गोवा में चुनावी पारा चढ़ने लगा है। इसलिए चुनाव मैदान में उतरने के लिए नए समीकरण भी बनते दिख रहे हैं। अब तक कांग्रेस पर हमला करने वाली तृणमूल कांग्रेस पार्टी प्रमुख ममता बनर्जी ने वहां चुनाव को देखते हुए उससे दोस्ती करने के संकेत दिए हैं। मिली जानकारी के अनुसार वहां दोनो पार्टियां साथ मिलकर चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं।
महाराष्ट्र मॉडल को गोवा में आजमाने की फिराक में लगी शिवसेना को इस राजनीतिक बदलाव से जोर का झटका लगा है। उसने पिछले दिनों काग्रेस के कई नेताओं से मुलाकात कर साथ मिलकर चुनाव लड़ने को लेकर चर्चा की थी, लेकिन बात नहीं बनी और पार्टी सांसद संजय राउत की मेहनत व्यर्थ चली गई। अब शिवस्ना ने गोवा में अपने दम पर चुनाव में किस्मत आजमाने का फैसला किया है।
कुछ दिन पहले दिया संकेत
बता दें कि हाल ही गोवा में टीएमसी प्रभारी और लोकसभा सांसद महुआ मोइत्रा ने कहा था कि उनकी पार्टी भारतीय जनता पार्टी को हराने के लिए कुछ भी करने को तैयार है। उनके इस बयान के बाद कांग्रेस और टीएमसी को साथ मिलकर चुनाव लड़ने की संभावना जताई जा रही है।
वक्त की बात
कुछ दिन पहले तक तृणमूल कांग्रेस पार्टी कांग्रेस पर हमलावर रही है। पार्टी प्रमुख ममता बनर्जी ने खुद राहुल गांधी तक पर निशाना साधती रही हैं। उन्होंने बिना कांग्रेस के मजबूत विपक्षी मोर्चा बनाने की मुहिम भी शुरू की थीं और इस सिलसिले में राष्ट्रवादी का्ग्रसे पार्टी प्रमुख शरद पवार, सपा प्रमुख अखिलेश यादव समेत कई विपक्षी नेताओ से मुलाकात भी की थी। इसके साथ ही कांग्रेस के कई नेताओं को भी अपनी पार्टी में शामिल कर कांग्रेस को करारा झटका देती रही हैं। लेकिन अब गोवा में दोनों एक साथ चुनवा मैदान में उतरने को तैयार हैं। इसे राजनीति कहते हैं, यहां सब चलता है।
शिवसेना की स्थिति
गोवा में महारष्ट्र मॉडल फेल हो जाने के बाद शिवसेना के सामने कोई विकल्प नहीं बचा है। उसने अपने दम पर वहां 15-16 सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है। पर्यावरण मंत्री आदित्य ठाकरे की मौजूदगी में 10 जनवरी को शिवसेना नेताओं और मंत्रियों की वर्चुअल बैठक हुई। बैठक में अपने दम पर चुनाव लड़ने का फैसला किया गया है।