिखे। जो वायरल हो गया। यह बात जम्मू कश्मीर के जनसामान्य को बुरी लग गई।
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इस विषय में एक सामान्य कश्मीरी की क्या राय है, यह जानने के लिए जब दिलिप भान नामक कश्मीरी हिंदू नेता से बात की तो, उन्होंने जो कहा वह शायद ही कोई कह पाए।
“कांग्रेस का क्या हुआ? धीरे धीरे जिस पर प्रकार से वह सिमटती गई अगले चार-पांच वर्षों बाद इनका भी वही होगा। किसी को भी इतना असंवेदनशील नहीं होना चाहिए। इतनी असंवेदनशीलता से स्वत: और उनके कैडर को हंसना नहीं चाहिए। मेरी कामना है कि, कश्मीर में हमने जो सहा, जो हमारे साथ हुआ, वह केजरीवाल और उनके परिवार के साथ भी हो।”
दिलिप भान – संयोजक, गवर्नमेन्ट स्कूल टीचर्स असोशिएशन (माइग्रेंट) रजिस्टर्ड
ये चेहरे एक न एक दिन जरूर चीखकर रोएंगे – अशोक पंडित
फिल्म निर्माता-निर्देशक अशोक पंडित ने दिल्ली विधान सभा में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनके मंत्रियों की हंसी पर रोष के साथ टिप्पणी की है। वे लिखते हैं, हमारी लाशों पर हंसनेवाले ये चेहरे एक न एक दिन जरूर चीखकर रोएंगे। ठीक उसी तरह, जिस तरह गोलियां खाते वक्त एक कश्मीरी हिंदू चीखा था।
हमारी लाशों पर हंसने वाले यह चेहरे एक ना एक दिन ज़रूर चीख चीख कर रोएँगे ! ठीक उसी तरह जिस तरह गोलियाँ खाते वक्त एक कश्मीरी हिंदू चीखा था!
इनकी हंसी यह दर्शाती है कि इनके भी हाथ खून से रंगे हुए हैं क्यूँकि यह यह आतंकवादियों के साथ हैं!#AntiHinduKejriwal #AntiNationalKejriwal pic.twitter.com/fYkO6pAmKQ— Ashoke Pandit (@ashokepandit) March 27, 2022
अशोक पंडित ने एक वीडियो भी अपने ट्वीटर एकाउंट पर साझा किया है। जिसमें उन्होंने बताया है कि, उनकी मां निर्मला पंडित (अब स्वर्गवासी) वर्ष 1993 में पहली वैश्विक कश्मीरी पंडित कॉन्फ्रेन्स को संबोधित कर रही हैं। हम अपनी लड़ाई को सम्मान के साथ लड़ते रहे हैं और अब भी लड़ रहे हैं। अपनी पहचान को संजोए रखने के लिए हमारी लड़ाई अब भी जारी है।
Late Maa Nirmala Pandit (My mother ) addressing the community at the 1st World #KashmiriPanditsConference organised by #PanunKashmir in the year 1993 at Delhi .
We have fought our battle with lots of dignity & are still doing so.
The fight to save our identity still continues. pic.twitter.com/6bYD1olros— Ashoke Pandit (@ashokepandit) March 29, 2022
द्रौपदी की तरह सरकार भी गिरवी है… निर्मला पंडित, वर्ष 1993
आज जो हमारी हालत है वह उस द्रौपदी की तरह है, जब उसका चीर हरण हो रहा था, वह सबकी ओर देख रही थी, कोई उसकी लज्जा बचा ले। इसी तरह आज तक हमने हर एक दरवाजे खटखटाए, अपनी सरकार के भी, लेकिन हमारा साथ किसी ने नहीं दिया क्योंकि उस समय जिस तरह से द्रौपदी का साथ किसी ने नहीं दिया, क्योंकि वह मजबूर थी, गिरवी थी, इसी तरह आज हमारी सरकार गिरवी है, वोटों के लिए, कुर्सियों के लिए। वह हमारा साथ कैसे देगी। इसीलिए आज हम इस जगत् जननी मां की शराणगत् आए हैं।