बेलगाम में भाजपा राज! जानिये, शिवसेना का क्या है हाल

बेलगाम को लेकर महाराष्ट्र - कर्नाटक के बीच विवाद की जड़ राज्य पुनर्गठन अधिनियम 1956 से संलग्न है। इस अधिनियम के अंतर्गत राज्य का पुनर्गठन किया गया, जिसमें बॉम्बे स्टेट के अंतर्गत आनेवाले बेलगाम और 10 तहसीलों को मैसूर स्टेट में मिला दिया गया।

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बेलगाम महानगरपालिका के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को स्पष्ट बहुमत मिल गया है। इस चुनाव पर कर्नाटक सहित पूरे महाराष्ट्र की निगाहें टिकी थीं। अब तक के नतीजों के अनुसार भाजपा ने 29 के जादुई आंकड़े को पार कर लिया है। इस चुनाव में भाजपा ने जमकर प्रचार किया था। दूसरी ओर, बेलगाम मनपा पर भगवा फहराने का महाराष्ट्र एकीकरण समिति का सपना चकनाचूर हो गया है।

इस चुनाव में मतदान में गिरावट से परिणाम को लेकर उत्सुकता बढ़ गई थी। शिवसेना सांसद संजय राउत ने दावा किया था कि हमारे 30 से ज्यादा पार्षद चुने जाएंगे। लेकिन आखिरकार बेलगाम मनपा पर भाजपा ने अपना दबदबा साबित कर दिया है।

8 साल बाद चुनाव
8 साल बाद बेलगाम महानगरपालिका का चुनाव हुआ। इसके लिए 3 सितंबर को मतदान हुआ था। वोटों की गिनती 6 सितंबर को हो रही है। मतगणना सुबह आठ बजे से शुरू है। चुनाव मैदान में पहली बार राष्ट्रीय पार्टियां भाजपा और कांग्रेस भी उतरी हैं।

385 उम्मीदवारों के भाग्य का होगा फैसला
बेलगाम मनपा चुनाव के लिए मतगणना बीके मॉडल हाई स्कूल में जारी है। सुबह आठ बजे से काउंटिंग शुरू है। कुल 58 सीटों पर मतदान हुआ है। कुल 385 उम्मीदवार मैदान में हैं। महाराष्ट्र एकीकरण समिति के 21 आधिकारिक उम्मीदवार मैदान में हैं। भाजपा 55, कांग्रेस 45, जेडीएस 11, आम आदमी पार्टी 37, एआईएमआईएम 7, दो अन्य और 217 निर्दलीय उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला यहां होने जा रहा है। हालांकि, महाराष्ट्र एकीकरण समिति के उम्मीदवार से भाजपा और कांग्रेस दोनों को बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। मतगणना के लिए केंद्र में 500 पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है। मतगणना केंद्र परिसर में धारा 144 लागू है। किसी भी तरह की अप्रिय घटना को रोकने के लिए शहर में 1500 पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है। प्रशासन ने मतगणना केंद्र की ओर जाने वाले सभी रास्तों पर बैरिकेड्स भी लगा दिए हैं।

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मनपा लाल-पी परला झंडा लगाने का प्रयास
कुछ दिन पहले बेलगाम मनपा मुख्यालय के सामने लाल और पीले रंग का झंडा फहराने की कोशिश की गई थी। यह प्रयास कन्नड़ रक्षा वेदिका के पदाधिकारियों द्वारा किया गया था। लाल और पीले झंडे के फहराने से बेलगाम में तनाव पैदा हो गया था। अनधिकृत झंडों को लेकर महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा क्षेत्र में पिछले कुछ महीनों से तनाव चल रहा है। बता दें कि बेलगाम को लेकर महाराष्ट्र और कर्नाटक दोनोंं प्रदेश काफी संवेदनशील हैं। इसलिए इसे लेकर बीच-बीच में विवाद उभरते रहते हैं।

