जब देश में ही हैं गद्दार तो बाहरी शत्रु की क्या है जरुरत?

भारत की मिट्टी में पले-बढ़े, खाए,पिए देश के इन गद्दारों से पूछना चाहिए कि जिसने तुम्हें दूध पिलाया, उसे ही डस रहे हो, कुछ तो इंसान होने का फर्ज निभाओ, भारत में जन्म लेने का ही कुछ मान रख लेते।

76

भारत के सभी देशभक्त देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत एवं उनके साथ हेलीकॉप्टर दुर्घटना में दिवंगत हुए अपने सैनिकों को याद कर नमन कर रहे हैं। उन्हें भावमय श्रद्धांजलि दे रहे हैं तो दूसरी ओर इसी मिट्टी और देश से सबकुछ ले रहे कुछ गद्दार भी हैं, जो इस दुख भरे माहौल में भी खुशियां मनाने या व्यंग्य करने से पीछे नहीं हट रहे। इस दृश्य को देख जनरल रावत की यह बात याद आती है जो वे कई बार कहा करते थे- भारतीय सेनाएं एक साथ ढाई मोर्चों पर लड़ने में सक्षम हैं। ढाई मोर्चे का मतलब था चीन और पाकिस्तान के साथ ही देश के भीतर छिपे दुश्मन, जो आज अपने सैनिकों के बलिदान पर हंस रहे हैं, व्यंग्य कर रहे हैं ।

… तो किसी बाहरी शत्रु की जरूरत नहीं
भारत की मिट्टी में पले-बढ़े, खाए,पिए देश के इन गद्दारों से पूछना चाहिए कि जिसने तुम्हें दूध पिलाया, उसे ही डस रहे हो, कुछ तो इंसान होने का फर्ज निभाओ, भारत में जन्म लेने का ही कुछ मान रख लेते। वास्तव में सैन्य अफसरों-कर्मियों के निधन के बाद कई विषाक्त, बेहूदी और कुत्सित टिप्पणियों ने आज बहुत कुछ स्पष्ट कर दिया है। आज साफ पता चल रहा है कि भारत में ऐसे देशद्रोहियों के होते हुए उसे किसी बाहरी शत्रु की जरूरत नहीं।

आस्तीन के सांपों के फन कुचलने की जरुरत
वाकई जो टिप्पणियां बलिदानियोे को लेकर सोशल मीडिया पर की गई हैं, उन्हें देख और पढ़कर यही लगता है कि भारत को बाहरी शत्रुओं से बाद में पहले घर के अंदर बैठे इन सांपों, संपोलों और नागों के फन को कुचलना चाहिए। हाल ही में सोशल मीडिया पर ऐसे कई सांपनाथ और नागनाथ सक्रिय दिखे हैं, जिन्होंने देशभक्त वीर योद्धा और देश के सच्चे सिपाहियों के दिवंगत होने को लेकर मजाक बनाया है।

हैरानी की बात
आश्चर्य तो यह है कि जयपुर के सिविल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के एक प्रोफेसर का भी एक कथित फेसबुक स्क्रीन शॉट वायरल हो रहा है। उसमें लिखा है, ”सीडीएस अपनी वाइफ को लेकर सेना के हेलीकॉप्टर से कहां तफरीह कर रहे थे। चॉपर कोई दहेज में मिला हुआ था।” अब आप स्वयं सोचिए कि हमने अपने देश में शिक्षक के नाम पर कौन से विचार को पाल रखा है? जबकि हकीकत यह है कि फौजी अफसर के तौर पर जनरल बिपिन रावत का नेतृत्व ऐसा चमत्कारिक था कि स्ट्रैटेजी बनाने और उस पर अमल करते हुए वह चीन और पाकिस्तान को कई बार मात दे चुके थे। कैलाश रेंज की तैनाती से उन्होंने यह साबित भी किया। वह वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन को अपनी सफलतम रणनीतिक योजनाओं से कई बार पीट चुके थे। पाकिस्तान का भी उनके कारण बुरा हाल था। ऐसे देशभक्त को हेलीकॉप्टर हादसे में पत्नी सहित खो देने के बाद उन पर इस प्रकार व्यंग्य ?

शिक्षकों के मन में जहर तो…
जब शिक्षकों के मन में इस प्रकार का जहर भरा होगा, तब शिक्षार्थी किस प्रकार के तैयार होंगे ? जनरल के बलिदान ने यह बात भी आज सामने ला दी है। आईआईटी दिल्ली के एक छात्र का ट्वीट इस बात का गवाह है, उसने लिखा, ”दोस्तो, ….मर गया”। इसके साथ उसने जश्न की इमोजी डाली थी। सोचिए, हम कौन-सी शिक्षा दे रहे हैं? यह कौन से शिक्षक हैं, जो इस प्रकार के शिष्यों को तैयार कर रहे हैं जो पौध से पेड़ बनने के साथ देशभक्त विचारधारा पूर्ण समर्पण के भावमय प्रेम में डूबने के स्थान पर जहरीले कांटों में बदल रहे हैं?

