दिल्ली नगर निगम चुनाव: किसमें है दम किसमें है भ्रम?

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दिल्ली में इस समय कड़ाके की ठंढ पड़ रही है, लेकिन वहां का राजनितिक पारा हाई है। क्योंकि दिल्ली में नगर निगम चुनाव होने वाले हैं। इस चुनाव को लेकर हर एक पार्टी अपनी पूरी ताकत झोंक रही है। जहां एक ओर भाजपा फिर सत्ता में काबिज रहना चाहती है, वहीं आम आदमी पार्टी सत्ता के लिए पूरी तरह जोर आजमाइश कर रही है। वहीं, कांग्रेस भी एड़ी छोटी का जोर लगा रही है। आखिर इस चुनाव में कौन दांव मारता है यह तो आने वाला समय ही बताएगा, लेकिन अभी तक के चुनावी समर को देखा जाये तो कांग्रेस कहीं भी मुकाबले में नजर नहीं आ रही है। वहीं, भाजपा आम आदमी पार्टी पर भारी पड़ रही है।

फिर सत्ता में आएगी भाजपा !
दिल्ली नगर निगम चुनाव में जहां आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के नेता गली-मोहल्ले में वोट के लिए पहुंच रहे हैं, वहीं भाजपा अपने दिग्गजों को मैदान में उतार दिया है। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और पड़ोसी राज्य हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर जैसे दिग्गज नेता चुनावी सभा कर रहे हैं और भाजपा के उम्मीदवारों के लिए वोट जुटा रहे हैं। इस दिग्गजों के चुनावी समर में उतरने से जहां एक ओर कांग्रेस के पसीने छूट रहे हैं। वहीं, दूसरी ओर आम आदमी पार्टी के नेताओं के दिल में डर बैठ गया है। बता दें कि दिल्ली नगर निगम चुनाव में भाजपा पिछले 15 साल से काबिज है और वह फिर सत्ता में वापसी करेगी यह भी से दिखाई देने लगा है ! दिल्ली नगर निगम चुनाव के लिए 4 दिसंबर को वोट डाले जाएंगे।

इस बार का चुनाव थोड़ा अलग
इस बार दिल्ली नगर निगम का चुनाव थोड़ा अलग होगा, क्योंकि 2017 में दिल्ली नगर निगम तीन हिस्सों में बटा हुआ था। लेकिन इस बार केंद्र सरकार ने परिसीमन कर दिल्ली नगर निगम के तीन हिस्सों को मिलाकर एक कर दिया है। अब दिल्ली नगर निगम में वार्डों की संख्या 250 रह गई है। इसका अर्थ यह हुआ कि 250 वार्डों से चुनकर आए पार्षद मेयर का चुनाव करेंगे।

आप की प्रतिष्ठा दांव पर
नगर निगम चुनाव में आम आदमी पार्टी (आप) की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। आप दिल्ली की सत्ता में तो काबिज है, लेकिन नगर निम चुनाव में वह कब्जा करने में नाकाम साबित हुई है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि इस बार नगर निगम चुनाव जीतने के लिए आम आदमी पार्टी पूरा जोर लगा रही है। इसके लिए आम आदमी पार्टी ने एक नारा भी दिया है। आप का नारा है- दिल्ली सरकार केजरीवाल की तो पार्षद भी हमारा। इससे यह साफ हो गया है कि आम आदमी पार्टी इस चुनाव को लेकर कोई कोर कसर नहीं छिड़ना चाहती है।
 
राजनीतिक जमीन की तलाश में कांग्रेस
दिल्ली में कांग्रेस की हालत अच्छी नहीं है। इसके कई बड़े नेता आप का दामन थाम चुके हैं, ऐसे में कांग्रेस यहां अपनी जमीन तलाशने में जुटी है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि इस समय कांग्रेस की जो स्थिति है, इससे वह कहीं पर भी भाजपा और कांग्रेस को टक्कर देती नजर नहीं आ रहे है। वह सिर्फ अपना वजूद बचाने के लिए जूझ रही है।

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