पढ़ेंगे भाषा, बचेगी भाषा, ऐसी है केंद्र सरकार की नई योजना

100 दिवसीय पठन अभियान की परिकल्पना छात्रों के साथ-साथ उनके स्कूलों, शिक्षकों, अभिभावकों और समुदायों को हर संभव तरीके से समर्थन और प्रोत्साहित करने और बच्चों को आनंदमय तरीके से सीखने के अनुभव के लिए पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए की गई है।

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केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने आज 100 दिवसीय पठन अभियान ‘पढ़े भारत’ का शुभारंभ किया। 100 दिवसीय पठन अभियान का शुभारंभ राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के अनुरूप किया गया है, जो स्थानीय/मातृभाषा/क्षेत्रीय/जनजातीय भाषा में बच्चों के लिए आयु के अनुसार पठन पुस्तकों की उपलब्धता सुनिश्चित करके बच्चों के लिए आनंदपूर्वक पठन संस्कृति को बढ़ावा देने पर जोर देता है।

अभियान की शुरुआत करते हुए मंत्री ने पढ़ाई के महत्त्व को रेखांकित किया कि बच्चों को निरंतर और आजीवन सीखते रहना चाहिए, इस तरह से उनका विकास करने की आवश्यकता है। उन्होंने इस बात पर भी बल दिया कि पढ़ने की आदत, अगर कम उम्र में पैदा की जाती है, तो यह मस्तिष्क के विकास में मदद करती है और कल्पना शक्ति को बढ़ाती है और बच्चों के लिए अनुकूल सीखने का माहौल प्रदान करती है।

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पढ़े भारत अभियान में बालवाटिका से कक्षा 8 तक पढ़ने वाले बच्चों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। पठन अभियान 1 जनवरी, 2022 से 10 अप्रैल, 2022 तक 100 दिनों (14 सप्ताह) के लिए आयोजित किया जा रहा है। पठन अभियान का उद्देश्य बच्चों, शिक्षकों, माता-पिता, समाज, शैक्षणिक संस्थानों आदि सहित राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर सभी हितधारकों की भागीदारी बढ़ाना है। प्रति समूह प्रति सप्ताह एक गतिविधि को पढ़ने को मनोरंजक बनाने और पढ़ने की खुशी के साथ आजीवन जुड़ाव बनाने पर ध्यान देने के साथ तैयार किया गया है। इस अभियान को बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान मिशन के दृष्टिकोण और लक्ष्यों के साथ भी जोड़ा गया है।

100 दिनों का पठन अभियान मातृभाषा/स्थानीय/क्षेत्रीय भाषाओं सहित भारतीय भाषाओं पर भी ध्यान केंद्रित करेगा। इस संबंध में, 21 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के रूप में मनाया जाता है, जिसे भी इस अभियान के साथ एकीकृत किया गया है। इस दिवस को बच्चों को उनकी मातृभाषा/स्थानीय भाषा में पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करके देश भर में ‘‘कहानी पढो अपनी भाषा में’’ की गतिविधि के साथ मनाया जाएगा। इससे हमारे समाज की स्थानीय भाषा और संस्कृति को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी।

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