ऐसे बसेंगे कश्मीरी पंडित? जम्मू के हिंदुवादियों की कश्मीर में ‘नो एंट्री’

जम्मू-कश्मीर में पंडितों की वापसी की आशाएं फिर पलने लगी हैं। लेकिन इस बीच कुछ घटनाएं ऐसी हो गई हैं कि इन आशाओं के पूरा होने में अभी कोसों की दूरी दिख रही है।

91

इकजुट्ट जम्मू के अध्यक्ष अंकुर शर्मा से जम्मू-कश्मीर प्रशासन को एलर्जी हो गई है। इसके कारण अब इक्कजुट्ट जम्मू के पदाधिकारियों को अपने ही राज्य में घूमने के लिए अनुमति लेनी पड़ती है। राज्य में अनुच्छेद 370 और 35ए समाप्त चुका है, सरकार के अनुसार शांति की शंख बज रही है लेकिन नागरिक अपने ही राज्य में नहीं घूम सकते।

शुक्रवार को अंकुर शर्मा और उनकी पार्टी के पदाधिकारी किश्तवाड़ के लिए निकले थे। वहा चंदरकांत जी के बलिदान दिवस पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पण के कार्यक्रम में हिस्सा लेना था। लेकिन जैसे की यह दल थाथरी पहुंचा इन्हें रोक लिया गया। वैसे इससे कोई इन्कार नहीं कर सकता कि सुरक्षा बल अब भी आतंकियों के विरुद्ध कार्रवाई जारी रखे हुए हैं। लेकिन ये भी उतना ही सच है कि जब तक हिंदू जनसंख्या राज्य में उन्मुक्त मन से घूम नहीं पाएगी कश्मीरी पंडितों की वापसी की आशा करना व्यर्थ है।

जिलाधिकार की ‘हां’ एसएसपी की ‘ना’

अंकुर शर्मा बताते हैं कि थाथरी के जिलाधिकारी से उन्होंने बात की तो उन्होंने स्पष्ट कहा कि कोई प्रवेश बंदी नहीं है जबकि, एसएसपी ने बताया कि मेरे किश्तवाड़ में प्रवेश पर रोक है।

किश्तवाड़ के बाद डोडा में भी रोका
जम्मू-कश्मीर में अंकुर शर्मा का नाम ख्यातिनाम अधिवक्ता, प्रखर राष्ट्र भक्त और हिंदूवादी नेता के रूप में है। लेकिन इसे दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि कानूनन लोगों के अधिकारों के लिए लड़नेवाले एक जिम्मेदार नागरिक को उसके अपने ही अधिकार छीने जा रहे है। अंकुर शर्मा जब किश्तवाड़ में प्रवेश न मिलने पर लौट रहे थे तो वे डोडा में पार्टी कार्यालय के लिए मुड़ गए। लेकिन वहां भी सीमा पर ही उन्हें रोक लिया गया। एसएसपी डोडा ने बात करने पर बताया कि अंकुर शर्मा और इक्कजुट्ट जम्मू के डोडा में प्रवेश पर रोक है।

Join Our WhatsApp Community
Get The Latest News!
Don’t miss our top stories and need-to-know news everyday in your inbox.