जम्मू में ‘जमीन जिहाद’! गायब कर दिये गए अतिक्रमित वन भूमि के कागज – अंकुर शर्मा

जम्मू कश्मीर, इस्लामी आतंक, मुस्लिम ब्रदरहुड और हिमालय क्षेत्र की संस्कृति के विनाश की ओर कार्य करनेवाली शक्तियों का शिकार रहा है। इसमें हिंदू क्षेत्रों में मुस्लिमों का बसाने के षड्यंत्र से इन्कार नहीं किया जा सकता।बांग्लादेशी और रोंहिग्या घुसपैठियों पर कार्रवाइयां इसका प्रमाण मानी जा सकती हैं।

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जम्मू में अब ‘जमीन जिहाद’ हो रहा है। यहां के दो गांवों की भूमि अभिलेख से संबंधित सभी कागज गायब हैं। रोशनी एक्ट के अंतर्गत जिस वन भूमि का अतिक्रमण किया गया था, यह कागज उसी भूमि के होने का आरोप लग रहा है। यदि ऐसा है तो प्रशासनिक स्तर पर यह बहुत बड़ी लापरवाही है, जो कि आतंकी गतिविधि से कम नहीं आंकी जानी चाहिये।

जम्मू संभाग के बाहु तहसील में आनेवाले चोवाधी और सुंजवान गांव के लथा और मस्सावी (भूमि अभिलेख कागजात जिसमें भूखंडों के स्वामित्व और नक्शे रहते हैं) गायब हो गए हैं। इस प्रकरण में उल्लेखनीय बात यह है कि इन अभिलेखों की दो प्रतियां होती हैं, जिनमें से एक पटवारी के पास और दूसरा भूमि अभिलेखागार (जनरल रिकॉर्ड रूम) में रहती हैं, इन दोनों प्रतियों के गायब होने की जानकारी मिली है।

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ऐसे खुला प्रकरण

  • राजस्व विभाग के सूत्रों के अनुसार जून 2021 में विभागीय आयुक्त जम्मू ने एक दल का गठन किया था। जिसे सर्वेक्षण करना था, इसमें चोवाधी और सुंजवान गांव के अंतर्गत अतिक्रमित राज्य सरकार की भूमि, कचराई भूमि और वन भूमि का ईटीएस (इलेक्ट्रॉनिक टोटल स्टेशन जिसे नेशनल लैंड रिकॉर्ड मॉर्डेनाइजेशन के अंतर्गत विकसित किया गया है) सर्वेक्षण करना था। इस सर्वेक्षण की रिपोर्ट में सर्वेक्षणकर्ता दल ने विभागीय आयुक्त को सूचित किया कि जम्मू संभाग के बाहु तहसील के अंतर्गत आनेवाले चोवाधी और सुंजवान गांव के भूमि अभिलेख संबंधी कागज लथा और मस्सावी गायब हो गए हैं।
  • सूत्रों के अनुसार सीमांकन (डिमार्केशन) कमेटी ने अपनी प्राथमिक रिपोर्ट में विभागीय आयुक्त को सूचित किया है कि चोवाधी और सुंजवान गांव के अक्स लथा/मस्सावी के कागज भी गोल गुजराल, जम्मू के भूमि अभिलेखागार (जनरल रिकॉर्ड रूम) से गायब हैं। इसमें नक्शे के साथ बुक ऑफ रिकॉर्ड ऑफ राइट्स (मिसल हकिकत) भी अभिलेखागार से खो गए हैं। इसके अलावा फील्ड बुक के विशिष्ट पेज भी गायब हैं।

सरकार समर्थित इस्लामीकरण का सत्यापन
इक्कजुट्ट जम्मू ने इस मुद्दे को बड़ी ही गंभीरता से लिया है। उन्होंने स्पष्ट कहा है कि,

चोवाधी और सुंजवान गांव के कागजों का गायब होना सोची समझी रणनीति है। ये दोनों गांव पूर्ण मुस्लिम बाहुल्य वाले हैं। सुंजवान के जंगल में बठिंडी जैसा शहर बसा दिया गया है, जो पूर्णरूप से मुस्लिम है। इस गांव में मात्र पॉवर ऑफ अटॉर्नी के जरिये संपत्तियों की खरीद फरोख्त की जाती है।
यह पूरी प्रक्रिया जमीन जिहाद का हिस्सा है। जैसे दिसंबर 2020 में रोशनी कानून के अंतर्गत न्यायालय के निर्णय पर कार्यान्वयन को रोकनेवाले जिहादी मानसिकता वालों के साथ वर्तमान की सेक्युलर सरकार भी शामिल थी। वैसे ही जिहादियों द्वारा भूमि अभिलेख के कागज (लथा मस्सावी) गायब करने के षड्यंत्र की जांच में सरकार की ओर से लीपापोती की जा सकती है। यह हिमालय क्षेत्र की सनातन सभ्यता को नष्ट करने के इस्लामी जिहाद का हिस्सा है।
अंकुर शर्मा – अध्यक्ष, इक्कजुट्ट जम्मू

शुरू हुई प्रशासनिक हलचल

  • चोवाधी और सुंजवान गांव के भूमि अभिलेखों के गायब होने की सूचना मिलने पर विभागीय आयुक्त चौकन्ने हुए और उन्होंने उप-विभागीय दंडाधिकारी- दक्षिणी जम्मू को एफआईआर पंजीकृत कराने का आदेश दिया है।
  • सू्त्रों से यह भी पता चला है कि विभागीय आयुक्त ने संबंधित क्षेत्र के तहसीलदार से भूमि अभिलेख कागजों का विवरण मांगा था। इसमें पूछा गया था कि कैसे चोवाधी व सुंजवान गांव के लथा और मस्सावी गायब होने के बाद भी फर्द इंतिखाब और फेर-फार (म्यूटेशन या दाखिल-खारिज) साक्ष्यांकित किये जा रहे हैं?
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