उत्तर प्रदेश में अब समय से मिलेगा न्याय! बनाए जाएंगे ऐसे कोर्ट परिसर

कोर्ट परिसर की डिजाइन ऐसी हो, जिससे आम आदमी उसमें सहजता के साथ अपने कार्यों का निष्पादन करा सके। डिजाइन सस्ता, सहज एवं सुलभ योजना के अनुसार किया जाना चाहिए।

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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक उच्चस्तरीय बैठक में प्रस्तावित एकीकृत न्यायालय परिसर के प्रारूप के संबंध में दिशा-निर्देश दिए। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि सुशासन में समय से न्याय मिलना जरूरी होता है। अपराधों की अलग-अलग प्रकृति के अनुसार त्वरित न्याय के लिए अलग-अलग कानूनों से जुड़े अदालतों की व्यवस्था है। वर्तमान में जिलों में यह अदालतें अलग-अलग जगहों से कामकाज संचालित करती हैं। एक ही जिले में अलग-अलग दिशाओं में अदालतों के चलते न्यायिक अधिकारियों और फरियादियों दोनों को ही दिक्कत होती है। सुरक्षा इंतजाम और प्रशासनिक व्यवस्था में भी दिक्कतें आती हैं। इसको देखते हुए अदालतों के लिए एकीकृत कोर्ट भवन उपयोगी हो सकते हैं।

10 जिलों में बनाए जाएंगे एकीकृत कोर्ट
उन्होंने कहा कि आम जन की सुविधा को देखते हुए न्यायिक प्रक्रिया को सुगम बनाने के लिए पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर महोबा, हाथरस, चंदौली, शामली, अमेठी, हापुड़, औरैया, सोनभद्र, संभल और चित्रकूट सहित 10 जिलों में ऐसे एकीकृत न्यायालय परिसरों का विकास किया जाना है। अनुपूरक बजट के माध्यम से इस विशेष परियोजना के लिए 400 करोड़ की व्यवस्था भी की गई है।

इसका रखें विशेष ध्यान
एकीकृत न्यायालय परिसर में जिला और अधीनस्थ न्यायालय, वाणिज्यिक न्यायालय, विविध, ट्रिब्यूनल, फास्ट ट्रैक कोर्ट और लोक अदालत आदि होंगे। यहां न्यायालय भवनों और अधिवक्ता चैंबर तथा सभागार के साथ ही न्यायाधीशों और न्यायिक अधिकारियों एवं कर्मचारियों के लिए आवासीय कॉलोनी, पार्किंग और फूड प्लाजा भी हो। कोर्ट परिसर की डिजाइन ऐसी हो, जिससे आम आदमी उसमें सहजता के साथ अपने कार्यों का निष्पादन करा सकें। डिजाइन सस्ता, सहज एवं सुलभ योजना के अनुसार किया जाना चाहिए। कोर्ट बिल्डिंग इस प्रकार से डिजाइन की जानी चाहिए कि उसमें रख-रखाव संबंधी कम से खर्च न्यूनतम हो। एक कोर्ट की आवाज दूसरे कोर्ट में न जाये, इसका विशेष ध्यान रखा जाए।

न्यायालय परिसर में होगा एक विशिष्ट कॉरिडोर
सीएम योगी ने कहा कि भारत में लोकतांत्रिक मूल्यों पर आधारित न्याय तंत्र की प्राचीन परंपरा है। सभी न्यायालय परिसर में एक विशिष्ट कॉरिडोर का निर्माण कराया जाए, जहां आमजन भारत की इन प्राचीन विशिष्टता से सुपरिचित हो सकें। कॉरीडोर में भारतीय संविधान की विशिष्टताओं, मूल अधिकारों, कर्तव्यों, विविध अनुच्छेदों का प्रभावी प्रस्तुतिकरण किया जाना चाहिए। सभी भवनों की डिजाइन अधिकतम FAR एवं कम से कम ग्राउंड एरिया कवरेज के आधार पर किया जाना चाहिए। भूआच्छादन सात प्रतिशत एवं FAR 0.72 लिया जा सकता है, जिससे कि भविष्य में बिल्डिंग एक्सपेंशन सुगमता से किया जा सके।

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