पंजाब कांग्रेस में अंदरुनी कलह खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। इस प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव कराए जाने हैं और नेताओं के बीच टकराव खत्म होने की बजाय बढ़ता जा रहा है। महत्वपूर्ण बात यह है कि पार्टी हाई कमान की तमाम कोशिशों का भी कोई परिणाम नहीं निकल पाया। बताया जा रहा है पार्टी विधायक नवजोत सिंह सिद्धू ने उपमुख्यमंत्री का ऑफर भी ठुकरा दिया है। वे प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने की अपनी मांग पर अड़े हुए हैं।
सिद्धू की मांग
कहा जा रहा है कि सिद्धू ने मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के कैप्टनशिप में उपमुख्यमंत्री बनने से इनकार कर दिया है। उनका कहना है कि अगर वे इस पद को स्वीकार भी लेते हैं, तो उनके लिए काम करना मुश्किल होगा। इसलिए उन्हें पार्टी प्रदेश अध्यक्ष बनाया जाए। लेकिन कैप्टन प्रदेश की कमान सिद्धू के हाथ में नहीं सौंपना चाहते।
कैप्टन की राय
कैप्टन का मानना है कि मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष पद दोनों जाट नेता को नहीं मिलना चाहिए। इसलिए प्रदेश अध्यक्ष का पद किसी हिंदू नेता को दिया जाना चाहिए, ताकि अगले साल होने वाले चुनाव में सामुदायिक संतुलन साधा जा सके। उनका मानना है कि सभी समुदाय के मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए सभी समाज के नेताओं का प्रतिनिधित्व दिया जाना जरुरी है।
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हाईकमान ने की थी बात
बता दें कि हाल ही में पार्टी हाईकमान ने पंजाब में पार्टी नेताओं में टकराव के समाधान के लिए गठित तीन सदस्यीय पैनल से बात की थी। लेकिन कोई समाधान नहीं निकला। बताया जा रह है कि सिद्धू ने पैनल से स्पष्ट कर दिया है कि वे उपमुख्यमंत्री पद को स्वीकार नहीं करेंगे। उन्होंने खुद को पार्टी प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने की मांग की है, जबकि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह उनकी मांग मानने को तैयार नहीं हैं।
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पार्टी प्रभारी को है ये उम्मीद
प्रदेश प्रभारी हरीश रावत ने बताया कि इस मसले का हल अगले महीने तक निकल सकता है। रावत का कहना है कि पंजाब कांग्रेस में बड़ा परिविर्तन किए जाने की जरुरत है। उन्होंने कहा कि अगले साल होने वाले चुनाव को देखते हुए प्रदेश की पार्टी में संतुलन साधने की जरुरत है।