कन्हैया और जिग्नेश ने थामा कांग्रेस का हाथ! क्या अब बनेगी बात?

फिलहाल कन्हैया कुमार की भूमिका को लेकर तस्वीर साफ नहीं है, लेकिन समझा जा रहा है कि उन्हें बिहार में कोई बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है।

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जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष और सीपीआई नेता कॉमरेड कन्हैंया कुमार अब कांग्रेसी बन गए हैं। उनके साथ ही गुजरात के दलित नेता जिग्नेश मेवानी ने भी कांग्रेस का हाथ थाम लिया है। इसके लिए दिल्ली स्थित पार्टी कार्यालय में पहले से ही तैयारी की गई थी। वहां इन युवा नेताओं के पार्टी में स्वागत के लिए बड़े-बड़े पोस्टर लगाए गए थे।

कांग्रेस में शामिल होने से पहले राहुल गांधी के साथ दोनों नेता दिल्ली के आईटीओ स्थित शहीदी पार्क पहुंचे। यहां तीनों ने महान स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह की जयंती पर उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। इनके साथ गुजरात कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष हार्दिक पटेल भी उपस्थित थे।

भूमिका को लेकर तस्वीर साफ नहीं
फिलहाल कन्हैया कुमार की भूमिका को लेकर तस्वीर साफ नहीं है, लेकिन समझा जा रहा है कि उन्हें बिहार में कोई बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है, जबकि जिग्नेश मेवानी को गुजरात में पार्टी का कोई बड़ा पद दिया जा सकता है। जिन युवाओं के कांग्रेस में शामिल होने की चर्चा थी, उनमें से तीन अब तक पार्टी का दामन थाम चुके हैं, जबकि प्रशांत किशोर की अभी तक पार्टी में एंट्री नहीं हुई है। हालांकि निर्दलीय विधायक होने से तकनीकी कारणों से जिग्नेश की भी कांग्रेस में औपचारिक तौर पर एंट्री नहीं हुई है, लेकिन उन्होंने कहा है कि वे कांग्रेस के साथ हैं और अगला चुनाव कांग्रेस के चुनाव चिह्न पर लड़ेंगे।

कांग्रेस पार्टी नहीं, एक सोच हैः कन्हैया
कन्हैया कुमार ने इस अवसर पर कहा, ‘इस देश के लाखों-करोड़ों नौजवानों को यह लगने लगा है कि अगर कांग्रेस नहीं बची तो देश नहीं बचेगा। हम कांग्रेस पार्टी में इसलिए शामिल हुए हैं, क्योंकि कांग्रेस गांधी की विरासत को लेकर आगे चलेगी। मैं कांग्रेस में इसलिए शामिल हो रहा हूं क्योंकि मुझे ये महसूस होता है कि देश में कुछ लोग सिर्फ लोग नहीं हैं, वो एक सोच हैं। कांग्रेस वो पार्टी है, जो गांधी, नेहरू, भगतसिंह के विचारों को लेकर आगे चलती है। यह देश की सबसे बड़ी लोकतांत्रिक पार्टी है।’

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संघर्ष के प्रतीक हैं कन्हैयाः कांग्रेस
कांग्रेस कार्यालय में कन्हैया कुमार का स्वागत करते हुए कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने कहा कि वे देश में अभिव्यक्ति की आजादी के संघर्ष के प्रतीक हैं। कन्हैया कुमार ने छात्र नेता रहते हुए कट्टरपंथी ताकतों से लड़ाई लड़ी। उनके कांग्रेस में शामिल होने से पार्टी उत्साहित है।