ये है विवाद

  • बेलगाम को लेकर महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच विवाद की जड़ राज्य पुनर्गठन अधिनियम 1956 से संलग्न है। इस अधिनियम के अंतर्गत राज्य का पुनर्गठन किया गया, जिसमें बॉम्बे स्टेट के अंतर्गत आनेवाले बेलगाम और 10 तहसीलों को मैसूर स्टेट में मिला दिया गया। बॉम्बे स्टेट उपनिवेशिक बॉम्बे प्रेसिडेंसी का हिस्सा था।
  • 1956 में राज्यों का पुनर्गठन भाषाई और प्रशासनिक आधार पर किया गया था। लेकिन बेलगाम को लेकर महाराष्ट्र शुरू से मांग करता रहा है कि वहां मराठी भाषिक अधिक होने के कारण उसे महाराष्ट्र में सम्मिलित किया जाए।
  • महाराष्ट्र ने कर्नाटक के 814 गांवों को अपने राज्य में शामिल करने की मांग की है। उसका पक्ष है कि इन गांवों में मराठी भाषियों की जनसंख्या अधिक है।
  • कर्नाटक सरकार ने इसे अस्वीकार करते हुए कहा कि इस मुद्दे पर महाजन आयोग की रिपोर्ट अंतिम है। हमने मराठी भाषियों के विकास के लिए कॉर्पोरेशन का गठन किया है। मराठी भी हमारे लिए वैसे ही हैं जैसे कन्नड़।

क्या महाजन आयोग की रिपोर्ट?

  • वर्ष 1956 में राज्यों का सीमांकन हुआ। इसके अंतर्गत जिन क्षेत्रों में 50 प्रतिशत कन्नड़ भाषी थे उन्हें कर्नाटक में मिला दिया गया।
  • इस सीमांकन का विरोध करते हुए उस समय महाराष्ट्र की ओर से पक्ष रखा गया कि कन्नड़ भाषियों से अधिक मराठी भाषी थे।
  • बॉम्बे सरकार ने सितंबर 1957 में केंद्र सरकार के समक्ष इस सीमांकन को लेकर विरोध दर्ज कराया था।
  • इस विवाद को देखते हुए अक्टूबर 1966 में पूर्व मुख्य न्यायाधीश मेहर चंद महाजन की अध्यक्षता में एक कमीशन गठित किया गया।
  • अगस्त 1967 में इस महाजन कमीशन ने सुझाव दिया कि 264 गावों को महाराष्ट्र में सम्मिलित किया जाए। जबकि बेलगाव समेत 247 गांव कर्नाटक में ही रहने देने की बात इस रिपोर्ट में कही गई।
  • महाराष्ट्र ने इस रिपोर्ट को एक तरफा करार देते हुए अस्वीकार कर दिया। महाराष्ट्र ने इस रिपोर्ट के पुनर्विचार करने की मांग की थी।
  • कर्नाटक सरकार ने महाजन कमीशन की रिपोर्ट का स्वागत किया और महाजन कमीशन की रिपोर्ट को लागू करने की मांग की।

सर्वोच्च न्यायालय में लंबित है मामला

  • महाराष्ट्र सरकार संविधान के अनुच्छेद 131(बी) के अंतर्गत सीमा विवाद सुलझाने के लिए 2004 में सर्वोच्च न्यायालय में गई।
  • 2019 में महाविकास आघाड़ी सरकार के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने इस मुद्दे को सुलझाने के लिए एक कमेटी बनाई।
  • महाराष्ट्र सीएम ने राज्य सरकार मे मंत्री छगन भुजबल और एकनाथ शिंदे को इसकी जिम्मेदारी सौंपी।
  • उन्होंने राज्य सरकार के पक्ष को सर्वोच्च न्यायालय में दृढ़ता से रखने और सीमा विवाद के जल्द निपटारे का प्रयत्न करने का निर्देश दिया।

जानें अनुच्छेद 131 (बी) के प्रावधान

यह कानून राज्य और केंद्र सरकार के बीच के विवादों पर सर्वोच्च न्यायालय को निर्णय देने का विशेष अधिकार प्रदान करता है। इसके साथ ही यदि राज्य से राज्य का भी कोई विवाद हो तो उस स्थिति में भी यह अनुच्छेद सुप्रीम कोर्ट को निर्णय का विशेष अधिकार देता है।

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