मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और विधान सभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर दिल्ली में वरिष्ठ नेताओं से मिल रहे हैं। विधान सभा अध्यक्ष ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से भेंट की तो एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फडणवीस ने रात में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से भेंट की है। इस भेंट के माध्यम से भाजपा शिवसेना युति चार प्रमुख मुद्दों पर निर्णय और रणनीति निर्धारण कर सकती है।
- कैबिनेट विस्तार
युति सरकार के कैबिनेट विस्तार की प्रतीक्षा लंबे काल से लोग कर रहे हैं। यह जनसाधारण के लिए उत्सुकता का विषय है तो जो नेता असंतुष्ट होकर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के साथ आए हैं, उनकी अभिलाषाओं की पूर्ति का भी विषय है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से शुक्रवार देर रात तक चर्चा हुई है। सूत्रों के अनुसार महाराष्ट्र कैबिनेट विस्तार में 13 मंत्री पद शिवसेना को मिल सकते हैं जबकि, 29 मंत्री पद भारतीय जनता पार्टी के पास आ सकते हैं। - न्यायालय में क्या हो रणनीति
दिल्ली में वरिष्ठ नेताओं से चर्चा के साथ-साथ रणनीतिक बैठकों का दौर भी होगा। इसमें एकनाथ शिंदे अपने विधि विशेषज्ञों से भेंट करके चर्चा करेंगे। शिवसेना के दोनों गुटों द्वारा सर्वोच्च् न्यायालय में दायर विभिन्न प्रकरणों पर सोमवार को सुनवाई होनी है। इसमें मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे गुट के 16 विधायकों के निलंबन का मुद्दा भी है। - राष्ट्रपति चुनाव की रणनीति
नए राष्ट्रपति का निर्वाचन 18 जुलाई को होना है। इसके लिए महाराष्ट्र के वोटों का गणित बैठाने पर भी चर्चा इन बैठकों में होगी। जिस पर मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री वरिष्ठ नेताओं के साथ रणनीति निश्चित कर सकते हैं। जिससे राष्ट्रीय प्रजातांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को अधिक से अधिक वोट प्राप्त हो सकें। - सरकार की आचार संहिता
इन बैठकों में सदन और सड़क पर राज्य सरकार की क्या आचार संहिता हो, इसको लेकर भी निर्णय लिये जा सकते हैं। यह भले ही महाराष्ट्र सरकार का आंतरिक विषय हो लेकिन अब तक जिस अनुसार भाजपा के शीर्ष केंद्रीय नेता इसमें फूंक-फूंककर कदम बढ़ाने के लिए निर्देशित करते रहे हैं, ऐसे में उनका मार्गदर्शन भी इसमें अवश्य रहेगा।
मुख्यमंत्री का कार्यक्रम
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से चर्चा करेंगे। इसके बाद वे वहीं से सीधे पुणे के लिए रवाना होंगे और पुणे से पंढरपुर जाएंगे, जहां आषाढ़ी एकादशी के दिन वे भगवान विट्ठल रखुमाई का प्रथम पूजन करेंगे।