उत्तर प्रदेशः हमीरपुर में यमुना और बेतवा के उफनाने से सैकड़ों घर जलमग्न

यमुना और बेतवा नदियों की उफान से तबाही मचने से एक दर्जन से अधिक गांवों के हजारों लोग गृहस्थी समेटकर प्रशासन के राहत कैम्प में शरण ली है।

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राजस्थान के धौलपुर बांध से 25 अगस्त को 25 लाख क्यूसेक पानी छोड़े जाने से उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले में यमुना और बेतवा नदियां उफान पर हैं। शहर और तटवर्ती इलाकों के सैकड़ों घर जलमग्न हो गए हैं। बाढ़ से हालात बिगड़ने पर एनडीआरएफ और पीएसी ने मोर्चा सम्भाल लिया है।

ग्राम मेरापुर में ही तमाम कच्चे मकानों के नदी में जमींदोज होने का सिलसिला भी शुरू हो गया है, जबकि शहर के अंदर कई मुहल्ले में सैकड़ों घर बाढ़ के पानी से जलमग्न हो गए हैं। पिछले एक हफ्ते से लगातार माताटीला और धौलपुर से पानी छोड़े जाने से यहां हमीरपुर बाढ़ के मुहाने आ गया है। मेरापुर, भिवांवा, डिग्गी, जरैली, भोला का डेरा व रमेड़ी डांडा समेत एक दर्जन से अधिक गांवों और डेरों में बाढ़ का पानी भर जाने से ग्रामीणों में हाहाकार मच गया है। हजारों लोगों ने गृहस्थी बटोरकर राहत शिविरों की ओर रुख किया है। वहीं सैकड़ों लोगों ने बेतवा पुल के पास हाइवे किनारे डेरा डाला है। लघु सिंचाई विभाग और स्कूल-कॉलेज भी बाढ़ के पानी से जलमग्न हो गए हैं।

मौदहा बांध निर्माण खंड के अधिशाषी अभियंता करन पाल गंगवार ने बताया कि यमुना, बेतवा, केन, चन्द्रावल, धसान व विरमा आदि नदियों में बाढ़ की स्थित से हमीरपुर, सरीला और सरीला तहसील क्षेत्र के तमाम गांव प्रभावित होते हैं। आज माताटीला डैम से फिर 1.28 लाख क्यूसेक पानी बेतवा नदी में छोड़ा गया है जिससे बेतवा नदी का जलस्तर करीब सवा मीटर तक बढ़ सकता है। धौलपुर से यमुना नदी में 23.79 लाख क्यूसेक पानी छोड़े जाने से यहां नदी के जलस्तर में डेढ़ मीटर तक बढ़ोतरी हो सकती है।

 40 सालों का टूट सकता है रिकार्ड
पिछले कई दिनों से डैम और धौलपुर से लगातार लाखों क्यूसेक पानी छोड़े जाने से यहां यमुना और बेतवा नदी चार दशकों का रिकार्ड तोडऩे के मुहाने आ गई है। सन 1983 में 12 सितम्बर को यहां यमुना और बेतवा नदी का अधिकतम जलस्तर 108.55 मीटर रिकार्ड किया गया था। इस बार यह रिकार्ड टूट सकता है। आज दोपहर यमुना नदी का जलस्तर 107.360 व बेतवा नदी का जलस्तर 106.820 मीटर पार हो गया है।

अधिशाषी अभियंता ने बताया कि दोनों नदियों का जलस्तर लगातार बढ़ने से संगम के पास बस भोला का डेरा, केसरिया का डेरा, जरैली मड़ईया, रमेड़ी डांडा व डिग्गी में बाढ़ का पानी भर गया है। इधर हमीरपुर शहर के खालेपुरा मुहाल में बेतवा के उफनाने से पचास से अधिक घर जलमग्न हो गए हैं। वहीं गौरादेवी मुहाल में सैकड़ों मकान भी यमुना नदी की उफान में जलमग्न हो गए है। हजारों लोग अपने मकान की छतों पर डेरा डाले है। अधिशाषी अभियंता ने बताया कि यमुना और बेतवा नदी का जलस्तर लगातार तेजी से बढऩे के कारण 21 गांव की आबादी प्रभावित हुई है वहीं 69 गांव की कृषि भूमि भी बाढ़ की जद में है। नदियों का जलस्तर 107.00 मीटर पार करने से 64 गांव भी बाढ़ के मुहाने आ गए हैं। बेतवा पुल पार कुछेछा, बरुआ, अमिरता, हेलापुर, कलौलीतीर, बरदा चंदुलीतीर सहित तमाम गांवों में भी अब बाढ़ का पानी घुस गया है।

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राहत कैैंपों में हजारों बाढ़ पीड़ितों ने डेरा डाला
यमुना और बेतवा नदियों की उफान से तबाही मचने से एक दर्जन से अधिक गांवों के हजारों लोग गृहस्थी समेटकर प्रशासन के राहत कैम्प में शरण ली है। एडीएम रमेश चन्द्र तिवारी ने 26 अगस्त को बताया कि अभी तक दो हजार लोग कैम्प में आए हैं जिन्हें नाश्ता और लंच मुहैया कराया जा रहा है। दोनों नदियों का जलस्तर अभी बढ़ रहा है इसलिए बाढग़्रस्त इलाकों में पीएसी और एनडीआरएफ की टीम को मुस्तैद कराया गया है। बाढ़ से मेरापुर, भिलांवा, केसरिया का डेरा, जरैली, भोला का डेरा, रमेड़ी डांडा, सूरजपुर, कलौलीतीर, सहजना समेत सौ से अधिक गांवों में फसलें बाढ़ के पानी में जलमग्न हो गई है। इससे किसानों में हाहाकार मच गया है। एडीएम रमेश चन्द्र तिवारी ने बताया कि बाढ़ से 13 गांव चपेट में आ चुके है वहीं 114 गांवों में खेत बाढ़ के पानी से प्रभावित हुए है। राजस्व विभाग की टीमें बाढग़्रस्त इलाकों में भेजी गई हैं।

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