विश्व के भगोड़े राष्ट्राध्यक्ष! जानिये, किसने किस देश में ले रखी है शरण और उनका क्या है हाल

अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने कहा था कि वे खून के अंतिम कतरा तक देश नहीं छोड़ेंगे, लेकिन अचानक खबर आई कि उन्होंने देश छोड़ दिया है। इस तरह की घटना विश्व के कई अन्य राष्ट्राध्यक्षों के साथ भी घट चुकी है।

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यूक्रेन रूसी हमले से कराह रहा है। चंद दिनों में एक खूबसूरत देश खंडहर में बदल गया है। इस बीच ऐसा भी कहा जा रहा है कि यूक्रेन के राष्ट्रपति देश छोड़कर पोलैंड या किसी अन्य मित्र देश में शरण ले सकते हैं। हालांकि उन्होंने इस तरह की किसी भी संभावना से इनकार किया है। इसके बावजूद उनके बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता। अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने देश छोड़ने से एक दिन पहले तक कहा था कि वे खून के अंतिम कतरे तक देश नहीं छोड़ेंगे, लेकिन अचानक खबर आई कि उन्होंने देश छोड़ दिया है। इसी तरह की घटना विश्व के कई अन्य राष्ट्राध्यक्षों के साथ भी घट चुकी है। आज भी कई देशों के राष्ट्रध्यक्ष विदेशों में शरण लिए हुए हैं।

 संयुक्त अरब अमीरात में अशरफ गनी
अफगानिस्तान में सेना के हथियार डाल देने के बाद तालिबान लड़ाके तेजी से काबुल की ओर बढ़ रहे थे। अफगानिस्तान पर उनका कब्जा निश्चित हो गया था। इस स्थिति में राष्ट्रपति अशरफ गनी ने देश छोड़ दिया।

स्पष्टीकरण
अशरफ गनी ने कहा कि काबुल छोड़ने का फैसला उन्होंने कुछ मिनटों में लिया था। उससे पहले उन्हें पता नहीं था कि वे देश छोड़ने वाले हैं। उन्होंने कहा, “15 अगस्त 2021 को तालीबानी लड़ाकों ने काबुल पर कब्जा कर लिया, और उनकी सरकार गिर गई। मुझे पता नहीं था कि यह अफगानिस्तान में मेरा अंतिम दिन था। दोपहर तक राष्ट्रपति की सुरक्षा भी खत्म हो गई थी। अगर मैं काबुल नहीं छोड़ता तो वे सब मारे जाते थे, जो मेरा बचाव कर रहे थे।”

“नहीं पता था कि हम कहां जा रहे हैं”
उन्होंने कहा कि खोस्त, जलालाबा आदि शहरों के बारे में सोचा लेकिन इन पर तालिबान का कब्जा हो चुका था। अशरफ गनी ने कहा, “जब हमने उड़ान भरी तो पता नहीं था कि हम कहां जा रहे हैं।” गनी फिलहाल संयुक्त अरब अमीरात में हैं।

आलोचना के बाद दी सफाई
अफगानिस्तान छोड़ने के बाद अशरफ गनी की काफी आलोचना की गई थी। गनी पर लाखों रुपए लेकर अफगानिस्तान छोड़ने का भी आरोप लगा। हालांकि उन्होंने इस आरोप को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा,” उनकी पहली चिंता काबुल में चल रही लड़ाई को रोकने की थी। काबुल और अपने लोगों को बचाने के लिए मुझे ऐसा करना पड़ा। यह कोई राजनीतिक समझौता नहीं था, बल्कि हिंसक तख्तापलट था। अफगानिस्तान में जो कुछ हुआ, वह अफगानिस्तान का मसला न बनकर अमेरिका का मसला बना दिया गया।”

