पंजाब कांग्रेस में कलह जारी ही है कि अन्य राज्यों में भी घमासान शुरू हो गया है। पंजाब के पड़ोसी राज्य हरियाणा में भी पार्टी की अंदरुनी लड़ाई सड़क पर आ गई है। इसके साथ ही राजस्थान, कर्नाटक और गुजरात में भी पार्टी में उठापटक बढ़ने के संकेत मिल रहे हैं। हालांकि पार्टी हाई कमान अपने स्तर पर इन राज्यों में चल रही पार्टी की गुटबाजी और कलह को शांत करने की कोशिश कर रही है, लेकिन मामला शांत होने की बजाय बढ़ता ही जा रहा है।
पंजाब में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। इसके मद्देनजर यहां पार्टी में एकजुटता जरुरी है, लेकिन फिलहाल यहां की जो स्थिति दिख रही है, उससे लगता नहीं कि पार्टी में मचा घमासान शांत हो सकेगा। हालांकि इसके समाधान के लिए मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और कलह के मुख्य सूत्राधार नवजोत सिंह सिद्धू के साथ पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की बैठक का दौर जारी है, लेकिन अभी तक दोनों को समझाने में वे सफल नहीं हो पाए हैं।
हरियाणा में हवा खराब
इस बीच हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के 21 समर्थकों ने कांग्रेस संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल से मुलाकात कर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कुमारी शैलजा को हटाने की मांग की है। बता दें कि शैलजा पार्टी हाई कमान की करीबी हैं और उन्हें हटाने की मांग करना मतलब हाई कमान को चुनौती देना है। इसके बावजूद हुड्डा ने जिस तरह शैलजा को हटाने के लिए पार्टी में खुले तौर पर विद्रोह शुरू किया है, उससे स्पष्ट है कि प्रदेश में अपनी सियासी पकड़ के दम पर वे संगठन पर एकाधिकार स्थापित करना चाहते हैं। कांग्रेस विधायक दल के नेता के रुप में विधायकों को हुड्डा पहले ही अपने पक्ष में गोलबंद कर चुके हैं। इसी की बदौलत वे अपने बेटे दीपेंद्र हुड्डा को राज्यसभा की सीट दिलवा चुके हैं।
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गुजरात
पंजाब और हरियाणा के साथ ही गुजरात कांग्रेस में भी नए अध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर पार्टी में रस्साकशी जारी है। यहां भरत सोलंकी एक बार फिर प्रदेश की कमान थामने के लिए प्रबल दावेदार के रुप में मोर्चाबंदी कर रहे हैं। दूसरी ओर शक्ति सिंह गोहिल, अर्जुन मोडवाडिया से लेकर सिद्धार्थ पटेल तक इस रस्साकशी में शामिल हैं। इस खींचतान के कारण गुजरात कांग्रेस का बदलाव अधर में लटका हुआ है। पंजाब में जहां 2022 में चुनाव कराए जाने हैं, वहीं गुजरात में अगले साल के अंत का चुनाव होने हैं। इस बीच कांग्रेस की अंदरुनी कलह पार्टी हाई कमान की टेंशन बढ़ा रही है।
कर्नाटक
कर्नाटक में भी चुनाव के दो साल से कम समय बाकी है। उससे पहले ही प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार और विधायक दल के नेता सिद्धारमैया के बीच रस्साकशी सार्वजनिक होने लगी है। शिवकुमार, कांग्रेस से बगावत कर पाला बदलने वाले 14 विधायकों के वापस पार्टी में लाने के पक्ष में हैं, जबकि सिद्धारमैया ने स्पष्ट कर दिया है कि चाहे कुछ भी हो जाए, वे ऐसा नहीं होने देंगे। ध्यान देने वाली बात है कि शिवकुमार पार्टी हाईकमान के करीबी माने जाते हैं। साफ है कि नेतृत्व की दुविधा और कमजोरी को भांप कर क्षेत्रीय क्षत्रप अपना साम्राज्य स्थापित करना चाहते हैं।
राजस्थान
राजस्थान में जब से कांग्रेस की सरकार बनी है, तब से ही गुटबाजी जारी है। सचिन पायलट और उनके समर्थकों को पार्टी हाई कमान जहां सरकार और संगठन में उचित प्रतिनिधित्व देना चाहती है, वहीं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इसके लिए तैयार नहीं हैं। महत्वपूर्ण बात यह है कि गहलोत हाईकमान के करीबी हैं। वे प्रदेश मे अपना एकाधिकार बरकरार रखने के लिए सचिन पायलट मामले में किसी तरह की नरमी बरतने के मूड में नहीं दिख रहे हैं।