हिजाब पर प्रतिबंध? जानें, कर्नाटक उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में क्या कहा

कर्नाटक उच्च न्यायालय ने हिजाब विवाद पर अपना फैसला सुना दिया है। फैसला सुनाते हुए न्यायालय ने इसे लेकर कड़ी टिप्पणी भी की है।

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हिजाब विवाद पर कर्नाटक उच्च न्यायालय ने अपना फैसला सुना दिया है। न्यायालय ने हिजाब पर पाबंदी बरकरार रखी है और कहा है कि यह धर्म का अनिवार्य भाग नहीं है। इस स्थिति में छात्राएं इसे पहनकर स्कूल-कॉलेज नहीं आ सकतीं। न्यायालय ने कहा कि शैक्षणिक संस्थानों में विद्यार्थियों को यूनिफॉर्म पहनकर जाना चाहिए।

उच्च न्यायालय का फैसला आने से पहले ही कानून-व्यवस्था के मद्देनजर बेंगलुरू में 21 मार्च तक प्रचार सभा, आंदोलन या विरोध प्रदर्शन पर पाबंदी लगा दी है। इसके साथ ही राज्य के कई जिलों में धारा 144 भी लागू कर दी गई है।

मामले की सुनवाई की खास बातें
-न्यायालय ने 25 फरवरी को हिजाब विवाद से संबंधित सभी सुनवाई पूरी कर ली थी और फैसला सुरक्षित रख लिया था। सुनवाई के दौरान न्यायालय में दोनों पक्षों ने अपनी अंतिम दलीलें दी थीं। उसके आधार पर ही न्यायालय ने अपना फैसला सुनाया है।

-उडुपी की मुस्लिम छात्राओं ने हिजाब पहनने को लेकर उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। उन्होंने धर्म और आस्था का हवाला देते हुए स्कूलों तथा कॉलेजों में हिजाब पहनना अपना अधिकार बताया था।

-इस मामले की सुनवाई के लिए 9 फरवरी को मुख्य न्यायाधीश रितुराज अवस्थी, न्यायमूर्ति कृष्णा एस दीक्षित और न्यायमूर्ति जेएम खाजी की उच्च न्यायालय की एक पूर्ण पीठ गठित की गई थी।

जनवरी से जारी है विवाद
कर्नाटक में हिजाब का विरोध इस साल जनवरी में शुरू हुआ, जब राज्य के उडुपी जिले के गवर्नमेंट गर्ल्स पीयू कॉलेज की कुछ छात्राओं ने आरोप लगाया कि उन्हें हिजाब पहने होने की वजह से कक्षाओं में जाने से रोक दिया गया। छात्र-छात्राओं के एक वर्ग ने इसका तीखा विरोध किया, जिसके विरोध में विजयपुरा स्थित शांतेश्वर एजुकेशन ट्रस्ट में विभिन्न कॉलेजों के छात्र भगवा शाल पहनकर पहुंचे। उडुपी जिले के कई कॉलेजों में भी यही स्थिति थी।

35 मुस्लिम छात्राओं ने किया परीक्षा का बहिष्कार
15 मार्च  को उच्च न्यायालय का ताजा फैसला आने के कुछ घंटों बाद यादगीर के सुरपुरा तालुक केंबवी गवर्नमेंट पीयू कॉलेज की कुल 35 छात्राओं ने परीक्षाओं का बहिष्कार किया और वहां से चली गईं। छात्राओं की प्रारंभिक परीक्षा शुरू हुई लेकिन फैसला सुनाए जाने के बाद उन्होंने इसका बहिष्कार किया। परीक्षा सुबह 10 बजे शुरू हुई और दोपहर 1 बजे तक खत्म होनी थी। कॉलेज की प्रिंसिपल शकुंतला ने बताया कि उन्होंने छात्राओं से कर्नाटक हाई कोर्ट के आदेशों का पालन करने की अपील की लेकिन छात्राओं ने मना कर दिया और परीक्षा हॉल से बाहर चली गईं। कुल 35 छात्राएं कॉलेज से बाहर चली गईं।

छात्राओं ने कही ये बात
इस बीच छात्राओं ने कहा कि वे अपने अभिभावकों के साथ फैसले पर चर्चा करेंगी और फिर तय करेंगी कि वे हिजाब पहने बिना कक्षा में शामिल होंगी या नहीं।

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