 ब्रिटेन में नवाज शरीफ
नवाज शरीफ पाकिस्तान के 12वें प्रधानमंत्री थे। इस पद पर उनका कार्यकाल जून 2013 में शुरू हुआ था। वरिष्ठ राजनेता और उद्योगपति शरीफ इससे पहले भी 1990-93 और 197-99 तक दो बार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री रहे थे।
28 जुलाई, 2017 को पाकिस्तान के सर्वोच्च न्यायालय ने उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की सुनवाई करते हुए उन्हें प्रधानमंत्री पद के लिए अयोग्य करार दिया था। उन पर 90 के दशक में पद का दुरुपयोग करते हुए मनी लॉन्ड्रिंग करने और लंदन में बेनामी संपत्ति खरीदने के आरोप लगे थे। इन संपत्तियों के मामले का खुलासा 2016 में पनामा पेपर लीक्स के बाद हुा था। उन्हें कथित रूप से शरीफ के बच्चों के मालिकाना हक वाली ऑफशोर कंपनियों के तहत मैनेज किया गया था।

स्वदेश वापसी की चर्चा लेकिन नहीं लौटे नवाज
दिसंबर 2021 में उनकी स्वदेश वापसी की खूब चर्चा हुई। हालांकि ये खबर बाद में अफवाह साबित हुई। एक न्यायालय ने शरीफ को भ्रष्टाचार के मामले में जेल की सजा सुनाई थी। उसके बाद लाहौर उच्च न्यायालय ने 2019 में उन्हें मेडिकल ग्राउंड पर चार सप्ताह के लिए लंदन जाने की अनुमति दे दी थी। हालांकि लंदन जाने के बाद शरीफ स्वदेश नहीं लौटे।
एक बयान में उनके भाई शहबाज शरीफ ने कहा था, “नवाज शरीफ ब्रिटेन में तब तक रह सकते हैं, जब तक ब्रिटिश गृह मंत्रालय वीजा बढ़ाने की अस्वीकृति के खिलाफ उनकी अपील पर आव्रजन न्यायाधिकरण नियम नहीं बनाता है।” इस बीच पीएमएल-एन की उपाध्यक्ष और नवाज शरीफ की बेटी मरियम नवाज ने एक ट्वीट कर कहा, “इस नकली सरकार ने नवाज शरीफ से अपनी हार स्वीकार कर ली है। यही पाकिस्तान का वर्तमान और भविष्य है।”

जनरल परवेज मुशर्रफ
दिसंबर 2019 में पाकिस्तान के पूर्व स्वघोषित राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ एक बार फिर उस समय चर्चा में आ गए थे, जब उन्हें इस्लामाबाद के एक विशेष न्यायालय ने नवाज शरीफ सरकार के तख्तापलट मामले में फांसी की सजा सुनाई।12 अक्टूबर 1999 को तख्तापलट कर मुशर्रफ ने खुद को पाकिस्तान का राष्ट्रपति घोषित कर दिया था। इसके साथ ही उन्होंने नवंबर 2007 में गैरसंवैधानिक रूप से आपातकाल लागू कर दिया था। इसी आरोप में उन पर राजद्रोह का मामला चल रहा था। उन्होंने आपातकाल के बाद पाकिस्तान में मार्शन लॉ भी लागू किया था। जनरल मुशर्रफ 6 अगस्त 2009 को वे इंग्लैंड चले गए थे। उन्होंने 8 मार्च 2010 को अपनी पार्टी एपीएमएल लॉन्च की। वे खुद उसके अध्यक्ष बने।24 मार्च 2013 को आम चुनाव के लिए पाकिस्तान लौटे। 30 अप्रैल 2013 को पेशावर न्यायालय ने उनके सीनेट और नेशनल असेंबली चुनाव लड़ने से रोक दिया।

दुबई में शरण
इसके बाद 18 मार्च 2016 को वे दुबई चले गए। उसके बाद 11 अप्रैल 2016 को विशेष न्यायालय ने देशद्रोह के केस मे भगोड़ा घोषित किया। फिलहाल परवेज मुशर्रफ दुबई में हैं और गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं।

खास बातें

  • जून 2001- खुद को राष्ट्रपति घोषित किया
  • 24 मार्च 2013-आम चुनाव के लिए स्वदेश लौटे
  • 19अप्रैल 2013- मजिस्ट्रेट कोर्ट में सरेंडर किया
  • 12 दिसंबर 2013-देशद्रोह मामले में समन जारी
  • 18 मार्च 2016-मेडिकल ग्राउंड पर दुबई रवाना
  • 8 अक्टूबर 2019- हर दिन सुनवाई का फैसला
  • 17 दिसंबर 2019- मौत की सजा सुनाई गई
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