क्यों डरे हुए हैं असम के हिंदू? मुख्यमंत्री सरमा ने बताए कारण

असम देश के उन प्रदेशों मे शामिल है, जिनमें मुसलमानों की आबादी तेजी से बढ़ी है। प्रदेश के मुख्यमंत्री ने दावा किया है कि प्रदेश में मुसलमान अब अल्पसंख्यक नही रहे।

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देश के नौ राज्यों में मुसलमानों की आबादी काफी बढ़ने के बाद यह दावा किया जा रहा है कि इन प्रदेशों में अब वे अल्पसंख्यक नहीं रहे हैं। इन प्रदेशों में असम भी शामिल है। इस राज्य में बड़ी संख्या में मुसलमान रहते हैं। इसके बावजूद उन्हें अल्पसंख्यक का दर्जा दिया जाता है और वे कई तरह से इसका लाभ उठाते हैं।

इस बात को लेकर असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि राज्य में मुसलमानों की आबादी 35 प्रतिशत से अधिक हो गई है। इसलिए अब वे असम में अल्पसंख्यक नहीं हो सकते। उन्होंने कहा कि स्थिति तेजी से बदल रही है और अब इस समुदाय के लोग न केवल विपक्ष में हैं, बल्कि उनके पास हर क्षेत्र में हिंदुओं के बराबर अवसर है।

आदिवासियों के जमीन पर कब्जा करने का अधिकार नहीं
राज्य के विधानसभा में एक प्रश्न का उत्तर देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि असम में आदिवासियों के अधिकारों की रक्षा करना हमारा कर्तव्य है। उनकी जमीनों पर अतिक्रमण को रोकने की जिम्मेदारी हम सबकी है। छठी अनुसूचि कानून के तहत आदिवासियों की जमीन पर कब्जा नहीं किया जा सकता। यदि बोरा और कलिता उनकी जमीन पर नहीं कब्जा कर रहे हैं तो इस्लाम और रहमान को भी यह अधिकार नहीं है।

अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा करना मुसलमानों का कर्तव्य
मुख्यमंत्री ने कहा कि सत्ता में आने के बाद बड़ी जिम्मेदारियां भी आती हैं। असम में मुसलमानों की आबादी तेजी से बढ़ रही है और इस हालत में अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा करना उनका कर्तव्य है। राज्य के लोग डरे हुए हैं। उन्हें डर है कि क्या वे अपने धर्म और सभ्यता-संस्कृति को बचा पाएंगे। सरमा ने कहा कि सद्भावना दोनों तरफ से होती है। लेकिन मुसलमानों में ऐसा नहीं देखा जाता है। 10 साल पहले तक हम बहुसंख्यक थे, लेकिन अब नहीं हैं।

इसलिए डरे हुए असम के हिंदू
सरमा ने कहा कि अब लोग पूछ रहे हैं कि क्या असम के लोगों का वही हाल होगा, जो कश्मीर में पंडितों के साथ हुआ। 10 साल बाद असम में वैसा ही होगा, जैसा फिल्म द कश्मीर फाइल्स में दिखाया गया है। ये मुसलमानों का कर्तव्य है कि वे हमारा डर दूर करें और आश्वस्त करें कि जो कश्मीर में हुआ, वह असम में नहीं होगा। सरमा ने कहा कि राज्य में मात्र चार प्रतिशत स्वदेशी असमिया मुसलमान हैं। वे भी बंगाली मुसलमानों से डरे हुए हैं।

द कश्मीर फाइल्स देखने के लिए कर्मचारियों को आधे दिन की छुट्टी
बता दें कि असम सरकार ने द कश्मीर फाइल्स फिल्म को देखने के लिए राज्य सरकार के कर्मचारियों को आधे दिन की छुट्टी देने की घोषणा की है।

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