राजस्थान का जावाद खान गिरफ्तार
मानसिक जहर से भरे हुए यह दो उदाहरण ही आज सामने नहीं हैं। राजस्थान के टोंक में जावाद खान को गिरफ्तार किया जा चुका है। दिवंगत जनरल रावत को लेकर जावाद खान ने अपने सोशल मीडिया हैंडल से यहां तक लिख दिया कि ”जहन्नुम जाने से पहले ही जिंदा जल गया।” उसने यह लिखने के साथ ही जनरल रावत का फोटो भी शेयर किया। देश का गद्दार लिखने को लेकर यहीं नहीं रुक गया, इसकी हिम्मत तो देखिए, यह जावाद खान दिवंगत जनरल रावत का नाम लिखने से पहले घोर आपत्तिजनक शब्द का प्रयोग भी करता है।

जहरीली माानसिकता से ग्रस्त
आज सोचने वाली बात यह भी है कि इस तरह से अमर्यादित टिप्पणी करने वाले व्यक्ति जावाद खान की उम्र सिर्फ 21 वर्ष है। अभी-अभी इसकी उम्र शादी के लिए परिपक्व एक युवक की हुई है। जब यह इस उम्र में आकर इस तरह की जहरीली मानसिकता से ग्रस्त है तब आप सोच सकते हैं कि जब इसका परिवार बनेगा तो यह अपने परिवार को कौन-सी शिक्षा या ज्ञान दे रहा होगा? वह देशभक्ति भारत भक्ति की होगी या देशद्रोह भारत द्रोह की, अब आप ही सोचिए ?

देश में दुश्मनों के समर्थकों की कमी नहीं
वास्तव में इन सभी कुत्सित टिप्पणियों से यही समझ आता है कि भारत में जहरीली सोच वाले जिहादियों, खालिस्तानियों, अलगाववादियों, उग्रवादियों और आतंकवाद के दबे-छिपे समर्थकों की कोई कमी नहीं हैं। कहना होगा कि रावत जब देश में छिपे इन गद्दारों को ढाई मोर्चे में लेकर गिनते थे तो वे सही करते थे, इन सभी देशद्रोहियों का आज पुख्ता इलाज होना चाहिए।

सीडीएस रावत का सैन्य ऑपरेशन ऐतिहासिक
काश, ये भारत में पैदा हुए लोग अपने वीरों के तप को भी देखें कि देश के लिए दी गई उनकी सेवाएं एक संप्रभु राज्य (भारत के संदर्भ में राष्ट्र) के लिए क्या मायने रखती हैं। फौजी अफसर के तौर पर रावत के नेतृत्व में किए गए दो ऑपरेशन इतिहास में दर्ज हैं। पहला- 2015 में म्यांमार में किया गया सैन्य ऑपरेशन, जिसमें भारतीय सेना ने म्यांमार में घुसकर आतंकियों के एंबुश हमले का करारा जवाब दिया था। दूसरा- वर्ष 2016 में उरी हमले के बाद की गई सर्जिकल स्ट्राइक, जिस कश्मीर में पाकिस्तान ने कब्जा कर रखा है वहां सेना ने घुसकर आतंकी लॉन्चिंग पैड पर हमला किया था। सर्जिकल स्ट्राइक की प्लानिंग में जनरल रावत ने अहम जिम्मेदारी निभाई थी।

भारत की स्थिति कई गुना मजबूत
भारत को शक्ति सम्पन्न एवं दुनिया की नम्बर एक सैन्य ताकत बनाने के लिए उन्होंने तीनों सेनाओं की एयर, स्पेस, साइबर और मरीन कमांड की पहल की, जिसे उनका ब्रेन चाइल्ड कहा जाता है। ये उनकी सफल रणनीति ही थी, जोकि भारत की सीमाएं जिस भी देश के साथ लगती हैं, वहां अंतरराष्ट्रीय सीमा पर भारत की स्थिति कई गुना मजबूत होकर आज सभी के सामने है।

भारत में सर्वत्र मौजूद
अंत में कहना यही होगा कि देशद्रोहियों, सांपों, नागों और संपोलों की इन टिप्पणियों ने यदि कुछ साबित किया है तो यही कि जनरल रावत पाकिस्तान, चीन के साथ जिस आधे मोर्चे यानी देश के भीतर छिपे शत्रुओं की ओर संकेत कर रहे थे, वे सचमुच में भारत में सर्वत्र मौजूद हैं और वे देश की सुरक्षा एवं अखण्डता के लिए आज सबसे बड़ा खतरा हैं। ऐसे में इन्हें जितनी जल्दी खोजा जाए और इनका सही इलाज जितनी जल्दी शुरू कर दिया जाए, देश हित में वह उतना अच्छा रहेगा। अभिव्यक्ति का मतलब कतई यह नहीं कि आप इनकी आड़ में अपने देश के साथ ही गद्दारी करें, लोगों को उकसाएं और दिमागों में जहर भरें।

डॉ. मयंक चतुर्वेदी

( लेखक फिल्म प्रमाणन बोर्ड की एडवाइजरी कमेटी के पूर्व सदस्य एवं पत्रकार हैं।)

Join Our WhatsApp Community
Get The Latest News!
Don’t miss our top stories and need-to-know news everyday in your inbox.