हरियाणा में सार्वजनिक जगहों को नमाज के नाम पर घेरने के प्रयत्न पर विराम लग गया है। इस विषय में मुख्यमंत्री ने स्पष्ट कर दिया है कि, मुसलमान ऐसा करके अन्य समुदायों के अधिकारों पर अतिरेक न करें। इसके बाद यह स्पष्ट हो गया है कि हरियाणा सरकार को नमाज के नाम पर अब ऐसी कोई गतिविधि स्वीकार नहीं है।
मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर ने स्पष्ट किया है कि जिला प्रशासन द्वारा पूर्व में नमाज के लिए आरक्षित किये गए भूखंडों के निर्णय को रद्द कर दिया गया है। इस प्रकरण में राज्य सरकार अब एक सामूहिक समाधान पर कार्य कर रही है। मुख्यमंत्री इस विषय में पूछे गए प्रश्नों का उत्तर दे रहे थे। उन्होंने कहा कि, राज्य में सार्वजनिक स्थानों पर नमाज पढ़ने की घटनाओं की अनदेखी नहीं की जाएगी। इस विषय में हम मिल बैठकर समाधान खोजेंगे।
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उसका नहीं है विरोध
मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर ने कहा है कि, यदि कोई अपने स्थान पर नमाज या कोई पाठ करता है तो, इससे कोई समस्या नहीं है। ऐसे कार्यों के लिए ही धार्मिक स्थान बने हैं। परंतु, सार्वजनिक स्थानों पर ऐसा करने की अनुमति नहीं है।
सार्वजनिक स्थानों पर नमाज पढ़कर विवाद खड़ा करने के प्रयत्नों से बचना होगा। सरकार दोनों पक्षों (हिंदू और मुसलमान) में विवाद का समर्थन नहीं करती।
पुराना है विवाद
खुले स्थानों पर नमाज पढ़ने का सिलसिला हरियाणा में बहुत पुराना है। 2018 में इस विषय को लेकर विवाद हो चुका है, जब गुरुग्राम के 125 स्थानों पर खुले में नमाज होती थी। इसको लेकर लोगों को परेशानी होती थी, जिसके कारण धीरे-धीरे लोगों ने विरोध करना शुरू किया। इसके कारण मई 2018 में पुलिस प्रशासन और मुस्लिम समाज की संयुक्त बैठक हुई। जिसमें 125 स्थानों के बजाए मात्र 37 स्थानों पर खुले में नमाज पढ़ने की अनुमति दी गई।