ओबीसी आरक्षण रद्द करने पर उच्च न्यायालय का निर्णय, क्या है ट्रिपल सर्वे जिसके कारण लगा झटका?

ओबीसी आरक्षण का मुद्दा उत्तर प्रदेश में गरमा गया है। उच्च न्यायालय के निर्णय से राज्य सरकार सकते में है।

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उत्तर प्रदेश में उच्च न्यायालय की लखनऊ खण्डपीठ ने अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए दिए गए आरक्षण को रद्द कर दिया है। न्यायालय ने अपने आदेश में शीघ्रता से चुनाव करवाने का आदेश दिया है। यह आदेश प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार के लिए झटका माना जा रहा है। न्यायालय ने ट्रिपल सर्वे पर न कराए जाने के कारण ओबीसी आरक्षण को समाप्त किया है।

लखनऊ उच्च न्यायालय के न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायाधीश सौरभ लवानिया की खण्डपीठ ने ओबीसी आरक्षण को चुनौती देने वाली 93 याचिकाओं की सुनवाई करके आदेश दिया है। उच्च न्यायालय ने 87 पेज के अपने आदेश में कहा है कि, बिना ट्रिपल सर्वे के भी चुनाव हो सकता है। इस आधार पर बिना ओबीसी आरक्षण के जल्द से जल्द चुनाव सम्पन्न कराने का आदेश दिया गया है।

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ओबीसी आरक्षण के साथ ही चुनाव – मुख्यमंत्री योगी
मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि प्रदेश सरकार नगरीय निकाय सामान्य निर्वाचन के परिप्रेक्ष्य में आयोग गठित करेगी। ट्रिपल टेस्ट के आधार पर अन्य पिछड़ा वर्ग को आरक्षण की सुविधा दी जाएगी। इसके उपरान्त ही नगरीय निकाय सामान्य निर्वाचन को सम्पन्न कराया जाएगा। यदि आवश्यक हुआ तो राज्य सरकार उच्च न्यायालय के निर्णय के क्रम में तमाम कानूनी पहलुओं पर विचार करके सर्वोच्च न्यायालय में अपील भी करेगी।

क्या है ट्रिपल टेस्ट?
ट्रिपल टेस्ट के अंतर्गत प्रत्येक राज्य सरकार को अन्य पिछड़ा वर्ग को आरक्षण देने के लिए एक समर्पित कमीशन बनाना होता है। यह कमीशन ओबीसी वर्ग में शामिल की गई जातियों की शिक्षा, आर्थक स्थिति और राजनीतिक आधार का निरिक्षण करती है, जिसकी रिपोर्ट के आधार पर आरक्षण दिया जाता है।

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