ये चार कारण डुबा सकते हैं शिवसेना पदाधिकारी यशवंत जाधव की लुटिया! पढ़ें वो प्रेस नोट

मुंबई मनपा से संबंधित लोग आयकर विभाग के निशाने पर हैं। आरोप है कि, अवांछित रूप से बड़े स्तर पर आयकर की चोरी की जा रही है।

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मुंबई मनपा का काम करनेवाले 35 ठेकेदारों के यहां आयकर विभाग ने छापा मारा है। आयकर विभाग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार ये कार्रवाई 25 फरवरी 2022 को की गई थी। इसमें कई संवेदनशील साक्ष्य विभाग के हाथ लगने की सूचना है। इन सभी ठेकेदारों के संबंध शिवसेना पदाधिकारी और मुंबई मनपा की स्थाई समिति के अध्यक्ष यशवंत जाधव से होने के कयास हैं।

शिवसेना नेता यशवंत जाधव के सिर संकट के बादल मंडरा रहे हैं क्या? अब यह प्रश्न खड़ा हो गया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार आयकर विभाग ने यशवंत जाधव के यहां छापा मारकर 2 करोड़ रुपए की नकदी बरामद की गई थी, इसके अलावा छापा कार्रवाइयों में 1.5 करोड़ रुपए के अभूषण भी जब्त किये गए हैं। जांच एजेंसी की कार्रवाई यहीं नहीं थमी, 25 फरवरी, 2022 को मुंबई मनपा के लिए कार्य करनेवाले 35 ठेकेदारों के यहां भी आयकर विभाग ने कार्रवाई की।

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नेताजी की दिक्कतों के चार प्रमुख कारण

कागज और डिजिटल साक्ष्य जब्त
आयकर विभाग ने अपनी कार्रवाई के विषय में जानकारी दी है कि, इसमें कई संवेदनशील कागज, आर्थिक व्यवहारों से संबंधित साक्ष्य, डिजिटल साक्ष्य, बरामद किये गए हैं। विभाग के अनुसार बरामद किये गए सभी साक्ष्य शिवसेना नेता और ठेकेदारों के बीच के नेक्सस को प्रदर्शित करते हैं। आयकर विभाग के अनुसार कागज और बिलों में जिस धन का उल्लेख मिला है, उसकी कोई एंट्री बुक्स ऑफ एकाउंट में नहीं है।

एक अरब से अधिक की संपत्तियों का खुलासा
आयकर विभाग की कार्रवाई में एक अरब तीस करोड़ रुपए की संपत्ति का खुलासा भी हुआ है। ये सभी संपत्ति संबंधित नेता या उनके सहयोगियों के नाम या बेनामी हैं।

हवाला रैकेट से संबंध
आयकर विभाग का दावा है कि, छापा कार्रवाई में मिले साक्ष्य नेता और उनके सहायकों के संबंध अंतरराष्ट्रीय हवाला कारोबारियों से होने का प्रमाण प्रस्तुत करते हैं। हवाला के माध्यम से ये लोग अवांछित रूप से अजिर्त धन (कालाधन) को विदेश भेजते थे।

200 करोड़ की कर अदायगी छुपाई
मुंबई महानगर पालिका के ठेकेदारों के यहां से प्राप्त साक्ष्य इस बात को प्रमाणित करने के लिए बहुत हैं कि, उन्होंने आयकर भरने से बचने के लिए खर्च को बढ़ा चढ़ाकर दिखाया है। उनकी मोडस ऑपरेंडी ही यही थी कि, परियोजनाओं में होनेवाले खर्च को बढ़ाकर दिखाया जाए, जिससे लाभ की राशि कम हो जाए। इस प्रकार से ठेकेदार सरकार को दिये जानेवाले आयकर में से 200 करोड़ रुपए छुपाने में सफल रहे हैं। जिसका खुलासा अब हुआ है।

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