कमजोर हो रही कांग्रेस को मजबूती देने की पहल
दिन प्रतिदिन कमजोर होती जा रही कांग्रेस युवाओं के साथ ही जातीय समीकरण साधकर अपनी जमीन मजबूत करने की कोशिश कर रही है। इसके लिए वह पार्टी में बड़े बदलाव करने की कोशिश कर रही है। पार्टी की नजर पांच राज्यों में 2022 में होने वाले चुनावों के साथ ही 2024 के लोकसभा चुनाव पर भी है। पार्टी की सबसे बड़ी परेशानी कमजोर संगठन है। इसके साथ ही पार्टी का जातीय समीकरण भी बिखरा हुआ है। इसलिए पंजाब में पार्टी ने दलित चेहरा चरणजीत सिंह चन्नी को सीएम बनाकर दलितों को आकर्षित करने की कोशिश की है।

युवाओं पर दांव
कांग्रेस की कोशिश पार्टी के साथ अधिक से अधिक युवाओं को जोड़ने की है। उसकी नजर ऐसे युवकों पर विशेष रुप से है, जो आंदोलन और संघर्ष से आगे आए हैं। कन्हैया कुमार, जिग्नेश मेवाणी, हार्दिक पटेल और प्रशांत किशोर ऐसे ही युवक हैं।

कन्हैया कुमार
कन्हैया कुमार बिहार के बेगूसराय के रहने वाले हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में वे भारतीय जनता पार्टी के गिरिराज सिंह से चुनाव हार गए थे। इस क्षेत्र में भूमिहार मतदाताओं की संख्या सबसे ज्यादा है और कन्हैया भी इसी समुदाय से आते हैं। हालांकि अब तक कन्हैया कुमार राजनीति मे अपनी जमीन तैयार नहीं कर पाए हैं लेकिन कांग्रेस का मानना है कि भविष्य में वे एक सुलझे हुए नेता बन सकते हैं। इसके साथ ही उसे बिहार में पार्टी को मजबूत करने कि लिए कन्हैया जैसे युवाओं की जरुरत है।

जिग्नेश मेवानी
जिग्नेश मेवाणी भारतीय जनता पार्टी के कट्टर विरोधी हैं और वे हमेशा उसकी विचारधाराओं के विरोधी रहे हैं। गुजरात में सात प्रतिशत मतदाता दलित हैं और जिग्नेश इसी समुदाय से आते हैं। इस स्थिति में कांग्रेस को उनके पार्टी में आने से फायदा मिलने  का भरोसा है। वैसै भी गुजरात में सात प्रतिशत यानी 13 सीटें दलितों के लिए आरक्षित हैं। मेवानी के कांग्रेस में आने पर पार्टी की तस्वीर बदल सकती है।

हार्दिक पटेल
हार्दिक पटेल भी गुजरात से आते हैं और वे पाटीदार समुदाय से संबंध रखते हैं। वहां पाटीदार समुदाय करीब 14 प्रतिशत है और यह समुदाय विधानसभा तथा लोकसभा की एक चौथाई सीटों पर जीत-हार का फैसला करता है। हार्दिक कांग्रेस का दामन थाम चुके हैं। हालांकि अभी तक उनके पार्टी में आने का कांग्रेस को कोई बहुत ज्यादा लाभ नहीं मिला है लेकिन उनके पास वक्त है और भविष्य में वे कांग्रेस के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकते हैं।

प्रशांत किशोर
चुनाव रणनीतिकार के रुप में देश भर में मशहूर प्रशांत किशोर का आज नहीं तो कल कांग्रेस में शामिल होना तय माना जा रहा है। पार्टी को उनमें बड़ी संभावनाएं दिख रही हैं। कांग्रेस को उनसे जहां चुनावी रणनीति बनाने में मदद मिलेगी, वहीं संगठन को मजबूत करने में भी उनकी अहम भूमिका हो सकती है। हालांकि उन्होंने अगले साल होने वाले पांच राज्यों के चुनाव से खुद को अलग कर लिया है लेकिन राजनीति के जानकारों का मानना है कि कांग्रेस की चुनावी रणनीति बनाने में उनका प्रभाव देखा जा सकेगा।

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