भारत सरकार ने पॉप्युलर फ्रंट ऑफ इंडिया पर प्रतिबंध लगाकर एक कारगर कदम आतंकवाद प्रसारित करनेवालों पर उठाया है। लेकिन कट्टरवादी प्रवृत्तियों के पनपने और राष्ट्रविरोधी गतिविधियों के कार्य करने पर अब भी कड़ी कार्रवाई नहीं हो पाई है। इस्लामी कट्टरवाद की समाप्ति की समर्थक देश की अधिकांश जनसंख्या के बीच इन दिनों एक इटालियन महिला नेता का वीडियो चर्चा में है। जिसके निर्णयों को भारत में लागू करने की आवाज उठने लगी है। इटली में अब नई मस्जिदों के निर्माण पर रोक लग गई है, साथ बहुत से ऐसे कदम उठाए गए हैं जिनसे इस्लामी कट्टरवाद या चरमपंथ पर लगाम लगाया जा सके।
इटली की महिला नेता का नाम है जॉर्जिया मेलोनी, जो वहां की नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री हैं। नई प्रधानमंत्री का भाषण बहुत ही आक्रामक है, वे कहती हैं जब नई सरकार नया कानून बनाएगी उसके बाद ही देश में नई मस्जिदों के निर्माण की अनुमति होगी। उनके निर्णयों की सूची बहुत लंबी है, जिसमें इटली के मूल निवासियों की रक्षा के लिए लिया गया है…
नई मस्जिद के निर्माण पर रोक – जॉर्जिया मेलोनी का एक वीडियो सामने आया है, जिसमें वे कहती हैं, हम लोग मार्सियानो, उम्ब्रिया में हैं। यहां एक नई मस्जिद का निर्माण किया जाना है, जिसे हमने रोक दिया है। हम मस्जिदों के निर्माण को नियंत्रित करेंगे। यह नागरिकों की सुरक्षा के लिए आवश्यक है। हम जिस कानून को लागू करने जा रहे हैं वह ‘ब्रदर्स ऑफ इटली’ पार्टी ने ड्राफ्ट किया है।
इमामों की नियुक्ति सरकारी नियंत्रण में – मस्जिदों में इमामों की नियुक्ति को लेकर भी नई प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी ने घोषणा की है कि, अब इस पर भी एक कानून लाया जाएगा, जिससे मस्जिदों में क्या होता है, लोग कैसी शिक्षा देते हैं, इसका पता चल पाए।
इटालियन भाषा अनिवार्य – मेलोनी ने कहा है कि, चुंकि हम इटली में रहते हैं, इसलिए सभी को इटली के कानून का पालन करना होगा। मस्जिद में जो भी वार्ता होगी, शिक्षा दी जाएगी, वह इटालियन भाषा में ही होगी। हम जानना चाहते हैं कि वे क्या बोलते हैं। इससे सभी उस वार्तालाप को समझ पाएंगे।
वित्त पोषण बताना होगा – मस्जिदों और सांस्कृतिक संस्थानों को कहां से धनापूर्ति हो रही है, इसको लेकर कुछ छुपा नहीं है। इन केंद्रों की अधिकतर धनापूर्ति कट्टरपंथी देशों से की जाती है। ऐसी धनापूर्ति सऊदी अरब, कतर जैसे देशों से हो रही हैं।
अरबी मॉडल का तीव्र विरोध – अरब के देशों में महिलाओं को अधिकार नहीं हैं। यह वे देश हैं जहां हाथ के बदले हाथ काटने, छोटी घटनाओं पर फांसी देने, होमोसेक्स के लिए फांसी और पत्थर मारने की सजा है। इनकी झलक भी इटली में स्वीकार्य नहीं है।
इस्लामी चरमपंथ पर कड़ा कानून – इटली के एक व्यक्ति का गले में क्रॉस पहनने पर एक इस्लामी चरमपंथी ने गला ही रेत दिया। ऐसे लोगों के विरुद्ध कड़ा कानून बनेगा और इटली के मूल नागरिकों की रक्षा की जाएगी।
न्यूनतम वेतन कानून समाप्त – इटली सरकार न्यूनतम वेतन कानून समाप्त करेगी। इटली के नागरिक करों का भुगतान कर रहे हैं और इस कानून की सहायता से बांग्लादेशी, लिबिया और सिरियाई लोग कमाकर लाभ ले रहे हैं।
बच्चों का पोषण खर्च बंद – इटली सरकार बच्चों के लिए 700 यूरो देती है, जिसे बंद किया जाएगा। इटली अब बच्चे पालनेवाला देश नहीं है। लोग 10-12 बच्चे पैदा करें और इटालियन नागरिकों के कर पर सरकार उनका पालन पोषण करे यह अब नहीं होगा।
बेरोजगारी भत्ता बंद – मेलोनी सरकार बेरोजगारी भत्ता भी बंद करने की योजना में है। जिससे निठल्ले बैठकर सरकार के पैसे पर कट्टरवादी कार्यों में संलिप्तता कम हो पाए।
तो भारत में क्यों नहीं
हिंदू महासभा के राष्ट्रीय प्रवक्ता मनीष पाण्डेय कहते हैं,
Join Our WhatsApp Communityजब यह निर्णय इटली में लागू हो सकता है तो भारत में क्यों नहीं हो सकता? अपने प्रधानमंत्रित्व काल में जब मनमोहन सिंह ने कहा था कि, देश के संसाधनों पर पहला अधिकार मुसलमानों का है, उसी समय हिंदुओं को समझ जाना चाहिये था कि, अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्र के अंतर्गत उन्हें समाप्त करने का कार्य किया जा रहा है। वर्तमान में कहीं भी चले जाइये वहां मस्जिदों की संख्या में तेजी से वृद्धि हो रही है। देव भूमि उत्तराखंड जहां इसकी झलक तक नहीं थी, वहां भी अब तेजी से मस्जिदें खड़ी हो रही हैं।
ऐसी परिस्थिति में मुद्दा सबसे बड़ा यही है कि, चीन और इटली की तरह भारत सरकार को भी देश में मुस्लिम जनसंख्या नियंत्रित करने के लिए गंभीरतापूर्वक विचार करना चाहिये।