अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद तालिबान द्वारा सरकार बनाने की तमाम तरह की कोशिश जारी है। इस बीच चीन और तालिबान एक दूसरे के करीब आने का प्रयास कर रहे हैं। तालिबान पाकिस्तान के नक्शे कदम पर चलते हुए चीन की महत्वाकांक्षी सीपीईसी यानी चाइना-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर प्रोजेक्ट में शामिल होने की इच्छा जताई है।
तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने इस बारे में बयान दिया है। तालिबान के इस बयान के बाद भारत की टेंशन बढ़ सकती है। इसका कारण यह है, भारत इसका शुरू से ही विरोध करता आ रहा है।
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जबिउल्लाह मुजाहिद ने कहा कि अगले कुछ दिनों में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई प्रमुख फैज हामिद और तालिबान के वरिष्ठ नेता मुल्लाह अब्दुल गनी बरादर की मुलाकात होगी।
क्या है बीआरआई?
सीपीईसी चीन के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट बेल्ट ऐंड रोड इनिशिएटिव यानी बीआरआई का हिस्सा है। चीन बीआरआई के ऐतिहासिक सिल्क रूट का मॉडर्न वर्जन बताता है। मध्य युग में सिल्क रूट वह रास्ता था, जो चीन को यूरोप और एशिया के बाकी देशों से जोड़ता था, जबकि चीन-पाक आर्थिक गलियारा पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर और अक्साई चीन जैसे विवादित इलाकों से होकर जाता है। चीन ने वर्ष 2015 में सीपीईसी प्रोजक्ट की घोषणा की थी। इसकी लागत करीब 4.6 अरब डॉलर है। यह प्रोजक्ट पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट को चीन के शिनजियांग प्रांत से जोड़ेगा।
आईएसआई से मिलीभगत
तालिबान का यह बयान ऐसे समय में आया है, जब पहले से ही पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के साथ उसकी मिलीभगत को लेकर अटकलें लगाई जा रही हैं। कई अमेरिकी अधिकारी भी यह दावा कर चुके हैं कि तालिबान के गठन में पाकिस्तान ने अहम भूमिका निभाई है। अब पाकिस्तान वहां अपने मन मुताबिक सरकार बनाना चाहता है।